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बिहार में 2024-25 की नैया पार लगाएगा कौन? जुलाई में समाप्त हो रहा संजय जायसवाल का कार्यकाल

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024 ) और बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Election 2025) को ध्यान में रखते हुए बीजेपी को बिहार के नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी. बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का कार्यकाल इसी जुलाई को समाप्त हो जाएगा और जल्द ही नए अध्यक्ष का चयन किया जाएगा. नए प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में कौन हैं संभावित. एक रिपोर्ट.

बिहार में भाजपा
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Published : Jun 23, 2022, 10:27 PM IST

पटनाः बिहार में भाजपा के लिए मिशन 2024 और 2025 बड़ी चुनौती है. इस चुनौती पर के फतह की जिम्मेदारी भाजपा के नये प्रदेश अध्यक्ष पर होगी. वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल (State President Dr. Sanjay Jaiswal) का कार्यकाल समाप्त होने वाला है. नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है. दावेदारों के कतार तो लंबी है. माना जा रहा है कि 2 और 3 जुलाई को हैदराबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी (BJP National Executive in Hyderabad) में अध्यक्ष पद को लेकर शीर्ष नेतृत्व फैसला लेगा. भाजपा आगामी मिशन के लिए अपने कोर वोटर के किसी नेता को जिम्मदारी देती है या पिछड़ या दलित कार्ड खेलेगी.

पढ़ें- BJP प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का बड़ा हमला, बोले- राजनीतिक धंधेबाज हैं प्रशांत किशोर



"भाजपा के सामने प्रदेश अध्यक्ष का चयन बड़ी चुनौती है. पार्टी को 2024 में लोक सभा चुनाव और 2025 में विधान सभा चुनाव को साधना है. ऐसे में संभव है कि इस बार पार्टी पिछड़ा, अति पिछड़ा या दलित कार्ड खेल सकती है."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

कौन होगा मिशन 2024 का खेबनहारः मिशन 2024 पास करना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है. यह चुनौती हर हाल में पार्टी के नये प्रदेश अध्यक्ष को उठाना पड़ेगा. वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल जुलाई-अगस्त महीने में पूरा हो रहा है. इसके बाद बनने वाले अगले प्रदेश अध्यक्ष के कंधों पर 2024 लोकसभा चुनाव और 2025 विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी होगी. ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व के स्तर पर नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर मंथन शुरू हो गया है. हैदराबाद में 2 और 3 जुलाई को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भविष्य की रूपरेखा तय हो जाएगी और उसके बाद जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मुहर भी लग जाएगी.

"भाजपा के लिए प्रदेश अध्यक्ष का चयन बड़ी चुनौती है. आने वाले सालों में दो चुनावों को साधने के अलावा पार्टी में गुटबाजी कैसे कम हो, इस पर भी नेतृत्व को मंथन करना होगा. पहले की तरह इस बार भी अगर सांसद को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए तो आश्चर्य की बात नहीं है. ज्यादा संभावना यह है कि इस बार पार्टी पिछड़ा या अति पिछड़ा कार्ड खेलेगी और युवा चेहरे को कमान दिया जायेगा."- डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

किस पर भाजपा लगागेगी दावः अमित शाह और नरेंद्र मोदी पिछले कुछ समय से प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर अपनी टीम में सांसदों को जगह दे रहे हैं. पहले नित्यानंद राय प्रदेश अध्यक्ष थे. उसके बाद संजय जयसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया और इस बार सांसद को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा या नहीं इस पर संशय है. ऐसा इसलिए है कि 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं और जो प्रदेश अध्यक्ष होंगे. उन्हें भी चुनाव लड़ना होगा. ऐसे में पार्टी वैसे नेता पर भी दाव लगा सकती है जो सांसद ना हो.

