अररियाः बिहार के अररिया जिले के सदर अस्पताल कैम्पस में ही एक आधुनिक मॉडल अस्पताल बनकर तैयार हो गया है. इस अस्पताल में 300 मरीजों के इलाज के लिए जगह होगी. हॉस्पिटल में वो सारी आधुनिक सुविधाएं होगी जो महानगरों के बड़े अस्पतालों में होती है. अस्पताल का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 26 दिसंबर को ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कर दिया है. उम्मीद है कि 14 जनवरी के बाद इसे चालू कर दिया जाएगा.
43 करोड़ की लागत से बना हॉस्पिटलः इस तीन मंजिले अस्पताल को बनाने में स्वास्थ्य विभाग ने लगभग 43 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. यह जिले का एकमात्र ऐसा अस्पताल होगा जहां आने वाले मरीजों को एक ही छत के नीचे सारी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगीं. जिला स्वास्थ्य विभाग ने उम्मीद जताई है कि इस मॉडल हॉस्पिटल को साल के पहले महीने में आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा. वजह ये है कि अभी हॉस्पिटल के अंदर मशीनों को इंस्टाल करना बाकी है.
गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सुविधा ः मॉडल अस्पताल का पहला व मुख्य भवन बनकर तैयार हो गया है, लेकिन एमसीएच हॉस्पिटल का भवन निर्माधिन है. स्वास्थ्य विभाग उम्मीद जता रहा है कि इस भवन का भी कार्य 2024 में पूरा कर लिया जाएगा. इसके पूरा होते ही गर्भवती महिलाओं के साथ नवजात शिशुओं के लिए सेवा कार्य शुरू हो जाएगा. इस अस्पताल में बच्चे और गर्भवती महिलाओं को विशेष सुविधा मिलने लगेगी.
42 बेड वाला होगा पीकू वार्डः सदर अस्पताल के कैम्पस में बने इस मॉडल हॉस्पिटल को तीन भागों में बांटा गया है. अस्पताल का मुख्य भवन 100 बेड का है. उसके ठीक सटे पूरब की ओर एमसीएच यानी मदर एवं चाइल्ड का भवन है. इसकी भी क्षमता 100 बेड की है. कैम्पस में ही बच्चों के लिए विशेष 42 बेड वाला पीकू वार्ड भी तैयार है. इसके साथ ही इस मॉडल अस्पताल में गंभीर रोगियों के लिए 10 बेड का आईसीयू की भी सुविधा होगी.
50 बेड वाला आकस्मिक फील्ड वार्डः इसके साथ ही कैम्पस में 50 बेड वाला आकस्मिक फील्ड अस्पताल भी होगा. यह वार्ड किसी भी आपदा से लड़ने के लिए तैयार होगा. ये वार्ड भी आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा. जिला स्वास्थ्य समिति के प्रबंधक संतोष कुमार ने बताया कि इस मॉडल अस्पताल में मुख्य भवन के निचले तल्ले में ओपीडी, इमरजेंसी वार्ड, जांच के लिए पैथोलॉजी, दवा वितरण की व्यवस्था, मरीजों का रजिस्ट्रेशन और लोगों के बैठने के लिए खूबसूरत लॉबी होगा. पहले तल्ले पर तीन ऑपरेशन थेटर और ऑपरेशन हुए मरीजों का वार्ड, सीएसडीसी, आधुनिक लॉन्ड्री की व्यवस्था होगी. अस्पताल के दूसरे तल्ले पर जनरल मरीजों का वार्ड व मरीजों और हॉस्पिटल स्टाफ के लिए कैंटीन होगा.
पूरा अस्पताल भवन होगा वातानुकूलितः डीपीएम ने बताया कि इस मॉडल हॉस्पिटल की विशेषता है कि ये पूरा भवन वातानुकूलित होगा. पूरे भवन को एयरकंडीशन सुविधा प्रदान करने के लिए 250 टन का मशीन लगाया गया है. भवन के ऊपरी मंजिल तक रोगियों के आने जाने के लिए दो लिफ्ट लगाए गए हैं, उन्होंने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण सेवा आग से बचाव के लिए किया गया है, इसके लिए एक लाख लीटर का वॉटर टैंक लगाया गया है. इस अस्पताल से निकलने वाले गंदे पानी को साफ करने की भी व्यवस्था की गई है, ताकि अस्पताल से निकलने वाला गंदा पानी जमीन के नीचे के पानी को दूषित न करे.
"इस अस्पताल में आने वाले इमरजेंसी मरीजों के लिए तीन वर्गीकरण किया गया है. जिसको लाल, पिला और हरे में बांटा गया है. अगर मरीज ज्यादा गंभीर है उसे रेड की श्रेणी में रखा जाएगा. यलो को कम गंभीर और ग्रीन को सामान्य मरीजों की श्रेणी में रखा जाएगा. तीन श्रेणी रखने का मुख्य उद्देश्य है कि अस्पताल आने वाले मरीजों को कोई परेशानी नहीं हो. पूरा अस्पताल सेंट्रलाइज ऑक्सीजन सुविधा से लैस होगा. इसके लिए अस्पताल परिसर में दो ऑक्सीजन प्लांट कार्यरत है, एक कि क्षमता 200 एलएमटी और दूसरे की 600 एलएमटी का है"- संतोष कुमार, डीपीएम
अस्पताल में होंगे 46 चिकित्सकः वहीं, मॉडल अस्पताल को लेकर सिविल सर्जन डॉ विधान चंद्र सिंह ने बताया कि ये अस्पताल जिले का गौरव होगा. अस्पताल लगभग बनकर तैयार हो गया है. उम्मीद की जाती है कि नए वर्ष में इसे आम लोगों के लिए चालू कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि अभी तक इस अस्पताल के लिए नए डॉक्टरों और स्टाफ का एलॉटमेंट नहीं आया है, लेकिन पुराने एलॉटमेंट के हिसाब से इस अस्पताल में 46 चिकित्सक होंगे. जिनमें 3 सर्जन, 3 फिजिशियन, 3 स्त्री रोग विशेषज्ञ, 3 शिशु रोग विशेषज्ञ, एक नेत्र रोग विशेषज्ञ, एक हड्डी रोग विशेषज्ञ, 3 रेडियोलॉजिस्ट, 3 पैथोलोजिस्ट होंगे.
स्टाफ के रहने की होगा भवन का निर्माणः इसके साथ ही 15 जिडीएमओ डॉक्टर होंगे. इसके साथ पैरामेडिकल स्टाफ 100 के करीब होंगे. इसके साथ सबसे महत्वपूर्ण ये होगा कि एमबीबीएस के डॉक्टरों की शिशु रोग संबंधी पढ़ाई भी होगी. सीएस ने बताया कि अस्पताल के जितने भी स्टाफ होंगे उनके रहने के लिए भवन का निर्माण भी कैम्पस में कराया जाएगा.
"ये मॉडल हॉस्पिटल कैम्पस के मुख्य द्वार के सामने है. जहां से इमरजेंसी मरीजों की इंट्री होगी. सामान्य रोगियों के लिए पिछले हिस्से में प्रवेश द्वार बनाया गया है. जहां से वे सीधा रजिस्ट्रेशन कराकर ओपीडी में मौजूद डॉक्टर से मिल सकेंगे. दवा लेने के लिए दवा वितरण काउंटर भी अंदर ही उपलब्ध है"- डॉ विधान चंद्र सिंह, सिविल सर्जन
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