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Shardiya Navratri 2023 : नेपाल के संसारी माता का मंदिर भारतीयों के भी आस्था का केंद्र, शक्तिपीठ के रूप में है मान्यता

नेपाल के संसारी माता का मंदिर शक्तिपीठ के रूप में विख्यात है. यहां सैकड़ों वर्षों से माता की पूजा हो रही है. मान्याता है कि इस मंदिर में मांगी गई सारी मुराद पूरी होती है. इसलिए भारत से भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में जाते हैं. पढ़ें पूरी खबर..

नेपाल स्थित संसारी माता का मंदिर
नेपाल स्थित संसारी माता का मंदिर
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 21, 2023, 8:46 PM IST

नेपाल स्थित संसारी माता का मंदिर

अररिया : आस्था लोगों को सीमा के बंधन से मुक्त कर देती है. यही कारण है कि देश की सीमा भी आस्था को बांध के नहीं रख सकी है. बिहार का अररिया जिला नेपाल की सीमा से सटा हुआ है और यहां से कुछ किलोमीटर दूर ही पड़ोसी देश नेपाल में प्रसिद्ध शक्तिपीठ संसारी माता का मंदिर है. इसीलिए देश की सीमा से परे जाकर भी भारत के हजारों श्रद्धालु नेपाल स्थित संसारी माता के मंदिर में पूजा करने के लिए और मन्नत मांगने पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ें : Shardiya Navratri 2023 : अररिया के कुआड़ी दुर्गा मंदिर में पूरी होती है हर मुराद, यहां 150 वर्षों से हो रही है पूजा

श्रद्धालुओं की सभी मुराद होती है पूरी : नेपाल जाकर पूजा करने के पीछे सिर्फ लोगों की माता के प्रति अगाध आस्था ही कारण है. संसारी माता का मंदिर अररिया जिले की सिकटी सीमा से सटा हुआ नेपाल का सबसे बड़ा रंगेली बाजार है. यहां बाजार के करीब ही संसारी माता का एक मंदिर है. कहने को तो यह मंदिर है, लेकिन यहां मंदिरों जैसी भव्यता नजर नहीं आती है, बल्कि पेड़ के नीचे मंदिर का एक छोटा स्वरूप दिया गया है. मंदिर के पुजारी कृष्ण कोइराला ने बताया कि इस पेड़ का नाम पाखड़ है.

मंदिर में स्थापित संसारी माता
मंदिर में स्थापित संसारी माता

"यह पेड़ कब से है. इसकी जानकारी अभी तक सही तरीके से लोगों को नहीं हो पाई है. इस पेड़ से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. लोग इस पेड़ की टहनियों को सुरक्षित रखते हैं. उन्होंने बताया कि इस मंदिर में मुराद मांगने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. मान्यता है कि 90 दिनों के अंदर मांगी मुराद पूरी होती है. ये शक्तिपीठ मंदिर है. इस जगह मां भगवती का वास है, जो सभी का कल्याण करती है."- पंडित कृष्ण कोइराला, पुजारी, संसारी माता मंदिर, रंगेली नेपाल

संसारी माता का मंदिर का वह पेड़ जिसमें है देवी का वास
संसारी माता का मंदिर का वह पेड़ जिसमें है देवी का वास

पेड़ में है संसारी माता का वास : वहीं मंदिर कमिटी के उपाध्यक्ष रामचंद्र मंडल ने बताया कि इस पेड़ में ही संसारी माता का वास है. ये ही शक्ति पीठ है जो पूरे संसार का कल्याण करती हैं. इसलिए इस पेड़ को हमलोग संरक्षित करते हैं. कोशिश रहती है कि पेड़ को कोई नुकसान नहीं हो. उन्होंने बताया कि यहां एकादशी के दिन बलि दी जाती है. शनिवार और मंगलवार को 300 से अधिक बलि दी जाती है. एक खास बात ये है कि बलि दिए गए मांस के प्रसाद को मंदिर कैम्पस में ही बना कर ग्रहण करना होता है. इसे बाहर नहीं ले जाया जाता है.

"इस मंदिर को काफी भूमि उपलब्ध है. इसलिए नेपाल सरकार इस जगह को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है. इसलिए इस विशाल परिसर में 85 किचन के साथ बड़े बड़े डाइनिंग हॉल के साथ श्रद्धालुओं के बैठने के लिए हवा महल का निर्माण किया गया है जो लगभग पूरा हो गया है. इस कार्य के लिए नेपाल सरकार ने 16 करोड़ की राशि भी दी है."- रामचंद्र मंडल, उपाध्यक्ष, संसारी माता मंदिर कमेटी

संसारी माता का मंदिर
संसारी माता का मंदिर

इंडो-नेपाल सीमा से सिर्फ 2 किलोमीटर की दूरी पर है मंदिर : रामचंद्र मंडल ने बताया कि इंडो-नेपाल सीमा से इसकी दूरी महज दो किलोमीटर के करीब है. इसलिए इस मंदिर में भारतीय क्षेत्र से हजारों की संख्या में रोजाना श्रद्धालु आते हैं. दुर्गा पूजा के अवसर पर यहां भव्य मेला भी लगता है. यह मंदिर शक्तिपीठ है, इसलिए यहां सभी मनोकामना पूर्ण होती है और जो भी मंदिर परिसर के अंदर प्रवेश करता है वह एक सुरक्षा कवच में घिर जाता है.

