ETV Bharat / state

अररियाः 7 सालों से अधूरा पड़ा है पुल, जान जोखिम में डाल नदी पार करते हैं लोग - बिहार महासमर 2020

जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र के डभड़ा पंचायत में नदी पर पुल नहीं होने स्थानीय लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. नदी पर 7 साल पहले पुल का निर्माण शुरू हुआ था, लेकिन आज तक बनकर तैयार नहीं हो सका है.

अररिया
अररिया
author img

By

Published : Nov 1, 2020, 7:16 PM IST

Updated : Nov 13, 2020, 10:47 AM IST

अररियाः जिले के जोकीहाट प्रखंड के मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर बसे डभड़ा पंचायत में पिछले सात वर्षों से दोमोहना और तमकुलिया घाट पर दो पुल अधूरा खड़ा है. लोग आज भी मुसीबतों भरे रास्ते से अपने घर जाने को मजबूर हैं. एक दर्जन से अधिक गांव पिछले कई दशकों से टापू का रूप लिए हुए है. हजारों की आबादी सिर्फ एक नाव के सहारे नदी पार करने को मजबूर हैं.

नदी पर बना अधूरा पुल
नदी पर बना अधूरा पुल

"पुल नहीं बनने से दोमहना, दभड़ा, दक्षिणटोला, बलुटोल, मेहंदीनगर, नौखरिया, मालोपाड़ा, पिपरा, बाड़ा, सिसुआ, मण्डलटोला और रुपैली सहित अन्य गांव के हजारों लोग प्रभावित हैं." - स्थानीय

देखें वीडियो

लोगों को चुनावी वादों पर नहीं है भरोसा
स्थानीय लोगों ने बताया कि पुल के शिलान्यास और काम शुरू होने से उम्मीद जगी थी. लेकिन काम शुरू होने के 7 सालों के बाद भी पुल अधूरा पड़ा है. दोमोहना से हड़वा चौक तक सड़क का हाल जर्जर है. इस ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया, लेकिन चुनाव में सभी विकास की बात करते हैं. जो हकीकत में सिर्फ चुनावी वादे होते हैं.'

4 दशक से एक ही परिवार से हैं विधायक
बता दें कि यह इलाका जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में आता है. यह सीट इन दिनों चर्चा में भी है. सीमांचल के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन के बड़े बेटे सरफराज आलम और छोटे बेटे शाहनवाज आलम चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं. एक-दो चुनाव छोड़ दें तो जोकीहाट विधानसभा सीट पर पिछले 4 दशक से तस्लीमुद्दीन के परिवार का कब्जा रहा है.

तस्लीमुद्दीन के दोनों बेटे आमने-सामने
इस चुनाव में परिस्थितियां बदली हुए हैं. सरफराज आलम आरजेडी से मैदान में हैं तो उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम ने एआईएमआईएम के टिकट पर दावा ठोक दिया है. दोनों भाई यहां से विधायक भी रह चुके हैं और विकास की बात कर रहे हैं. लेकिन कई इलाके अभी भी विकास से अछूते हैं.

अररियाः जिले के जोकीहाट प्रखंड के मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर बसे डभड़ा पंचायत में पिछले सात वर्षों से दोमोहना और तमकुलिया घाट पर दो पुल अधूरा खड़ा है. लोग आज भी मुसीबतों भरे रास्ते से अपने घर जाने को मजबूर हैं. एक दर्जन से अधिक गांव पिछले कई दशकों से टापू का रूप लिए हुए है. हजारों की आबादी सिर्फ एक नाव के सहारे नदी पार करने को मजबूर हैं.

नदी पर बना अधूरा पुल
नदी पर बना अधूरा पुल

"पुल नहीं बनने से दोमहना, दभड़ा, दक्षिणटोला, बलुटोल, मेहंदीनगर, नौखरिया, मालोपाड़ा, पिपरा, बाड़ा, सिसुआ, मण्डलटोला और रुपैली सहित अन्य गांव के हजारों लोग प्रभावित हैं." - स्थानीय

देखें वीडियो

लोगों को चुनावी वादों पर नहीं है भरोसा
स्थानीय लोगों ने बताया कि पुल के शिलान्यास और काम शुरू होने से उम्मीद जगी थी. लेकिन काम शुरू होने के 7 सालों के बाद भी पुल अधूरा पड़ा है. दोमोहना से हड़वा चौक तक सड़क का हाल जर्जर है. इस ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया, लेकिन चुनाव में सभी विकास की बात करते हैं. जो हकीकत में सिर्फ चुनावी वादे होते हैं.'

4 दशक से एक ही परिवार से हैं विधायक
बता दें कि यह इलाका जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में आता है. यह सीट इन दिनों चर्चा में भी है. सीमांचल के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन के बड़े बेटे सरफराज आलम और छोटे बेटे शाहनवाज आलम चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं. एक-दो चुनाव छोड़ दें तो जोकीहाट विधानसभा सीट पर पिछले 4 दशक से तस्लीमुद्दीन के परिवार का कब्जा रहा है.

तस्लीमुद्दीन के दोनों बेटे आमने-सामने
इस चुनाव में परिस्थितियां बदली हुए हैं. सरफराज आलम आरजेडी से मैदान में हैं तो उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम ने एआईएमआईएम के टिकट पर दावा ठोक दिया है. दोनों भाई यहां से विधायक भी रह चुके हैं और विकास की बात कर रहे हैं. लेकिन कई इलाके अभी भी विकास से अछूते हैं.

Last Updated : Nov 13, 2020, 10:47 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.