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World Snake Day: सांपों के बारे में कितना जानते हैं आप, मारने से पहले जान लीजिए इनका महत्व - बिहार में सांप

दुनिया भर में 3500 से ज्यादा तरह के सांप पाए जाते हैं, हालांकि इनमें से 20 फीसदी से भी कम वेरायटी के सांप विषधर होते हैं. लेकिन लोग सांपों को देखते ही उन्हें मारने के लिए दौड़ते हैं क्योंकि उन्हें आशंका होती है कि अगर सांप काट लेगा तो हम मर जाएंगे. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 16, 2021, 5:09 PM IST

Updated : Jul 16, 2021, 5:50 PM IST

पटना: आज विश्व सर्प दिवस ( World Snake Day ) है. पृथ्वी पर सांपों के महत्व को समझने और समझाने के लिए यह खास दिन विशेष तौर पर सांपों के लिए रखा गया है. दुनिया भर में करीब 3500 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं, जिनमें से महज 600 प्रजातियां ही जहरीली होती हैं. लेकिन जन जागरुकता नहीं होने की वजह से हर साल हजारों की संख्या में विषहीन सांप भी मार दिए जाते हैं.

दरअसल, लोगों के बीच जागरुकता के लिए हर वर्ष 16 जुलाई को विश्व सर दिवस मनाया जाता है. ईटीवी भारत भी यह कोशिश कर रहा है कि आप सांपों का महत्व समझें. हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में सांपों का अपना विशेष महत्व है. यह सबसे ज्यादा किसानों के मददगार माने जाते हैं, क्योंकि यह फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले चूहे और अन्य छोटी प्रजातियों के जीवों को खाकर उनकी संख्या नियंत्रित रखने में मदद करते हैं.

ये भी पढ़ें- कोबरा सांपों का ये अद्भुत नजारा देख दंग रह जाएंगे आप

भारत में पाया जाने वाला सबसे जहरीला सांप किंग कोबरा ( King Cobra ) है, जो देश के लगभग हर राज्य में बहुतायत में पाया जाता है. दूसरी खतरनाक प्रजाति करैत की है और उसके बाद नंबर आता है रसैल वाईपर का, जो अपनी पूंछ की खास आवाज की वजह से पहचाना जाता है.

वन्यजीवों के बारे में पूरी जानकारी रखने वाले जन्तु विज्ञान विशेषज्ञ डॉ अरुण कुमार सिन्हा कहते हैं कि सांपों के पास कोई कान नहीं होते. वह अपने जबड़े के नीचे की हड्डियों की मदद से पानी और जमीन पर ध्वनि तरंगों को महसूस करते हैं. सांप की त्वचा के नीचे जो स्केल्स बने होते हैं उनकी मदद से वे तेजी से रेंगते हैं और किसी भी सतह पर आसानी से चल सकते हैं.

पेट के नीचे बनी धारियों की सहायता से वे पेड़ पर भी आसानी से चढ़ जाते हैं. इनका पसंदीदा भोजन चूहे, छिपकली और अन्य छोटे जीव हैं. इन्हीं सांपों की वजह से फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले चूहे और अन्य जीवों की जनसंख्या पर नियंत्रण बना रहता है.

ये भी पढ़ें- जब कोबरा ने उगला 2 फीट का सांप, नजारा देख लोगों के उड़े होश

किंग कोबरा समेत ज्यादातर सांप जहां अंडे देते हैं. वहीं, रसेल वाइपर बच्चों को जन्म देता है. सांप के विष से कई औषधियां भी बनाई जाती है, जिनका उपयोग सांप के विष का इलाज करने, मसल रिलैक्सेशन, दर्द निवारक और कई अन्य बीमारियों के इलाज में होता है. सांपों की दृष्टि बहुत कमजोर होती है लेकिन उनके सुनने की क्षमता जबरदस्त होती है. उनकी जीभ ही उनके नाक की तरह काम करती है और इसी की मदद से वे आसपास की चीजों को भांप लेते हैं.

