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फारबिसगंज के वोटर्स बोले- बड़ी रेल लाइन दो और जिला बनाओ तभी देंगे वोट

लोगों का कहना है कि सहरसा से फारबिसगंज जाने वाली रेल लाइन करीब आठ महीने से ठप पड़ी है. जिससे यहां के व्यवसाय पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है.

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Published : Apr 3, 2019, 10:58 AM IST

Updated : Apr 3, 2019, 5:55 PM IST

अररिया: लोकसभा चुनाव की शुरूआत हो चुकी है. ऐसे में लोगों ने फारबिसगंज को जिला बनाने की मांग की है. इसके अलावा यहां के वोटरों ने बड़ी रेल लाइन मुद्दा भी रखा है. फारबिगंज के वोटरों ने इन मुद्दों पर वोट करने की बात कही है.

क्या हैं मुद्दे
यहां के लोगों का कहना है कि सहरसा से फारबिसगंज जाने वाली रेल लाइन करीब आठ महीने से ठप पड़ी है. जिससे यहां के व्यवसाय पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. लोगों का कहना है कि गरीब यात्रियों को 25 रुपये के बजाय 150 रुपये देकर सफर करना पड़ता है.

फारबिसगंज से महमूद आलम

बड़ी रेल लाइन का मुद्दा
जोगबनी से दूसरे राज्य में जाने के लिए लोगों को काफी परेशानी होती है. पहले यहां से कटिहार जाना पड़ता है फिर वहां से अपने गंतव्य के लिए ट्रेन पकड़नी पड़ती है. लोगों ने फारबिगंज जंक्शन को बड़ी रेल लाइन की मांग की है. यह इस बार के चुनाव में एक अहम मुद्दा है.

जिला बनाने की मांग
इसके अलावा यहां के वोटर इस इलाके के विकास के लिए इसे जिला घोषित कराना चाहते हैं. लोगों का कहना है कि इसे चुनावी मुद्दा बनाकर इस चुनाव में वोट करेंगे साथ ही लोगों से भी इन मुद्दों पर वोट देने के लिए अपील करेंगे.

अतिपिछड़ा इलाका
मौजूदा वक्त में दोनों पार्टी के उम्मीदवार यहां से एमपी बन चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी ने इन चीजों पर ध्यान नहीं दिया है. यहां के लोग मानते हैं कि ये व्यवसायिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है. इसे एलेक्स जॉर्ज फॉरबिस पर रखा गया था. आर्थिक, भौगोलिक और आंतरिक सुरक्षा के मापदंड से यह अतिपिछड़ा इलाका है.

अररिया लोकसभा पर एक नजर
बता दें 23 अप्रैल को अररिया लोकसभा सीट पर वोटिंग होनी है. यहां बीजेपी ने प्रदीप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं राजद के सरफराज आलम मैदान में हैं. बता दें कि अररिया सीट से अब तक भाजपा ने 3 बार जीत दर्ज की है. जबकि 2014 और 2018 के चुनाव में बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा था.

अररिया: लोकसभा चुनाव की शुरूआत हो चुकी है. ऐसे में लोगों ने फारबिसगंज को जिला बनाने की मांग की है. इसके अलावा यहां के वोटरों ने बड़ी रेल लाइन मुद्दा भी रखा है. फारबिगंज के वोटरों ने इन मुद्दों पर वोट करने की बात कही है.

क्या हैं मुद्दे
यहां के लोगों का कहना है कि सहरसा से फारबिसगंज जाने वाली रेल लाइन करीब आठ महीने से ठप पड़ी है. जिससे यहां के व्यवसाय पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. लोगों का कहना है कि गरीब यात्रियों को 25 रुपये के बजाय 150 रुपये देकर सफर करना पड़ता है.

फारबिसगंज से महमूद आलम

बड़ी रेल लाइन का मुद्दा
जोगबनी से दूसरे राज्य में जाने के लिए लोगों को काफी परेशानी होती है. पहले यहां से कटिहार जाना पड़ता है फिर वहां से अपने गंतव्य के लिए ट्रेन पकड़नी पड़ती है. लोगों ने फारबिगंज जंक्शन को बड़ी रेल लाइन की मांग की है. यह इस बार के चुनाव में एक अहम मुद्दा है.