कई सांसद हैं अध्यक्ष की रेस मेंः अगर किसी सांसद को प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर सहमति बनती है तो वैसी स्थिति में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, राजीव प्रताप रूडी, जनार्दन सिंह सिग्रीवाल और अजय निषाद का नाम सबसे आगे है. बिहार की सियासत को साधने के लिए अमित शाह और नरेंद्र मोदी की टीम ने रणनीति में बदलाव किया है और अब पिछड़ा, अति पिछड़ा वोट बैंक साधने में पार्टी जुटी है. अति पिछड़ा समाज से आने वाले नेता को जहां राज्यसभा भेजा गया है, वहीं विधान परिषद में भी अति पिछड़ा पर पार्टी ने दाव लगाया है.

भाजपा की नजर कोर वोटर परः भाजपा की नजर अपने कोर वोटर पर भी है ब्राह्मण भूमिहार क्षत्रिय और वैसे समुदाय के नेता प्रदेश अध्यक्ष बनते रहे हैं. इस बार अगर ब्राह्मण जाति के दावेदारों की बात कर ले तो सांसद गोपाल जी ठाकुर, मंगल पांडे, मिथिलेश तिवारी और नीतीश मिश्रा का नाम सुर्खियों में है. ब्रह्मर्षि समाज में भी नेताओं की फेहरिस्त लंबी है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, भाजपा सांसद विवेक ठाकुर, भाजपा के प्रदेश महामंत्री और विधान पार्षद देवेश कुमार, विधान पार्षद अनिल शर्मा में से किसी एक पर पार्टी दांव लगा सकती है.क्षत्रिय समाज में राजीव प्रताप रूडी जनार्दन सिंह सिग्रीवाल सुशील सिंह संजय टाइगर और अरविंद सिंह का नाम दावेदारों की सूची में शामिल है.

पिछड़ा और दलित कार्ड की चल रही है तैयारीः पार्टी पिछड़ा-अति पिछड़ा कार्ड पार्टी खेलने में पीछे नहीं रहेगी. अतीत में केंद्रीय नेतृत्व ने संकेत भी दिए हैं ऐसे में सांसद अजय निषाद प्रदेश महामंत्री और विधायक संजीव चौरसिया पार्टी प्रवक्ता और चुनाव समिति के सदस्य प्रेम रंजन पटेल के नाम पर भी पार्टी गंभीर है. दलित कार्ड खेलकर भी पार्टी सबको चौंका सकती है. दलित चेहरे की अगर बात कर लें तो योगेंद्र पासवान, शिवेश राम, निरंजन राम पर पार्टी दाव लगा सकती है.

पढ़ें-अपनी ही सरकार पर भड़के BJP प्रदेश अध्यक्ष बोले- सिस्टम फेल, डॉक्टर नहीं उठा रहे फोन


पटनाः बिहार में भाजपा के लिए मिशन 2024 और 2025 बड़ी चुनौती है. इस चुनौती पर के फतह की जिम्मेदारी भाजपा के नये प्रदेश अध्यक्ष पर होगी. वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल (State President Dr. Sanjay Jaiswal) का कार्यकाल समाप्त होने वाला है. नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है. दावेदारों के कतार तो लंबी है. माना जा रहा है कि 2 और 3 जुलाई को हैदराबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी (BJP National Executive in Hyderabad) में अध्यक्ष पद को लेकर शीर्ष नेतृत्व फैसला लेगा. भाजपा आगामी मिशन के लिए अपने कोर वोटर के किसी नेता को जिम्मदारी देती है या पिछड़ या दलित कार्ड खेलेगी.

पढ़ें- BJP प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का बड़ा हमला, बोले- राजनीतिक धंधेबाज हैं प्रशांत किशोर



"भाजपा के सामने प्रदेश अध्यक्ष का चयन बड़ी चुनौती है. पार्टी को 2024 में लोक सभा चुनाव और 2025 में विधान सभा चुनाव को साधना है. ऐसे में संभव है कि इस बार पार्टी पिछड़ा, अति पिछड़ा या दलित कार्ड खेल सकती है."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

कौन होगा मिशन 2024 का खेबनहारः मिशन 2024 पास करना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है. यह चुनौती हर हाल में पार्टी के नये प्रदेश अध्यक्ष को उठाना पड़ेगा. वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल जुलाई-अगस्त महीने में पूरा हो रहा है. इसके बाद बनने वाले अगले प्रदेश अध्यक्ष के कंधों पर 2024 लोकसभा चुनाव और 2025 विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी होगी. ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व के स्तर पर नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर मंथन शुरू हो गया है. हैदराबाद में 2 और 3 जुलाई को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भविष्य की रूपरेखा तय हो जाएगी और उसके बाद जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मुहर भी लग जाएगी.

