जॉर्जटाउन (अमेरिका) : अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के नए त्रिपक्षीय समझौते एयूकेयूएस को एएनजेडयूएस-2.0 करार दिया जा रहा है. लेकिन इसमें उल्लेखनीय रूप से न्यूजीलैंड को बाहर कर दिया गया है और उसकी जगह ब्रिटेन को शामिल किया गया हैं.
यह समझौता एएनजेडयूएस समझौते के प्रशांत महासागर पर ध्यान केंद्रित करने की नीति में बदलाव करता है और अब हिंद-प्रशांत के साथ-साथ अटलांटिक महासगर पर भी जोर देता है. यह समझौता वैश्विक पहुंच और अथाह और दीर्घकालिक असर वाला है. इस दूरगामी घोषणा के कई अघोषित मायने हैं.
महज 24 घंटे पहले ही पता चला कि एक बड़ी घोषणा की जाने वाली है. ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और अंतत: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की घोषणा से पहले इसके प्रचार वीडियो में बताया गया था कि तीनों देश लोकतांत्रिक हैं, जो उनकी एकीकृत विशेषता है.
वास्तविक स्थिति बताने से पहले तीनों देशों के लोगों को अंधेरे में रखा गया और इसके बजाय उनके समक्ष एक विश्वास को प्रस्तुत किया गया था. मॉरिसन ने घोषणा की कि एयूकेयूएस का जन्म हुआ है, जिसकी जानकारी पहले कुछ लोगों को ही थी.
एयूकेयूएस के साथ बरती गई गोपनीयता इसकी उपयोगिता को लेकर मुश्किल पैदा करने वाली है, खासतौर पर ऑस्ट्रेलिया के लिए. नेताओं द्वारा औपचारिक घोषणा से पहले इसकी रूपरेखा स्पष्ट तौर पर व्हाइट हाउस में होने वाली संवाददाता सम्मेलन में पेश किया गया. एयूकेयूएस की संभावना और लक्ष्य निर्णायक रूप से पीढ़ियों तक ऑस्ट्रेलिया को अमेरिका और ब्रिटेन के साथ जोड़ते हैं.
ऑस्ट्रेलिया के लिए महत्व को रेखांकित करते हुए अमेरिकी प्रवक्ता ने एयूकेयूएस को ऑस्ट्रेलिया द्वारा पीढियों बाद लिया गया, सबसे बड़ा रणनीतिक कदम करार दिया. एयूकेयूएस के बारे में अबतक जो घोषणा की गई है उसमें सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है कि ऑस्ट्रेलिया परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी प्राप्त करेगा.
अमेरिका और ब्रिटेन परमाणु प्रौद्योगिकी वर्ष 1958 में किए गए समझौते के तहत साझा करते रहे हैं. अगले 18 महीने में ब्रिटेन और अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया की परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी प्राप्त करने की इच्छा को पूरी करने में मदद करेंगे. एडिलेड में जल्द तीनों देशों की प्रौद्योगिकी और रणनीतिक टीम दिखेंगी, जो इन पनडुब्बियों के निर्माण पर काम करेंगी.
व्हाइट हाउस ने कहा कि इन पनडुब्बियों की मदद से ऑस्ट्रेलिया लंबे समय तक और समुद्र में शांत रहकर इनकी तैनाती कर सकेगा. ये अधिक क्षमता वाली होंगी और हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में अधिक स्थायी और मजबूत प्रतिरोधक क्षमता देंगी. तीनों नेताओं ने जोर देकर कहा कि ऑस्ट्रेलिया की परमाणु हथियार प्राप्त करने की कोई मंशा नहीं है लेकिन इस क्षमता का विकास सीमित एयूकेयूएस प्रणोदक लक्ष्य के लिए जरूरी है.