जिला बनाने की मांग
इसके अलावा यहां के वोटर इस इलाके के विकास के लिए इसे जिला घोषित कराना चाहते हैं. लोगों का कहना है कि इसे चुनावी मुद्दा बनाकर इस चुनाव में वोट करेंगे साथ ही लोगों से भी इन मुद्दों पर वोट देने के लिए अपील करेंगे.

अतिपिछड़ा इलाका
मौजूदा वक्त में दोनों पार्टी के उम्मीदवार यहां से एमपी बन चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी ने इन चीजों पर ध्यान नहीं दिया है. यहां के लोग मानते हैं कि ये व्यवसायिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है. इसे एलेक्स जॉर्ज फॉरबिस पर रखा गया था. आर्थिक, भौगोलिक और आंतरिक सुरक्षा के मापदंड से यह अतिपिछड़ा इलाका है.

अररिया लोकसभा पर एक नजर
बता दें 23 अप्रैल को अररिया लोकसभा सीट पर वोटिंग होनी है. यहां बीजेपी ने प्रदीप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं राजद के सरफराज आलम मैदान में हैं. बता दें कि अररिया सीट से अब तक भाजपा ने 3 बार जीत दर्ज की है. जबकि 2014 और 2018 के चुनाव में बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा था.

Intro:लोकतंत्र का महापर्व लोकसभा चुनाव की शुरूआत हो चुकी है ऐसे में ETV Bharat से अररिया संवाददाता लोकसभा क्षेत्र के फारबिसगंज अनुमंडल में है यहां के लोगों से जानने की कोशिश कर रहे हैं कि यहां के लोगों का मुख्य मुद्दा किया है जो इस चुनाव के मांगना ज़रूरी है। अन्यथा लोकतंत्र में अपने मत का लोग इस्तेमाल तो करेंगे पर तीसरे ऑप्शन के साथ नोटा पर।


Body:चुनाव आते ही यहां के लोग ने एक बार फ़िर से फारबिसगंज को जिला बनाने की मांग के साथ ही एक भी बड़ी रेल लाइन का नहीं होना ये सबसे बड़ा मुद्दा है। यहां के लोगों का कहना है कि सहरसा से फारबिसगंज जाने वाले रेल लाइन क़रीब आठ महीने से ठप पड़ी है जिससे यहां के व्यवसाय पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। ग़रीब जनता जो 25 रुपए की किराए से सफ़र करते थे उन्हें 150 रुपए देकर सफ़र करना पड़ता है। जोगबनी से दूसरे राज्य में जाने के लिए लोगों को काफ़ी परेशानी होता यहां के लोगों को दूसरे राज्य में जाने के लिए यहां से कटिहार जाना पड़ता है फ़िर वहां से दूसरे जगह के लिए ट्रेन पकड़ना होता है साथ ही इसे ज़िला घोषित करने का मांग कब से किया जा रहा है लेकिन अब तक पूरा नहीं कर पाए हैं जिसका हम लोग इसे चुनावी मुद्दा बनाकर इस चुनाव में वोट करने की अपील कर रहे हैं। जो भी उम्मीदवार ज़िले के विकास पर ध्यान देगा लोग उसे ही वोट करेंगे। मौजूदा वक़्त में दोनों पार्टी के उम्मीदवार यहां से एमपी बन चुके हैं पर अभी तक किसी ने इन चीजों पर ध्यान नहीं दिया है। यहां के लोग मानते हैं कि ये व्यवसायिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। इसे एलेक्स जॉर्ज फॉरबिस पर रखा गया था। सरकारी फाइलो में दब कर सीसकियां ले रही है ये योजनाएं। आर्थिक, भौगोलिक व आंतरिक सुरक्षा के मापदंड से क्योंकि ये नेपाल से सटे हुए बिहार का अतिपिछड़ा ज़िला है ।


Conclusion:अब देखना यह होगा कि यहां से एनडीए और यूपीए के जो उम्मीदवार हैं दोनों अपने तरफ़ से जीत की दावेदारी कर रहे हैं ऐसे में यहां की जनता का क्या मूड है किसे अपना नेता चुनेंगे ये आने वाला वक़्त ही बताएगा पर जनता को रिझाने की पूरी प्रयास यहां के उम्मीदवारों के दुवारा की जा रही है। ऐसे में इस पर किसी नेता की नज़र पड़ती है या नहीं इस महापर्व में ये देखना बड़ा दिलचस्प होगा।
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Last Updated : Apr 3, 2019, 5:55 PM IST
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