हैदराबाद : एशेज का खुमार अपने चरम पर पहुंच चुका है. क्रिकेट के जनक कहे जाने वाले इंग्लैड इस बार के एशेज का आयोजन करेगा. कह सकते हैं कि इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के लिए इस मुकाबले का महत्व वर्ल्ड कप से भी ज्यादा होता है. ये सीरीज दोनों टीमों के लिए उनके सम्मान की लड़ाई के तौर पर देखी जाती है. एशेज सबसे दिलचस्प, रोमांचक और पुरानी सीरीज में शुमार है. जितना अनोखा इसका नाम है उससे भी दिलचस्प इसके पीछे की कहानी है.
एशेज के शुरू होने की कहानी
इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टेस्ट 1877 में खेला गया था. इसके बाद कई बार ये दोनों ही टीमें टेस्ट मैचे खेल चुकी हैं. साल 1881-82 में इंग्लैड की टीम टेस्ट खेलने ऑस्ट्रेलिया गई थी.
गेंदबाजों का रहा बोल-बाला
पहली बार अपने घरेलू मैदान पर हारी इंग्लैंड
मीडिया ने की निंदा
एशेज राख वापस लाने में कामयाब रहा इंग्लैंड
उस वक्त कहा गया था कि इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया से एशेज राख वापस लाने जा रही है. उस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने पहला टेस्ट नौ विकेट से जीता था, लेकिन इंग्लैंड ने अगले दो मैच जीतने में कामयाब रहा. इंग्लैंड 3-1 से जीत कर टेस्ट में अपनी खोई हुई सत्ता हासिल करने में कामयाब रही.
कहा जाता है कि इस सीरीज में खेले गए आखरी टेस्ट मैच में इस्तेमाल की गई गिल्लियों को जला दिया गया था. ऑस्ट्रेलिया से लौटते समय, कुछ महिला फैंस ने अंग्रेजी कप्तान को ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों पर अपनी जीत की याद दिलाने के लिए एक यादगार के रूप में जले हुए क्रिकेट स्टंप की राख से भरा कलश भेंट किया था.
ब्लीग के लिए था ये उपहार
ये कलश कभी भी एशेज श्रृंखला की आधिकारिक ट्रॉफी नहीं रहा, ये ब्लीग के लिए एक व्यक्तिगत उपहार था. हालांकि, कलश की नकल अक्सर विजयी टीमों द्वारा एशेज श्रृंखला में उनकी जीत के प्रतीक के रूप में रखी जाती हैं.
अब तक कुल 63 एशेज मुकाबले
एशेज सीरीज इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के बीच लगभग साल खेला जाता है. अब तक कुल 63 एशेज सीरीज खेली जा चुकी है. ऑस्ट्रेलिया ने 32 तो इंग्लैड ने 31 एशेज अपने नाम किए और 5 ड्रॉ रहे हैं.
एक बार फिर ये दोनों टीमें एशेज के लिए भिड़ेंगी. हालांकि पिछेली बार एशेज में ऑस्ट्रेलिया ने जीत का परचम लहराया था लेकिन इस बार उनको कड़ी टक्कर देने के लिए पहली बार विश्व चैंपियन बनी इंग्लैंड होगी.