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दरभंगाः ग्रामीण चिकित्सकों को कोविड-19 के इलाज के लिए दिया गया ऑनलाइन प्रशिक्षण

दरभंगा के ग्रामीण क्षेत्र के चिकित्सकों को कोविड-19 के रोकथाम एवं इलाज के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया. इसकी पहल बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की ओर से की गई थी.

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Published : Apr 26, 2021, 7:35 PM IST

दरभंगाः बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के द्वारा कोविड-19 के रोकथाम एवं इलाज के लिए जिले के ग्रामीण चिकित्सकों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कार्यशाला है. कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. इसलिए जमीनी स्तर के हेल्थ केयर को मजबूत करना जरूरी है.

ये भी पढ़ेंः कोरोना को मिलेगी मात: मुश्किल घड़ी में अमेरिका सहित अन्य राष्ट्रों ने बढ़ाया सहयोग का हाथ

डीएम ने कहा ‘ग्रामीण क्षेत्र के चिकित्सा प्रेक्टिशनरों का चिकित्सा के क्षेत्र में खास योगदान होता है. उनके द्वारा कोरोना के मरीज को सही समय पर सही सलाह देना आवश्यक है. मरीज को देखने के समय इस बीमारी को इतना भयानक नहीं बताना चाहिए.’

ग्रामीण चिकित्सकों को प्रशिक्षित करना आवश्यक
उन्होंने कहा कि अधिकतर कोरोना संक्रमित होम आइसोलेशन में ठीक हो जाते है, ऐसा देखा जा रहा है कि जिनका ऑक्सीजन लेवल (SPO2)-98 से 95 हो जाता है, तो लोग भयभीत हो जाते हैं और हॉस्पिटल की ओर रूख करते हैं. चिकित्सक द्वारा पूर्जा पर मरीज को वेंटिलेटर और रेमडीसिविर लेने की सलाह दी जाती है. लोगों में यह एक धारणा बन गयी है कि रेमडिसिविर कोरोना की जादुई दवा है.

उन्होंने ग्रामीण चिकित्सकों से कहा कि मरीजों को ऐसी सुझाव न दे. मरीज को वेंटिलेटर की आवश्यकता तभी पड़ती है, जब SPO2-95 फीसदी के नीचे आ जाता है और सांस लेने में तकलीफ होती है. उस समय ऑक्सीजन का सुझाव देना चाहिए.

कोविड गाइडलाइन का करें पालन
डीएम डॉ. त्यागराजन ने कहा कि ऑक्सीजन का कहीं भी भंडारण नहीं किया जाना चाहिए, यदि इसका भंडारण किया जाएगा, तो जिन लोगों को आवश्यकता है, उनके लिए कमी हो जाएगी. उन्होंने चिकित्सकों को कहा कि जिस परिस्थिति के लिए, जिस दवा की आवश्यकता है, वही दिया जाए और मरीज को भयभीत नहीं होने की सलाह दी जाए.

उन्होंने कहा कि कोरोना के विभिन्न स्टेज के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा ट्रीटमेन्ट प्रॉटोकॉल जारी किया गया है. इसकी पूरी जानकारी अच्छी तरह से ले ली जाए. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए मास्क के प्रयोग और सामाजिक दूरी का अनुपालन के लिए लोगों को जागरूक करने के साथ ही लोगो को टीकाकरण के लिए भी प्रेरित करें.

डीएम ने कहा कि कोविड-19 के प्रति जागरूकता के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे आईईसी को पहले खुद समझे, इसके बाद लोगों को समझायें. सरकार द्वारा Twitter, Facebook & Instagram पर आईईसी के माध्यम से कोरोना के लिए आवश्यक सलाह दी जा रही है, जिसे फॉलो करना चाहिए.

डीएम ने कोरोना की दूसरी लहर पर डाला प्रकाश
डीएम ने ग्रामीण चिकित्सकों को बताया कि कोरोना का संक्रमण कैसे फैलता है और कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर से किस तरह अलग है. यह कैसे प्रकट होता है, इसके कौन-कौन से लक्षण हैं. कोरोना मरीजों की आपतकालीन चिकित्सीय देखभाल कब की जानी है. माइल्ड कोरोना केस में देखभाल करने के लिए घरेलू उपचार के संबंध में भी बताया गया. साथ ही माईल्ड, मॉडरेट एवं सेवियर कोरोना के मामलें से सबों को अवगत कराया गया और सिभियर मामले में समय पर रेफर करने का महत्व समझाया गया.

