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अररिया में एक दिवसीय जलसे का आयोजन, शिक्षा, दहेज, नशा मुक्ति जैसे मुद्दे पर दिया गया संदेश

अररिया में एक दिवसीय जलसे का आयोजन किया गया, जिसमें शिक्षा, दहेज, नशा मुक्ति जैसे मुद्दे को लेकर संदेश दिया गया. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Nov 29, 2022, 9:52 PM IST

अररिया में एक दिवसीय जलसे का आयोजन
अररिया में एक दिवसीय जलसे का आयोजन

अररियाः बिहार के अररिया में इमारते शरिया बिहार, उड़ीसा और झारखंड फुलवारी शरीफ पटना के सौजन्य से मंगलवार को एक अजीमुश शान जलसे का आयोजन (One day Jalsa in Araria) किया गया, जिसकी सदारत पहली बार अररिया पहुंचे इमारतें शरिया के अमीर ए शरीयत मौलाना सैयद अहमद वली फैसल रहमानी (Maulana Syed Ahmad Wali Faisal Rahmani) ने की. जलसा को दो सत्रों में आयोजित किया गया था. पहला सत्र दिन के नौ बजे से चार बजे तक चला. जबकि दूसरा सत्र शाम पांच बजे से रात के ग्यारह बजे तक चला. जलसा के पहले सत्र में जिला से तकरीबन पांच हजार उलमा, मस्जिद के इमाम और मदरसा के उस्ताद शामिल थे.

ये भी पढ़ें-सांसद अशफाक करीम की अपील- सर्वसम्मति से हो इमारते शरिया के अमीर का चुनाव

अररिया में एक दिवसीय जलसे का आयोजन


दो सत्रों में जलसे का हुआ आयोजनः पहले तरबियती सत्र में मौजूद लोगों उनकी जिम्मादारी और समाज में भूमिका के बारे में उलमाओं द्वारा जानकारी देकर प्रशिक्षित किया गया. मौके पर तरबियती सत्र में मौजूद लोगों को बताया गया की अगर दुनिया और आखेरत दोनों में कामयाब होना चाहते हैं तो हमसब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मजबूती से थामे और आपस में कोई भेद भाव नहीं करें.

मौके पर जलसा की सदारत कर रहे मुख्य अतिथि अमीर ए शरीयत मौलाना सैय्यद अहमद वली फैसल रहमानी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा की इस्लाम एक मुकम्मल निजाम ए हयात है. इसका दायरा महज इबादत और मामलात तक ही सीमित नहीं है. बल्कि जिंदगी के तमाम शोबों में है. उन्होंने कहा की पूरी दुनिया में अमन शांति आपसी प्रेम सद्भाव और भाईचारगी की आज बेहद जरूरत है.

समाज को ठीक करने की जिम्मेदारी सबों की हैः बदलते हालत में समाज में जो खराबी आ रही है, उसे ठीक करने की जिम्मेदारी सबों की है. आज अपने घर, परिवार, समाज और मुल्क के लिए सबको सोचने की जरूरत है. तालीमी बेदारि, निकाह, दहेज, तलाक, भेदभाव, दूसरे की हकमारी और तमाम तरह की सामाजिक कुरीतियां के खिलाफ एक जुट होकर काम करने की जरूरत है.

गुनाह जहन्नुम की तरफ ले जाताः मौलाना फैसल रहमानी ने कहा इस्लाम मजहब में आपस में कोई भेदभाव नहीं है. इसलिए सबलोग आपस में मिलजुलकर रहें. उन्होंने कहा जहालत एक गुनाह है और गुनाह जहन्नुम की तरफ ले जाता है। मौके पर नायब अमीर ए शरीयत मौलाना शमशाद रहमानी ने बताया की इमारत ए शरिया अपने सामाजिक कार्यों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. आज इमारतें शरिया की 83 दारुल कजा काम कर रही है, जहां हजारों आपसी विवाद का निपटारा कराया जाता है.

गरीब और जरूरतमदों की मदद करेंः इसके अलावा इमारतें शरिया शिक्षा, सामाजिक कार्य, आपदा विपदा, गरीब और जरूरतमदों की मदद के अलावा, दारुल कजा, दारुल इफ्ताह, बैतूल माल के जरिया लाखों लोगों की मदद करता है. मौके पर मौलाना सिबली अल कासमी ने इमरते शरिया के कार- करदगी को विस्तार से लोगों के बीच रखा. प्रथम सत्र के जलसे का संचालन इमारतें शरिया के नायब नाजिम मुफ्ती सोहराब नदवी ने की.

मौके पर कई लोग थे मौजूदः मौके पर अररिया के मौलाना तारिक बीन शाकिब के द्वारा अमीर ए शरीयत को एक इस्लामिक तोगरा उपहार स्वरूप दिया गया. मौके पर मौलाना शाहिद आदिल मुफ्ती, इनामुल बारी, मुफ्ती हुमायूं इकबाल, मौलाना मोसववीर आलम, अल्हाज एकरामुल हक, मौलाना आरिफ कासमी, कारी नियाज कासमी, अरशद अनवर अलिफ के अलावा अन्य लोग भी मंच पर मौजूद थे. जबकि पंडाल में तकरीबन पांच हजार उलमा, ईमाम और मदरसा के उस्ताद मौजूद थे.