पटना का संजय गांधी जैविक उद्यान सांपों के अपने कलेक्शन के लिए खासा मशहूर है. यहां सांप घर में अजगर, किंग कोबरा, रसल वाइपर और इंडियन बोवा, धामिन समेत कई वेरायटी के सांप हैं. बहुत जल्द पटना के चिड़ियाघर में दुनिया का सबसे बड़ा सांप एनाकोंडा भी दिखेगा. लॉकडाउन की वजह से इसके भारत आने में देरी हुई है.

पटना: आज विश्व सर्प दिवस ( World Snake Day ) है. पृथ्वी पर सांपों के महत्व को समझने और समझाने के लिए यह खास दिन विशेष तौर पर सांपों के लिए रखा गया है. दुनिया भर में करीब 3500 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं, जिनमें से महज 600 प्रजातियां ही जहरीली होती हैं. लेकिन जन जागरुकता नहीं होने की वजह से हर साल हजारों की संख्या में विषहीन सांप भी मार दिए जाते हैं.

दरअसल, लोगों के बीच जागरुकता के लिए हर वर्ष 16 जुलाई को विश्व सर दिवस मनाया जाता है. ईटीवी भारत भी यह कोशिश कर रहा है कि आप सांपों का महत्व समझें. हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में सांपों का अपना विशेष महत्व है. यह सबसे ज्यादा किसानों के मददगार माने जाते हैं, क्योंकि यह फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले चूहे और अन्य छोटी प्रजातियों के जीवों को खाकर उनकी संख्या नियंत्रित रखने में मदद करते हैं.

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भारत में पाया जाने वाला सबसे जहरीला सांप किंग कोबरा ( King Cobra ) है, जो देश के लगभग हर राज्य में बहुतायत में पाया जाता है. दूसरी खतरनाक प्रजाति करैत की है और उसके बाद नंबर आता है रसैल वाईपर का, जो अपनी पूंछ की खास आवाज की वजह से पहचाना जाता है.

वन्यजीवों के बारे में पूरी जानकारी रखने वाले जन्तु विज्ञान विशेषज्ञ डॉ अरुण कुमार सिन्हा कहते हैं कि सांपों के पास कोई कान नहीं होते. वह अपने जबड़े के नीचे की हड्डियों की मदद से पानी और जमीन पर ध्वनि तरंगों को महसूस करते हैं. सांप की त्वचा के नीचे जो स्केल्स बने होते हैं उनकी मदद से वे तेजी से रेंगते हैं और किसी भी सतह पर आसानी से चल सकते हैं.

पेट के नीचे बनी धारियों की सहायता से वे पेड़ पर भी आसानी से चढ़ जाते हैं. इनका पसंदीदा भोजन चूहे, छिपकली और अन्य छोटे जीव हैं. इन्हीं सांपों की वजह से फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले चूहे और अन्य जीवों की जनसंख्या पर नियंत्रण बना रहता है.

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किंग कोबरा समेत ज्यादातर सांप जहां अंडे देते हैं. वहीं, रसेल वाइपर बच्चों को जन्म देता है. सांप के विष से कई औषधियां भी बनाई जाती है, जिनका उपयोग सांप के विष का इलाज करने, मसल रिलैक्सेशन, दर्द निवारक और कई अन्य बीमारियों के इलाज में होता है. सांपों की दृष्टि बहुत कमजोर होती है लेकिन उनके सुनने की क्षमता जबरदस्त होती है. उनकी जीभ ही उनके नाक की तरह काम करती है और इसी की मदद से वे आसपास की चीजों को भांप लेते हैं.

पटना का संजय गांधी जैविक उद्यान सांपों के अपने कलेक्शन के लिए खासा मशहूर है. यहां सांप घर में अजगर, किंग कोबरा, रसल वाइपर और इंडियन बोवा, धामिन समेत कई वेरायटी के सांप हैं. बहुत जल्द पटना के चिड़ियाघर में दुनिया का सबसे बड़ा सांप एनाकोंडा भी दिखेगा. लॉकडाउन की वजह से इसके भारत आने में देरी हुई है.

Last Updated : Jul 16, 2021, 5:50 PM IST
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