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की संबद्ध संस्था केयर इण्डिया के तकनीकी निदेशक डॉ. श्रीधर श्रीकांतिया द्वारा कोविड-19 संक्रमण से संबंधित अद्यतन जानकारी एवं सरकार द्वारा कोविड-19 संक्रमण के रोकथाम के लिए जारी गाइडलाइन के संबंध में जानकारी दी गयी.

दरभंगाः बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के द्वारा कोविड-19 के रोकथाम एवं इलाज के लिए जिले के ग्रामीण चिकित्सकों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कार्यशाला है. कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. इसलिए जमीनी स्तर के हेल्थ केयर को मजबूत करना जरूरी है.

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डीएम ने कहा ‘ग्रामीण क्षेत्र के चिकित्सा प्रेक्टिशनरों का चिकित्सा के क्षेत्र में खास योगदान होता है. उनके द्वारा कोरोना के मरीज को सही समय पर सही सलाह देना आवश्यक है. मरीज को देखने के समय इस बीमारी को इतना भयानक नहीं बताना चाहिए.’

ग्रामीण चिकित्सकों को प्रशिक्षित करना आवश्यक
उन्होंने कहा कि अधिकतर कोरोना संक्रमित होम आइसोलेशन में ठीक हो जाते है, ऐसा देखा जा रहा है कि जिनका ऑक्सीजन लेवल (SPO2)-98 से 95 हो जाता है, तो लोग भयभीत हो जाते हैं और हॉस्पिटल की ओर रूख करते हैं. चिकित्सक द्वारा पूर्जा पर मरीज को वेंटिलेटर और रेमडीसिविर लेने की सलाह दी जाती है. लोगों में यह एक धारणा बन गयी है कि रेमडिसिविर कोरोना की जादुई दवा है.

उन्होंने ग्रामीण चिकित्सकों से कहा कि मरीजों को ऐसी सुझाव न दे. मरीज को वेंटिलेटर की आवश्यकता तभी पड़ती है, जब SPO2-95 फीसदी के नीचे आ जाता है और सांस लेने में तकलीफ होती है. उस समय ऑक्सीजन का सुझाव देना चाहिए.

कोविड गाइडलाइन का करें पालन
डीएम डॉ. त्यागराजन ने कहा कि ऑक्सीजन का कहीं भी भंडारण नहीं किया जाना चाहिए, यदि इसका भंडारण किया जाएगा, तो जिन लोगों को आवश्यकता है, उनके लिए कमी हो जाएगी. उन्होंने चिकित्सकों को कहा कि जिस परिस्थिति के लिए, जिस दवा की आवश्यकता है, वही दिया जाए और मरीज को भयभीत नहीं होने की सलाह दी जाए.

उन्होंने कहा कि कोरोना के विभिन्न स्टेज के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा ट्रीटमेन्ट प्रॉटोकॉल जारी किया गया है. इसकी पूरी जानकारी अच्छी तरह से ले ली जाए. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए मास्क के प्रयोग और सामाजिक दूरी का अनुपालन के लिए लोगों को जागरूक करने के साथ ही लोगो को टीकाकरण के लिए भी प्रेरित करें.

डीएम ने कहा कि कोविड-19 के प्रति जागरूकता के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे आईईसी को पहले खुद समझे, इसके बाद लोगों को समझायें. सरकार द्वारा Twitter, Facebook & Instagram पर आईईसी के माध्यम से कोरोना के लिए आवश्यक सलाह दी जा रही है, जिसे फॉलो करना चाहिए.

डीएम ने कोरोना की दूसरी लहर पर डाला प्रकाश
डीएम ने ग्रामीण चिकित्सकों को बताया कि कोरोना का संक्रमण कैसे फैलता है और कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर से किस तरह अलग है. यह कैसे प्रकट होता है, इसके कौन-कौन से लक्षण हैं. कोरोना मरीजों की आपतकालीन चिकित्सीय देखभाल कब की जानी है. माइल्ड कोरोना केस में देखभाल करने के लिए घरेलू उपचार के संबंध में भी बताया गया. साथ ही माईल्ड, मॉडरेट एवं सेवियर कोरोना के मामलें से सबों को अवगत कराया गया और सिभियर मामले में समय पर रेफर करने का महत्व समझाया गया.

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की संबद्ध संस्था केयर इण्डिया के तकनीकी निदेशक डॉ. श्रीधर श्रीकांतिया द्वारा कोविड-19 संक्रमण से संबंधित अद्यतन जानकारी एवं सरकार द्वारा कोविड-19 संक्रमण के रोकथाम के लिए जारी गाइडलाइन के संबंध में जानकारी दी गयी.

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