अररियाः बिहार के अररिया में इमारते शरिया बिहार, उड़ीसा और झारखंड फुलवारी शरीफ पटना के सौजन्य से मंगलवार को एक अजीमुश शान जलसे का आयोजन (One day Jalsa in Araria) किया गया, जिसकी सदारत पहली बार अररिया पहुंचे इमारतें शरिया के अमीर ए शरीयत मौलाना सैयद अहमद वली फैसल रहमानी (Maulana Syed Ahmad Wali Faisal Rahmani) ने की. जलसा को दो सत्रों में आयोजित किया गया था. पहला सत्र दिन के नौ बजे से चार बजे तक चला. जबकि दूसरा सत्र शाम पांच बजे से रात के ग्यारह बजे तक चला. जलसा के पहले सत्र में जिला से तकरीबन पांच हजार उलमा, मस्जिद के इमाम और मदरसा के उस्ताद शामिल थे.

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अररिया में एक दिवसीय जलसे का आयोजन


दो सत्रों में जलसे का हुआ आयोजनः पहले तरबियती सत्र में मौजूद लोगों उनकी जिम्मादारी और समाज में भूमिका के बारे में उलमाओं द्वारा जानकारी देकर प्रशिक्षित किया गया. मौके पर तरबियती सत्र में मौजूद लोगों को बताया गया की अगर दुनिया और आखेरत दोनों में कामयाब होना चाहते हैं तो हमसब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मजबूती से थामे और आपस में कोई भेद भाव नहीं करें.

मौके पर जलसा की सदारत कर रहे मुख्य अतिथि अमीर ए शरीयत मौलाना सैय्यद अहमद वली फैसल रहमानी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा की इस्लाम एक मुकम्मल निजाम ए हयात है. इसका दायरा महज इबादत और मामलात तक ही सीमित नहीं है. बल्कि जिंदगी के तमाम शोबों में है. उन्होंने कहा की पूरी दुनिया में अमन शांति आपसी प्रेम सद्भाव और भाईचारगी की आज बेहद जरूरत है.

समाज को ठीक करने की जिम्मेदारी सबों की हैः बदलते हालत में समाज में जो खराबी आ रही है, उसे ठीक करने की जिम्मेदारी सबों की है. आज अपने घर, परिवार, समाज और मुल्क के लिए सबको सोचने की जरूरत है. तालीमी बेदारि, निकाह, दहेज, तलाक, भेदभाव, दूसरे की हकमारी और तमाम तरह की सामाजिक कुरीतियां के खिलाफ एक जुट होकर काम करने की जरूरत है.

गुनाह जहन्नुम की तरफ ले जाताः मौलाना फैसल रहमानी ने कहा इस्लाम मजहब में आपस में कोई भेदभाव नहीं है. इसलिए सबलोग आपस में मिलजुलकर रहें. उन्होंने कहा जहालत एक गुनाह है और गुनाह जहन्नुम की तरफ ले जाता है। मौके पर नायब अमीर ए शरीयत मौलाना शमशाद रहमानी ने बताया की इमारत ए शरिया अपने सामाजिक कार्यों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. आज इमारतें शरिया की 83 दारुल कजा काम कर रही है, जहां हजारों आपसी विवाद का निपटारा कराया जाता है.

गरीब और जरूरतमदों की मदद करेंः इसके अलावा इमारतें शरिया शिक्षा, सामाजिक कार्य, आपदा विपदा, गरीब और जरूरतमदों की मदद के अलावा, दारुल कजा, दारुल इफ्ताह, बैतूल माल के जरिया लाखों लोगों की मदद करता है. मौके पर मौलाना सिबली अल कासमी ने इमरते शरिया के कार- करदगी को विस्तार से लोगों के बीच रखा. प्रथम सत्र के जलसे का संचालन इमारतें शरिया के नायब नाजिम मुफ्ती सोहराब नदवी ने की.

मौके पर कई लोग थे मौजूदः मौके पर अररिया के मौलाना तारिक बीन शाकिब के द्वारा अमीर ए शरीयत को एक इस्लामिक तोगरा उपहार स्वरूप दिया गया. मौके पर मौलाना शाहिद आदिल मुफ्ती, इनामुल बारी, मुफ्ती हुमायूं इकबाल, मौलाना मोसववीर आलम, अल्हाज एकरामुल हक, मौलाना आरिफ कासमी, कारी नियाज कासमी, अरशद अनवर अलिफ के अलावा अन्य लोग भी मंच पर मौजूद थे. जबकि पंडाल में तकरीबन पांच हजार उलमा, ईमाम और मदरसा के उस्ताद मौजूद थे.

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