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लेफ्ट के बाद RJD ने भी छोड़ा 'हाथ' का साथ, आखिर सच्चाई समझने से क्यों भाग रही कांग्रेस?

तारापुर और कुशेश्वरस्थान उपचुनाव (Tarapur and Kusheshwarsthan By-elections) के दौरान आरजेडी (RJD) ने भी कांग्रेस (Congress) का साथ छोड़ दिया है. अभी हाल में ही बंगाल में उपचुनाव के दौरान वाम दलों ने भी दूरी बना ली थी. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्यों सहयोगी दल कांग्रेस का साथ छोड़ रहे हैं. पढ़ें खास रिपोर्ट...

कांग्रेस
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Published : Oct 6, 2021, 8:52 PM IST

पटना: कांग्रेस (Congress) के साथ सहयोगी दलों के रिश्ते लगातार बिगड़ रहे हैं. तारापुर और कुशेश्वरस्थान उपचुनाव (Tarapur and Kusheshwarsthan By-elections) को लेकर महागठबंधन में आर-पार की लड़ाई छिड़ गई है. आलम ये है कि सहयोगी आरजेडी (RJD) 'हाथ' का साथ छोड़कर मैदान में कूद पड़ा है. जबकि वामदलों से भी समर्थन मिलता नहीं दिख रहा है.

ये भी पढ़ें: 'RJD को छोड़े कांग्रेस तो करूंगा गठबंधन, पार्टी का विलय नहीं, नीतीश भी आएं साथ'

कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन में कई दल राष्ट्रीय स्तर पर शामिल हैं. बिहार का मुख्य विपक्षी दल आरजेडी भी कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए (UPA) का हिस्सा है, लेकिन उपचुनाव के दौरान दोनों दलों के बीच ठन गई है और दोनों दलों ने अपने-अपने प्रत्याशी खड़े कर दिए हैं. बिहार में लंबे समय से कांग्रेस और आरजेडी साथ थे, लेकिन कुशेश्वरस्थान सीट को लेकर दोनों दलों में विवाद उत्पन्न हो गया. आरजेडी के एकतरफा ऐलान के बाद कांग्रेस ने भी दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर दिए हैं.

देखें रिपोर्ट

अब स्थिति ये है कि दोनों दल आमने-सामने हैं और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस जहां आरजेडी पर गठबंधन तोड़ने का आरोप लगा रही है, वहीं आरजेडी की ओर से गोलमोल जवाब दिया जा रहा है.

खास बात ये है कि पश्चिम बंगाल उपचुनाव में भी वाममोर्चा ने कांग्रेस पार्टी से गठबंधन को लेकर किसी तरह की बातचीत नहीं की और चर्चा किए बगैर विधानसभा की 4 सीटों पर अकेले लड़ने का फैसला कर लिया. वाममोर्चा ने आपस में तो गठबंधन किया, लेकिन कांग्रेस पार्टी को अलग कर दिया गया. वाम दलों में 2 सीटों पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और एक-एक सीट पर फॉरवर्ड ब्लॉक और आरएसपी के साथ सहमति बनी. हालांकि वाम मोर्चा अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करने के बाद भी कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ना चाहता था, क्योंकि दिनहटा, खड़दह और गोसबा में कांग्रेस का मजबूत जनाधार नहीं है, लेकिन कांग्रेस चाहती थी कि शांतिपुर से वाम मोर्चा अपना उम्मीदवार हटा ले.

कांग्रेस से सहयोगी दलों की दूरी बनाने पर बिहार बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद कहते हैं कि जब भी राष्ट्रीय स्तर पर कोई मजबूत गठबंधन बना है तो उसमें कांग्रेस को अलग-थलग रखा गया है. आने वाले दिनों में भी ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस के बिना गठबंधन तैयार हो सकती है, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार के लिए कोई भी गठबंधन चुनौती नहीं बन सकता है.

ये भी पढ़ें: 'उपचुनाव में देशद्रोही से प्रचार कराएगी कांग्रेस, जनता नकार देगी'

वहीं, बीजेपी के आरोपों पर कांग्रेस ने पलटवार किया है. प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा है कि हाल के दिनों में बीजेपी से कई दल छोड़कर अलग गए हैं, लेकिन वह आरोप कांग्रेस पर लगा रही है. उन्होंने कहा कि आज भी राहुल गांधी और सोनिया गांधी के नेतृत्व में काम करने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है.

