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अररिया का अखाड़ा: RJD के 'अटूट' M-Y समीकरण को भेद पाएगा NDA या फिर हारेगी BJP? - लालू यादव

सीमांचल के मुस्लिम बहुल सीट अररिया में आरजेडी बेहद मजबूत स्थिति में है. 45 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम और यादव मतदाता के कारण यहां आरजेडी के सामने बीजेपी को पिछले दो चुनाव में शिकस्त हाथ लगी है.

प्रदीप सिंह
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Published : Apr 21, 2019, 6:02 PM IST

अररिया: मोदी लहर के बावजूद 2014 के लोकसभा चुनाव में अररिया सीट पर आरजेडी ने फतह हासिल की थी. मोहम्मद तस्लीमुद्दीन ने बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह को हराया था. मगर तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई और मार्च 2018 में यहां उपचुनाव कराए गए, जिसमें आरजेडी के उम्मीदवार और तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम विजयी रहे.

वीडियो

इस सीट का समीकरण
अररिया सीट आजादी के बाद के शुरुआती दशकों में कांग्रेस का गढ़ बनी रही. इसके बाद जनता दल और फिर बीजेपी ने यहां से जीत हासिल की. वर्तमान हालात में एमवाई समीकरण के कारण आरजेडी की यहां काफी मजबूत स्थिति है.

विधानसभा सीटों का समीकरण
अररिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इनमें नरपतगंज, रानीगंज(सुरक्षित), फारबिसगंज, अररिया, जोकिहाट और सिकटी शामिल हैं. 4 सीट पर एनडीए काबिज है, वहीं एक-एक सीट कांग्रेस और आरजेडी के पास है.

वर्ष 2014 का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी से दूरी बनाकर जेडीयू ने अकेले चुनाव लड़ा था. इन हालात में मोदी लहर के बावजूद तस्लीमुद्दीन चुनाव जीत गए थे. तस्लीमुद्दीन को 41 प्रतिशत वोट मिले थे.

  • आरजेडी के मो. तस्लीमउद्दीन को 4,07,978 मत मिले थे
  • बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह को 2,61,474 वोट मिले
  • जेडीयू के विजय कुमार मंडल को 2,21,769 मत मिले
  • बीएसपी के अब्दुल रहमान को 17,724 वोट मिले थे
  • नोटा को 16,608 मत मिले

2018 उपचुनाव का नतीजा
तसलीमुद्दीन के निधन के बाद मार्च 2018 में जब उपचुनाव हुए तो कुल 7 उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे थे. लेकिन सीधा मुकाबला आरजेडी के सरफराज आलम और बीजेपी-जेडीयू के संयुक्त उम्मीदवार प्रदीप सिंह के बीच ही हुआ.

  • आरजेडी के सरफराज आलम को 5,09,334 वोट मिले
  • बीजेपी के प्रदीप सिंह को 4,47,546 वोट मिले

प्रदीप सिंह को 61,788 वोटों से हराकर सरफराज आलम पिता की विरासत बचाने में कामयाब रहे.


अररिया में 17,37,468 मतदाता

  • कुल मतदाताओं की संख्या- 17,37,468
  • पुरुष मतदाताओं की संख्या- 9,19,115
  • महिला मतदाताओं की संख्या-8,18,286
  • थर्ड जेंडर मतदाता-67

अररिया में अहम मुद्दे
बाढ़ प्रभावित इस इलाके में रोजगार और नौकरी के लिए पलायन सबसे बड़ी समस्या है. यहां शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क-पुल और बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है.

सरफराज का सियासी सफर
सरफराज आलम अररिया से आरजेडी के टिकट पर जीतकर लोकसभा पहुंचे. वे आरजेडी के वरिष्ठ नेता मो. तस्लीमुद्दीन के बेटे हैं. इससे पहले विधायक के रूप में सरफराज आलम सियासत में उतरे थे. साल 2000 में आरजेडी के टिकट पर और 2010 और 2015 में वे जेडीयू के टिकट पर जोकीहाट सीट से जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचे थे. 2016 में उन्हें जेडीयू से सस्पेंड कर दिया गया. फरवरी 2018 में सरफराज आलम फिर आरजेडी में शामिल हो गए.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड
लोकसभा सदस्य के रूप में सरफराज की उपस्थिति 82 फीसदी रही. इस दौरान उन्होंने सदन में कुल 11 सवाल पूछे. हालांकि वे किसी भी चर्चा में शामिल नहीं हुए और न ही कोई प्राइवेट मेंबर बिल लाया.

प्रदीप सिंह के समक्ष जीतने की चुनौती
विधानसभा से संसद तक का सफर तय करनेवाले पूर्व सांसद प्रदीप कुमार सिंह के सामने इस बार भी 'माय' समीकरण से लड़ कर सीट निकालने की चुनौती होगी. प्रदीप कुमार सिंह ने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में लोकजनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार को हराया था.