"भाजपा के लिए प्रदेश अध्यक्ष का चयन बड़ी चुनौती है. आने वाले सालों में दो चुनावों को साधने के अलावा पार्टी में गुटबाजी कैसे कम हो, इस पर भी नेतृत्व को मंथन करना होगा. पहले की तरह इस बार भी अगर सांसद को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए तो आश्चर्य की बात नहीं है. ज्यादा संभावना यह है कि इस बार पार्टी पिछड़ा या अति पिछड़ा कार्ड खेलेगी और युवा चेहरे को कमान दिया जायेगा."- डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

किस पर भाजपा लगागेगी दावः अमित शाह और नरेंद्र मोदी पिछले कुछ समय से प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर अपनी टीम में सांसदों को जगह दे रहे हैं. पहले नित्यानंद राय प्रदेश अध्यक्ष थे. उसके बाद संजय जयसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया और इस बार सांसद को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा या नहीं इस पर संशय है. ऐसा इसलिए है कि 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं और जो प्रदेश अध्यक्ष होंगे. उन्हें भी चुनाव लड़ना होगा. ऐसे में पार्टी वैसे नेता पर भी दाव लगा सकती है जो सांसद ना हो.

कई सांसद हैं अध्यक्ष की रेस मेंः अगर किसी सांसद को प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर सहमति बनती है तो वैसी स्थिति में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, राजीव प्रताप रूडी, जनार्दन सिंह सिग्रीवाल और अजय निषाद का नाम सबसे आगे है. बिहार की सियासत को साधने के लिए अमित शाह और नरेंद्र मोदी की टीम ने रणनीति में बदलाव किया है और अब पिछड़ा, अति पिछड़ा वोट बैंक साधने में पार्टी जुटी है. अति पिछड़ा समाज से आने वाले नेता को जहां राज्यसभा भेजा गया है, वहीं विधान परिषद में भी अति पिछड़ा पर पार्टी ने दाव लगाया है.

भाजपा की नजर कोर वोटर परः भाजपा की नजर अपने कोर वोटर पर भी है ब्राह्मण भूमिहार क्षत्रिय और वैसे समुदाय के नेता प्रदेश अध्यक्ष बनते रहे हैं. इस बार अगर ब्राह्मण जाति के दावेदारों की बात कर ले तो सांसद गोपाल जी ठाकुर, मंगल पांडे, मिथिलेश तिवारी और नीतीश मिश्रा का नाम सुर्खियों में है. ब्रह्मर्षि समाज में भी नेताओं की फेहरिस्त लंबी है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, भाजपा सांसद विवेक ठाकुर, भाजपा के प्रदेश महामंत्री और विधान पार्षद देवेश कुमार, विधान पार्षद अनिल शर्मा में से किसी एक पर पार्टी दांव लगा सकती है.क्षत्रिय समाज में राजीव प्रताप रूडी जनार्दन सिंह सिग्रीवाल सुशील सिंह संजय टाइगर और अरविंद सिंह का नाम दावेदारों की सूची में शामिल है.

पिछड़ा और दलित कार्ड की चल रही है तैयारीः पार्टी पिछड़ा-अति पिछड़ा कार्ड पार्टी खेलने में पीछे नहीं रहेगी. अतीत में केंद्रीय नेतृत्व ने संकेत भी दिए हैं ऐसे में सांसद अजय निषाद प्रदेश महामंत्री और विधायक संजीव चौरसिया पार्टी प्रवक्ता और चुनाव समिति के सदस्य प्रेम रंजन पटेल के नाम पर भी पार्टी गंभीर है. दलित कार्ड खेलकर भी पार्टी सबको चौंका सकती है. दलित चेहरे की अगर बात कर लें तो योगेंद्र पासवान, शिवेश राम, निरंजन राम पर पार्टी दाव लगा सकती है.

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