पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए और महागठबंधन के विरोध में लड़ाई लड़ी थी. हालांकि मुख्यमंत्री के दावेदार उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई. हाल के दिनों में उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार से मुलाकात की खबरें चर्चा में आई. जिसके बाद उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार को बड़े भाई तक कह डाला. वहीं जदयू के नेताओं के तरफ से भी उपेंद्र कुशवाहा का जदयू के साथ आने पर खुल कर स्वागत किया गया.
उपेंद्र कुशवाहा के नाम लिख डाला खुला पत्र
पिछले एक सप्ताह से उपेंद्र कुशवाहा और उनकी पार्टी द्वारा साधी गई चुप्पी के बाद लगने लगा है कि पूरे प्रकरण पर शायद ग्रहण लग गया है. नीतीश के साथ कुशवाहा के जाने की अटकलों पर पार्टी के अंदर काफी विरोध हुआ. यहां तक कि रालोसपा के कोषाध्यक्ष राजेश यादव ने कई सवाल करते हुए उपेंद्र कुशवाहा के नाम खुला पत्र तक लिख डाला. अब इस पूरे मामले पर विरोधी दल के नेता और राजनीतिक चिंतकों ने अपने विचार भी व्यक्त करना शुरू कर दिया है.
विकास कार्यों में मन लगाना जरूरी
कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने कहा कि नीतीश कुमार को बिहार की जनता के लिए काम करना चाहिए ना कि इस तरह के पचड़े में पड़ना चाहिए. कुशवाहा का नीतीश के साथ पर कितनी मजबूती मिलेगी के सवाल पर अजीत शर्मा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी जदयू को अभी और कमजोर करेगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सिर्फ विकास के काम से मतलब रखना जरूरी है.
फ्यूज बल्ब जैसे नेताओं से दूर रहना जरूरी
नीतीश कुमार के पुराने साथी और राजनीतिक विशेषज्ञ प्रेम कुमार मणि कहते हैं कि नीतीश कुमार को अपनी क्षमता को पहचानना चाहिए. वे इन फ्यूज बल्ब वाले नेताओं के चक्कर में ना पड़ें. वर्तमान राजनीति में नीतीश कुमार की जरूरत राष्ट्रीय फलक पर है. यह तो वक्त ही तय करेगा कि नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा के बीच की दूरियां समाप्त हो जाएंगे या फिर दोनों के मिलन में ग्रहण लगेगा.