दोनों पर दबाव
एक तरफ पिता की मौत के बाद उपजी सहानुभूति में उपचुनाव जीतने वाले सरफराज के लिए अबकी बार ये सीट निकालना बड़ी चुनौती होगी, वहीं दूसरी तरफ लगातार दो हार के बाद अगर इस बार भी प्रदीप सिंह को शिकस्त मिलती है तो उनकी भविष्य की राजनीति पर ग्रहण लग सकता है. लिहाजा जीत का दवाब दोनों प्रमुख उम्मीदवारों पर है. अररिया में तीसरे चरण के तहत 23 अप्रैल को वोटिंग होगी.

अररिया: मोदी लहर के बावजूद 2014 के लोकसभा चुनाव में अररिया सीट पर आरजेडी ने फतह हासिल की थी. मोहम्मद तस्लीमुद्दीन ने बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह को हराया था. मगर तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई और मार्च 2018 में यहां उपचुनाव कराए गए, जिसमें आरजेडी के उम्मीदवार और तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम विजयी रहे.

वीडियो

इस सीट का समीकरण
अररिया सीट आजादी के बाद के शुरुआती दशकों में कांग्रेस का गढ़ बनी रही. इसके बाद जनता दल और फिर बीजेपी ने यहां से जीत हासिल की. वर्तमान हालात में एमवाई समीकरण के कारण आरजेडी की यहां काफी मजबूत स्थिति है.

विधानसभा सीटों का समीकरण
अररिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इनमें नरपतगंज, रानीगंज(सुरक्षित), फारबिसगंज, अररिया, जोकिहाट और सिकटी शामिल हैं. 4 सीट पर एनडीए काबिज है, वहीं एक-एक सीट कांग्रेस और आरजेडी के पास है.

वर्ष 2014 का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी से दूरी बनाकर जेडीयू ने अकेले चुनाव लड़ा था. इन हालात में मोदी लहर के बावजूद तस्लीमुद्दीन चुनाव जीत गए थे. तस्लीमुद्दीन को 41 प्रतिशत वोट मिले थे.

  • आरजेडी के मो. तस्लीमउद्दीन को 4,07,978 मत मिले थे
  • बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह को 2,61,474 वोट मिले
  • जेडीयू के विजय कुमार मंडल को 2,21,769 मत मिले
  • बीएसपी के अब्दुल रहमान को 17,724 वोट मिले थे
  • नोटा को 16,608 मत मिले

2018 उपचुनाव का नतीजा
तसलीमुद्दीन के निधन के बाद मार्च 2018 में जब उपचुनाव हुए तो कुल 7 उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे थे. लेकिन सीधा मुकाबला आरजेडी के सरफराज आलम और बीजेपी-जेडीयू के संयुक्त उम्मीदवार प्रदीप सिंह के बीच ही हुआ.

  • आरजेडी के सरफराज आलम को 5,09,334 वोट मिले
  • बीजेपी के प्रदीप सिंह को 4,47,546 वोट मिले

प्रदीप सिंह को 61,788 वोटों से हराकर सरफराज आलम पिता की विरासत बचाने में कामयाब रहे.


अररिया में 17,37,468 मतदाता

  • कुल मतदाताओं की संख्या- 17,37,468
  • पुरुष मतदाताओं की संख्या- 9,19,115
  • महिला मतदाताओं की संख्या-8,18,286
  • थर्ड जेंडर मतदाता-67

अररिया में अहम मुद्दे
बाढ़ प्रभावित इस इलाके में रोजगार और नौकरी के लिए पलायन सबसे बड़ी समस्या है. यहां शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क-पुल और बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है.

सरफराज का सियासी सफर
सरफराज आलम अररिया से आरजेडी के टिकट पर जीतकर लोकसभा पहुंचे. वे आरजेडी के वरिष्ठ नेता मो. तस्लीमुद्दीन के बेटे हैं. इससे पहले विधायक के रूप में सरफराज आलम सियासत में उतरे थे. साल 2000 में आरजेडी के टिकट पर और 2010 और 2015 में वे जेडीयू के टिकट पर जोकीहाट सीट से जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचे थे. 2016 में उन्हें जेडीयू से सस्पेंड कर दिया गया. फरवरी 2018 में सरफराज आलम फिर आरजेडी में शामिल हो गए.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड
लोकसभा सदस्य के रूप में सरफराज की उपस्थिति 82 फीसदी रही. इस दौरान उन्होंने सदन में कुल 11 सवाल पूछे. हालांकि वे किसी भी चर्चा में शामिल नहीं हुए और न ही कोई प्राइवेट मेंबर बिल लाया.

प्रदीप सिंह के समक्ष जीतने की चुनौती
विधानसभा से संसद तक का सफर तय करनेवाले पूर्व सांसद प्रदीप कुमार सिंह के सामने इस बार भी 'माय' समीकरण से लड़ कर सीट निकालने की चुनौती होगी. प्रदीप कुमार सिंह ने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में लोकजनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार को हराया था.