नेपाल स्थित संसारी माता का मंदिर

अररिया : आस्था लोगों को सीमा के बंधन से मुक्त कर देती है. यही कारण है कि देश की सीमा भी आस्था को बांध के नहीं रख सकी है. बिहार का अररिया जिला नेपाल की सीमा से सटा हुआ है और यहां से कुछ किलोमीटर दूर ही पड़ोसी देश नेपाल में प्रसिद्ध शक्तिपीठ संसारी माता का मंदिर है. इसीलिए देश की सीमा से परे जाकर भी भारत के हजारों श्रद्धालु नेपाल स्थित संसारी माता के मंदिर में पूजा करने के लिए और मन्नत मांगने पहुंचते हैं.

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श्रद्धालुओं की सभी मुराद होती है पूरी : नेपाल जाकर पूजा करने के पीछे सिर्फ लोगों की माता के प्रति अगाध आस्था ही कारण है. संसारी माता का मंदिर अररिया जिले की सिकटी सीमा से सटा हुआ नेपाल का सबसे बड़ा रंगेली बाजार है. यहां बाजार के करीब ही संसारी माता का एक मंदिर है. कहने को तो यह मंदिर है, लेकिन यहां मंदिरों जैसी भव्यता नजर नहीं आती है, बल्कि पेड़ के नीचे मंदिर का एक छोटा स्वरूप दिया गया है. मंदिर के पुजारी कृष्ण कोइराला ने बताया कि इस पेड़ का नाम पाखड़ है.

मंदिर में स्थापित संसारी माता
मंदिर में स्थापित संसारी माता

"यह पेड़ कब से है. इसकी जानकारी अभी तक सही तरीके से लोगों को नहीं हो पाई है. इस पेड़ से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. लोग इस पेड़ की टहनियों को सुरक्षित रखते हैं. उन्होंने बताया कि इस मंदिर में मुराद मांगने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. मान्यता है कि 90 दिनों के अंदर मांगी मुराद पूरी होती है. ये शक्तिपीठ मंदिर है. इस जगह मां भगवती का वास है, जो सभी का कल्याण करती है."- पंडित कृष्ण कोइराला, पुजारी, संसारी माता मंदिर, रंगेली नेपाल

संसारी माता का मंदिर का वह पेड़ जिसमें है देवी का वास
संसारी माता का मंदिर का वह पेड़ जिसमें है देवी का वास

पेड़ में है संसारी माता का वास : वहीं मंदिर कमिटी के उपाध्यक्ष रामचंद्र मंडल ने बताया कि इस पेड़ में ही संसारी माता का वास है. ये ही शक्ति पीठ है जो पूरे संसार का कल्याण करती हैं. इसलिए इस पेड़ को हमलोग संरक्षित करते हैं. कोशिश रहती है कि पेड़ को कोई नुकसान नहीं हो. उन्होंने बताया कि यहां एकादशी के दिन बलि दी जाती है. शनिवार और मंगलवार को 300 से अधिक बलि दी जाती है. एक खास बात ये है कि बलि दिए गए मांस के प्रसाद को मंदिर कैम्पस में ही बना कर ग्रहण करना होता है. इसे बाहर नहीं ले जाया जाता है.

"इस मंदिर को काफी भूमि उपलब्ध है. इसलिए नेपाल सरकार इस जगह को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है. इसलिए इस विशाल परिसर में 85 किचन के साथ बड़े बड़े डाइनिंग हॉल के साथ श्रद्धालुओं के बैठने के लिए हवा महल का निर्माण किया गया है जो लगभग पूरा हो गया है. इस कार्य के लिए नेपाल सरकार ने 16 करोड़ की राशि भी दी है."- रामचंद्र मंडल, उपाध्यक्ष, संसारी माता मंदिर कमेटी

संसारी माता का मंदिर
संसारी माता का मंदिर

इंडो-नेपाल सीमा से सिर्फ 2 किलोमीटर की दूरी पर है मंदिर : रामचंद्र मंडल ने बताया कि इंडो-नेपाल सीमा से इसकी दूरी महज दो किलोमीटर के करीब है. इसलिए इस मंदिर में भारतीय क्षेत्र से हजारों की संख्या में रोजाना श्रद्धालु आते हैं. दुर्गा पूजा के अवसर पर यहां भव्य मेला भी लगता है. यह मंदिर शक्तिपीठ है, इसलिए यहां सभी मनोकामना पूर्ण होती है और जो भी मंदिर परिसर के अंदर प्रवेश करता है वह एक सुरक्षा कवच में घिर जाता है.

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