पटना: कहा जाता है कि कोई भी कार्य अगर मनोयोग से किया जाए तो सम्मान तो मिलता ही है और अगर यही काम लीक से हटकर किया जाए तो समाज में परिवर्तन की शुरूआत (Women took charge of cleaning manholes in Patna) भी होती है. ऐसी ही एक पहल पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) की ओर से भी की जा रही है. अब पटना में मैनहोल (बड़ा नालियां) की सफाई सहित अन्य सफाई का कार्य महिला कर्मचारी कर रही हैं, यानी जो काम अबतक के इतिहास में पुरुष कर्मचारी करते आए थे अब उनकी जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर आ गई है.
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मैनहोल की सफाई अब इनके जिम्मे: पटना नगर निगम ने स्वच्छांगिनी नाम से महिला सफाई कर्मियों की एक यूनिट तैयार की है जो महिला सशक्तिकरण की बड़ी मिसाल पेश कर रही हैं. ये महिलाएं तपती धूप में नालियों की सफाई में जुटी हैं और खुद आत्मनिर्भर भी बन रही हैं. पटना नगर निगम के आयुक्त अनिमेश पराशर कहते हैं कि पटना नगर निगम ने स्च्छांगिनी योजना के तहत ऐसी पांच टीमों को पटना में स्वच्छता के अभियान में उतारने का फैसला लिया गया है. हर टीम में पांच महिला सदस्य और क्लीनिंग मशीन की यूनिट शामिल है.
''इन टीमों के सदस्यों को पहले प्रशिक्षण दिया गया और फिर इस कार्य में उतार दिया गया. वे कहते हैं कि स्वच्छांगिनी की टीम से जुड़ी महिलाओं को दो महीने का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें ऑटोमेटिक जेट क्लीनिंग मशीन के परिचालन से लेकर गाड़ियों को चलाने तक का प्रशिक्षण दिया गया है. उन्होंने कहा कि जल्द ही अन्य टीमें भी इस कार्य में उतारी जाएंगी." अनिमेश पराशर, आयुक्त, पटना नगर निगम
रोबोट से मैनहोल की सफाई : नगर निगम के अधिकारी भी बताते हैं कि महिलाएं पूरे मनोयोग और तत्परता से इसे कर रही हैं. वैसे अब इस काम का तरीका भी बदला है. पहले पुरूष सदस्य मैनहोल में अंदर प्रवेश कर बाल्टी से कचरा निकालते थे, लेकिन अब कार्य में तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है. पहले दुर्घटना का बराबर भय बना रहता था. इसलिए, राजधानी पटना में मैनहोल और गटर की सफाई बैंडीकुट मशीन यानी रोबोट से शुरू की गई है. इसके चलाने के लिए सिर्फ दो कर्मियों की जरूरत पड़ेगी.
स्वच्छांगनी टीम की रानी बताती हैं कि पहले भी वे अन्य काम करती थी, लेकिन उसमें आमदनी कम होती थी लेकिन अब आमदनी बढ़ गई है. उन्होंने कहा प्रशिक्षण लेने के बाद किसी भी महिला को काम में कोई दिक्कत नहीं आ रही है. सभी महिलाएं काम में निपुण हैं. इधर, एक अधिकारी कहते हैं कि महिलाए पुरूषों से बेहतर काम कर रही हैं. यह नारी सशक्तीकरण की ओर बढ़ाया गया एक कदम है. अधिकारियों का मानना है कि महिलाओं द्वारा यही कार्य बिहार के लिए ही नहीं देश के लिए अनूठी पहल है.
एक मैनहौल 20 मिनट में करेगा साफ : बता दें कि बैंडीकुट मशीन द्वारा करीब 16 किलो कचरे (गटर में जमे गाद, बालू, पत्थर, नॉन बायोडिग्रेडेबल कचरे) को एक बार में साफ किया जा सकता है. एक सामान्य गाद वाले मैनहोल की सफाई 20 मिनट में मशीन कर देगी. इसमें चार कैमरे लगे हैं. मशीन के संचालन के लिए कर्मियों को ट्रेनिंग दी गई है. मशीन में लगे कैमरे, ड्रोन एवं सेंसर के माध्यम से गटर की अंदरुनी स्थिति बाहरी हिस्से पर लगे मॉनिटर पर दिखाई देते हैं. वहीं, कंट्रोल पैनल के माध्यम से इसका संचालन होता है.
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