दोनों पर दबाव
एक तरफ पिता की मौत के बाद उपजी सहानुभूति में उपचुनाव जीतने वाले सरफराज के लिए अबकी बार ये सीट निकालना बड़ी चुनौती होगी, वहीं दूसरी तरफ लगातार दो हार के बाद अगर इस बार भी प्रदीप सिंह को शिकस्त मिलती है तो उनकी भविष्य की राजनीति पर ग्रहण लग सकता है. लिहाजा जीत का दवाब दोनों प्रमुख उम्मीदवारों पर है. अररिया में तीसरे चरण के तहत 23 अप्रैल को वोटिंग होगी.

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अररिया: मोदी लहर के बावजूद 2014 के लोकसभा चुनाव में अररिया सीट पर आरजेडी ने फतह हासिल की थी. मोहम्मद तस्लीमुद्दीन ने बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह को हराया था. मगर तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई और मार्च 2018 में यहां उपचुनाव कराए गए, जिसमें आरजेडी के उम्मीदवार और तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम विजयी रहे. 

इस सीट का समीकरण

अररिया सीट आजादी के बाद के शुरुआती दशकों में कांग्रेस का गढ़ बनी रही. इसके बाद जनता दल और फिर बीजेपी ने यहां से जीत हासिल की. वर्तमान हालात में एमवाई समीकरण के कारण आरजेडी की यहां काफी मजबूत स्थिति है. 

विधानसभा सीटों का समीकरण

अररिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इनमें नरपतगंज, रानीगंज(सुरक्षित), फारबिसगंज, अररिया, जोकिहाट और सिकटी शामिल हैं. 4 सीट पर एनडीए काबिज है, वहीं एक-एक सीट कांग्रेस और आरजेडी के पास है.

वर्ष 2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी से दूरी बनाकर जेडीयू ने अकेले चुनाव लड़ा था. इन हालात में मोदी लहर के बावजूद तस्लीमुद्दीन चुनाव जीत गए थे. तस्लीमुद्दीन को 41 प्रतिशत वोट मिले थे.

आरजेडी के मो. तस्लीमउद्दीन को 4,07,978 मत मिले थे

बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह को 2,61,474 वोट मिले

जेडीयू के विजय कुमार मंडल को 2,21,769 मत मिले

बीएसपी के अब्दुल रहमान को 17,724 वोट मिले थे

नोटा को 16,608 मत मिले

2018 उपचुनाव का नतीजा

तसलीमुद्दीन के निधन के बाद मार्च 2018 में जब उपचुनाव हुए तो कुल 7 उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे थे. लेकिन सीधा मुकाबला आरजेडी के सरफराज आलम और बीजेपी-जेडीयू के संयुक्त उम्मीदवार प्रदीप सिंह के बीच ही हुआ. 

आरजेडी के सरफराज आलम को 5,09,334 वोट मिले

बीजेपी के प्रदीप सिंह को 4,47,546 वोट मिले

प्रदीप सिंह को 61,788 वोटों से हराकर सरफराज आलम पिता की विरासत बचाने में कामयाब रहे.

अररिया में 17,37,468 मतदाता

कुल मतदाताओं की संख्या- 17,37,468

पुरुष मतदाताओं की संख्या- 9,19,115

महिला मतदाताओं की संख्या-8,18,286

थर्ड जेंडर मतदाता-67

अररिया में अहम मुद्दे

बाढ़ प्रभावित इस इलाके में रोजगार और नौकरी के लिए पलायन सबसे बड़ी समस्या है. यहां शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क-पुल और बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है.

सरफराज का सियासी सफर

सरफराज आलम अररिया से आरजेडी के टिकट पर जीतकर लोकसभा पहुंचे. वे आरजेडी के वरिष्ठ नेता मो. तस्लीमुद्दीन के बेटे हैं. इससे पहले विधायक के रूप में सरफराज आलम सियासत में उतरे थे. साल 2000 में आरजेडी के टिकट पर और 2010 और 2015 में वे जेडीयू के टिकट पर जोकीहाट सीट से जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचे थे. 2016 में उन्हें जेडीयू से सस्पेंड कर दिया गया. फरवरी 2018 में सरफराज आलम फिर आरजेडी में शामिल हो गए. 

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

लोकसभा सदस्य के रूप में सरफराज की उपस्थिति 82 फीसदी रही. इस दौरान उन्होंने सदन में कुल 11 सवाल पूछे. हालांकि वे किसी भी चर्चा में शामिल नहीं हुए और न ही कोई प्राइवेट मेंबर बिल लाया.

प्रदीप सिंह के समक्ष जीतने की चुनौती

विधानसभा से संसद तक का सफर तय करनेवाले पूर्व सांसद प्रदीप कुमार सिंह के सामने इस बार भी 'माय' समीकरण से लड़ कर सीट निकालने की चुनौती होगी. प्रदीप कुमार सिंह ने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में लोकजनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार को हराया था. 

 


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