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सरकारी अनदेखी के कारण अपनी पहचान खोता जा रहा अररिया का सबसे बड़ा मवेशी हाट

जिले का ये मवेशी हाट आजादी से पहले से लगाया जा रहा है. एक समय में यह जिले के आर्थिक सहयोग का एक बहुत बड़ा स्रोत हुआ करता था. लेकिन अब इसकी स्थिति खराब हो चुकी है.

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Published : Mar 6, 2020, 9:08 PM IST

araria
मवेशी हाट

अररिया: जिले के चंद्रदेई पंचायत में लगने वाला सबसे बड़ा मवेशी हाट अब अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. 50 एकड़ में लगने वाला यह मवेशी हाट अब सिमटकर सिर्फ 4 से 5 एकड़ में रह गया है. मवेशी व्यापारी बताते हैं कि आर्थिक तंगी के कारण हाट की ये स्थिति बन गई है.

हाट से प्रशासन को मिलता था टैक्स
मवेशी व्यापारियों का कहना है कि हाट की स्थिति सरकार की नीतियों की वजह से खराब हुई है. वहीं, चंद्रदेई पंचायत के मुखिया आसिफुर रहमान बताते हैं कि लोग अब हाट में आने से डरते हैं. इसी कारण हाट अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. उन्होंने बताया कि जब बाजार समिति हुआ करती थी तब जिला प्रशासन को हाट से टैक्स के रूप में एक मोटी रकम मिलती थी. लेकिन बाजार समिति के खत्म हो जाने के बाद प्रशासन को राशि मिलनी बंद हो गई. जिससे प्रशासन ने इस ओर ध्यान देना छोड़ दिया.

देखें रिपोर्ट

हाट में होती थी मवेशियों की बिक्री
बता दें कि जिले का ये मवेशी हाट आजादी से पहले से लगाया जा रहा है. यहां साल में एक बार मेला भी लगता है. जिसमें पूरे जिले से लोग राशन-पानी खरीदने आते थे. हाट में हाथी, घोड़े, ऊंट, भैंस, गाय, बैल, भेड़ और बकरियों की खरीद-बिक्री बड़े पैमाने पर होती थी. ये मवेशी हाट कभी जिले के लिए आर्थिक सहयोग का एक बहुत बड़ा स्रोत हुआ करता था. लेकिन अब इसकी स्थिति खराब हो चुकी है.

अररिया: जिले के चंद्रदेई पंचायत में लगने वाला सबसे बड़ा मवेशी हाट अब अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. 50 एकड़ में लगने वाला यह मवेशी हाट अब सिमटकर सिर्फ 4 से 5 एकड़ में रह गया है. मवेशी व्यापारी बताते हैं कि आर्थिक तंगी के कारण हाट की ये स्थिति बन गई है.

हाट से प्रशासन को मिलता था टैक्स
मवेशी व्यापारियों का कहना है कि हाट की स्थिति सरकार की नीतियों की वजह से खराब हुई है. वहीं, चंद्रदेई पंचायत के मुखिया आसिफुर रहमान बताते हैं कि लोग अब हाट में आने से डरते हैं. इसी कारण हाट अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. उन्होंने बताया कि जब बाजार समिति हुआ करती थी तब जिला प्रशासन को हाट से टैक्स के रूप में एक मोटी रकम मिलती थी. लेकिन बाजार समिति के खत्म हो जाने के बाद प्रशासन को राशि मिलनी बंद हो गई. जिससे प्रशासन ने इस ओर ध्यान देना छोड़ दिया.

देखें रिपोर्ट

हाट में होती थी मवेशियों की बिक्री
बता दें कि जिले का ये मवेशी हाट आजादी से पहले से लगाया जा रहा है. यहां साल में एक बार मेला भी लगता है. जिसमें पूरे जिले से लोग राशन-पानी खरीदने आते थे. हाट में हाथी, घोड़े, ऊंट, भैंस, गाय, बैल, भेड़ और बकरियों की खरीद-बिक्री बड़े पैमाने पर होती थी. ये मवेशी हाट कभी जिले के लिए आर्थिक सहयोग का एक बहुत बड़ा स्रोत हुआ करता था. लेकिन अब इसकी स्थिति खराब हो चुकी है.

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