इस करार की वजह से ऑस्ट्रेलिया का फ्रांस के साथ पनडुब्बी बनाने का पूर्व में हुआ करार बेकार हो गया है लेकिन इसके लिए ऑस्ट्रेलियाई करदाताओं को भारी कीमत चुकानी होगी. एयूकेयूएस का एक अन्य तत्व संयुक्त क्षमता को बढ़ाने, गहरी सैन्य पारस्परिकता, रक्षा और विदेश नीति मामलों के अधिकारियों की बैठक और संपर्क का नया ढांचा बनाने और नई एवं उभर रहे युद्ध क्षेत्रों- जैसे साइबर, कुत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम प्रौद्योगिकी अभियान और समुद्र के भीतर की कुछ क्षमता प्राप्त करने से जुड़ा है.
ऑस्ट्रेलिया के रक्षा क्षमता में इस विशाल बदलाव और एयूकेयूएस साझेदारी की उत्पत्ति के बारे में आज की घोषणा में जानकारी नहीं दी गई. हालांकि बाइडेन ने एयूकेयूएस की मंशा पर संकेत यह कहकर दिया कि बेहतर है कि आज और कल के खतरों का सामना करें. इसमें कोई आशंका नहीं है कि यह रणनीति चीन के उदय को ध्यान में रखकर बनाई गई है.
यह ऑस्ट्रेलिया की कई गुणा सैन्य क्षमता बढा़ने के साथ एयूकेयूएस का दायरा मौजूदा साझेदारों और सहयोगियों को जोड़ना है. यह चीन के विशाल और तेजी से हो रहे वैश्विक विस्तार का मुकाबला करने के लिए वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था बन जाएगी. इसलिए एयूकेयूएस का ध्यान हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर है,जो पूर्वी प्रशांत महासागर से लेकर पूर्वी अफ्रीका के तट तक फैला है.
एयूकेयूएस को लेकर कई सवाल भी हैं. इनमें से एक है कि क्यों ब्रिटेन इस तरह हिंद-प्रशांत क्षेत्र के युद्ध मैदान में लौटा है, जो 1950 में रणनीतिक रूप से इसे छोड़ चुका था. जॉनसन की संक्षिप्त टिप्पणी के मुताबिक ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया को पीढियों से अर्जित पनडुब्बी प्रौद्योगिकी का ज्ञान देने के लिए शामिल हुआ है. उनके मुताबिक दोहरा लाभ है. इससे एक तो हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा मजबूत होगी जबकि दूसरा इससे पूरे ब्रिटेन में सैकड़ों की संख्या में उच्च कौशल वाले रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
ब्रिटेन का एयूकेयूएस में शामिल होना उसकी नई हिंद-प्रशांत रणनीति के झुकाव को इंगित करता है, जिसका जिक्र उसने 2021 रक्षा एवं विदेश नीति समीक्षा में किया था. एयूकेयूएस ने न्यूजीलैंड को कहां छोड़ा है? प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने न्यूजीलैंड वासियों को भरोसा दिया है कि वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ब्रिटेन और अमेरिका की भूमिका का स्वागत करेंगी.
गौरतलब है कि एयूकेयूएस का प्राथमिक मकसद ऑस्ट्रेलियाई बेड़े के लिए परमाणु पनडुब्बियों का निर्माण करना है. अर्डर्न का जोर रहा है कि न्यूजीलैंड का उसके क्षेत्र में परमाणु ऊर्जा चालित पोतों पर रोक की नीति में बदलाव नहीं हुआ है.
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यह स्वभाविक है कि चीन इस खबर पर तीखी प्रतिक्रिया दे और हाल में उसने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ व्यापार में दंडात्मक कार्रवाई की है. इसका असर कई गुना हो सकता है. ऑस्ट्रेलियाई बिना जानकारी और परामर्श के किए गए करार पर कैसी प्रतिक्रिया देंगे यह देखना रोचक होगा. अगर एएनजेडयूएस के साथ गत 70 साल के अनुभव को संकेत माना जाए तो प्रतिक्रिया तीखी और विभाजित होगी.
(पीटीआई-भाषा)