इन सब के बीच आरजेडी प्रवक्ता रामानुज प्रसाद कहते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है, लेकिन राज्य स्तर पर ऐसी स्थिति नहीं है. लिहाजा कांग्रेस पार्टी को प्रदेश स्तर पर मंथन करने की जरूरत है. वे कहते हैं कि अगर कांग्रेस नेता अपनी स्थिति का सही आकलन कर लेंगे तो विवाद खत्म हो जाएगा.

पटना: कांग्रेस (Congress) के साथ सहयोगी दलों के रिश्ते लगातार बिगड़ रहे हैं. तारापुर और कुशेश्वरस्थान उपचुनाव (Tarapur and Kusheshwarsthan By-elections) को लेकर महागठबंधन में आर-पार की लड़ाई छिड़ गई है. आलम ये है कि सहयोगी आरजेडी (RJD) 'हाथ' का साथ छोड़कर मैदान में कूद पड़ा है. जबकि वामदलों से भी समर्थन मिलता नहीं दिख रहा है.

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कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन में कई दल राष्ट्रीय स्तर पर शामिल हैं. बिहार का मुख्य विपक्षी दल आरजेडी भी कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए (UPA) का हिस्सा है, लेकिन उपचुनाव के दौरान दोनों दलों के बीच ठन गई है और दोनों दलों ने अपने-अपने प्रत्याशी खड़े कर दिए हैं. बिहार में लंबे समय से कांग्रेस और आरजेडी साथ थे, लेकिन कुशेश्वरस्थान सीट को लेकर दोनों दलों में विवाद उत्पन्न हो गया. आरजेडी के एकतरफा ऐलान के बाद कांग्रेस ने भी दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर दिए हैं.

देखें रिपोर्ट

अब स्थिति ये है कि दोनों दल आमने-सामने हैं और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस जहां आरजेडी पर गठबंधन तोड़ने का आरोप लगा रही है, वहीं आरजेडी की ओर से गोलमोल जवाब दिया जा रहा है.

खास बात ये है कि पश्चिम बंगाल उपचुनाव में भी वाममोर्चा ने कांग्रेस पार्टी से गठबंधन को लेकर किसी तरह की बातचीत नहीं की और चर्चा किए बगैर विधानसभा की 4 सीटों पर अकेले लड़ने का फैसला कर लिया. वाममोर्चा ने आपस में तो गठबंधन किया, लेकिन कांग्रेस पार्टी को अलग कर दिया गया. वाम दलों में 2 सीटों पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और एक-एक सीट पर फॉरवर्ड ब्लॉक और आरएसपी के साथ सहमति बनी. हालांकि वाम मोर्चा अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करने के बाद भी कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ना चाहता था, क्योंकि दिनहटा, खड़दह और गोसबा में कांग्रेस का मजबूत जनाधार नहीं है, लेकिन कांग्रेस चाहती थी कि शांतिपुर से वाम मोर्चा अपना उम्मीदवार हटा ले.

कांग्रेस से सहयोगी दलों की दूरी बनाने पर बिहार बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद कहते हैं कि जब भी राष्ट्रीय स्तर पर कोई मजबूत गठबंधन बना है तो उसमें कांग्रेस को अलग-थलग रखा गया है. आने वाले दिनों में भी ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस के बिना गठबंधन तैयार हो सकती है, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार के लिए कोई भी गठबंधन चुनौती नहीं बन सकता है.

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वहीं, बीजेपी के आरोपों पर कांग्रेस ने पलटवार किया है. प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा है कि हाल के दिनों में बीजेपी से कई दल छोड़कर अलग गए हैं, लेकिन वह आरोप कांग्रेस पर लगा रही है. उन्होंने कहा कि आज भी राहुल गांधी और सोनिया गांधी के नेतृत्व में काम करने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है.

इन सब के बीच आरजेडी प्रवक्ता रामानुज प्रसाद कहते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है, लेकिन राज्य स्तर पर ऐसी स्थिति नहीं है. लिहाजा कांग्रेस पार्टी को प्रदेश स्तर पर मंथन करने की जरूरत है. वे कहते हैं कि अगर कांग्रेस नेता अपनी स्थिति का सही आकलन कर लेंगे तो विवाद खत्म हो जाएगा.

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