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मैट्रिक की थर्ड टॉपर जूही कुमार ने ईटीवी भारत से की बातचीत, बड़ी होकर बनना चाहती हैं डॉक्टर

अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हुये जूली कुमारी ने कहा कि उन्हीं के मार्गदर्शन में मुझे यह सफलता मिली है. चार भाई-बहनों में सबसे छोटी बहन जूली बड़ी होकर देश की सेवा करना चाहती हैं.

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Published : May 27, 2020, 12:25 AM IST

अरवल: जिले की बैदराबाद की रहने वाली बिहार की मैट्रिक रिजल्ट की थर्ड टॉपर जूली कुमारी बड़ी होकर डॉक्टर बनना चाहती हैं. वैश्विक महामारी कोरोना के कारण देश में हो रही समस्याओं को देखते हुये जूली डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करना चाहती हैं. ईटीवी भारत के रिपोर्टर ने लड़कियों में पहला स्थाना पाने वाली जूली कुमारी से एक्सक्लूसिव बातचीत की.

जूली ने बताया कि अपने पिता के सानिध्य में रोजाना 16 घंटे पढ़ाई कर ये मुकाम हासिल हुआ. जूली कुमारी ने कहा कि अगर लगन के साथ किसी लक्ष्य को पाने की कोशिश की जाये तो वह आपके कदम चूमता है. जूली ने बताया कि उसके पिता मध्य विद्यालय में शिक्षक हैं. फिर भी समय निकालकर सभी बच्चों को रोजाना 5 घंटे समय देते हैं. जूली ने कहा कि आज बदलते परिवेश में लोग कोचिंग के पीछे ज्यादा भाग रहे हैं लेकिन अगर मेहनत कर घर में ही रहकर पढ़ाई की जाये तो कोचिंग करने की जरूरत नहीं होगी.

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जूही कुमारी

माता-पिता को सफलता का श्रेय
अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हुये जूली कुमारी ने कहा कि उन्हीं के मार्गदर्शन में मुझे यह सफलता मिली है. चार भाई-बहनों में सबसे छोटी बहन जूली बड़ी होकर देश की सेवा करना चाहती हैं. उधर बिहार बोर्ड के मैट्रिक का रिजल्ट आते ही राज्य की थर्ड टॉपर जूली के घर लोगों ने जाकर बधाई दी. जूली कुमारी ने लड़कियों में पहला स्थान हासिल किया है.

अरवल: जिले की बैदराबाद की रहने वाली बिहार की मैट्रिक रिजल्ट की थर्ड टॉपर जूली कुमारी बड़ी होकर डॉक्टर बनना चाहती हैं. वैश्विक महामारी कोरोना के कारण देश में हो रही समस्याओं को देखते हुये जूली डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करना चाहती हैं. ईटीवी भारत के रिपोर्टर ने लड़कियों में पहला स्थाना पाने वाली जूली कुमारी से एक्सक्लूसिव बातचीत की.

जूली ने बताया कि अपने पिता के सानिध्य में रोजाना 16 घंटे पढ़ाई कर ये मुकाम हासिल हुआ. जूली कुमारी ने कहा कि अगर लगन के साथ किसी लक्ष्य को पाने की कोशिश की जाये तो वह आपके कदम चूमता है. जूली ने बताया कि उसके पिता मध्य विद्यालय में शिक्षक हैं. फिर भी समय निकालकर सभी बच्चों को रोजाना 5 घंटे समय देते हैं. जूली ने कहा कि आज बदलते परिवेश में लोग कोचिंग के पीछे ज्यादा भाग रहे हैं लेकिन अगर मेहनत कर घर में ही रहकर पढ़ाई की जाये तो कोचिंग करने की जरूरत नहीं होगी.

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जूही कुमारी

माता-पिता को सफलता का श्रेय
अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हुये जूली कुमारी ने कहा कि उन्हीं के मार्गदर्शन में मुझे यह सफलता मिली है. चार भाई-बहनों में सबसे छोटी बहन जूली बड़ी होकर देश की सेवा करना चाहती हैं. उधर बिहार बोर्ड के मैट्रिक का रिजल्ट आते ही राज्य की थर्ड टॉपर जूली के घर लोगों ने जाकर बधाई दी. जूली कुमारी ने लड़कियों में पहला स्थान हासिल किया है.

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