पटना: बिहार विधान परिषद चुनाव (Bihar Legislative Council Election) को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है. विधान परिषद में अपनी संख्या बल बढ़ाने के लिए सभी पार्टियां जोर शोर से जुटी हुई हैं. बीजेपी ने जहां 12 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं, वहीं जेडीयू के 11 प्रत्याशी मैदान में हैं. पशुपति पारस की पार्टी एक सीट पर चुनावी मैदान में है.
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छोटे दलों को नहीं मिले उम्मीदवार: वीआईपी को एनडीए में जगह नहीं मिली और मुकेश सहनी ने बगावत कर दी. बगावत का नतीजा सभी के सामने हैं. मुकेश सहनी मंत्रिमंडल से भी बाहर हो चुके हैं. 24 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने का दावा करने वाले मुकेश सहनी को विधान परिषद चुनाव में 7 उम्मीदवार ही मिले. मुकेश सहनी ने बीजेपी से दो-दो हाथ करने का फैसला किया है. बीजेपी से आर-पार की लड़ाई छेड़ने के बाद मुकेश सहनी ने बीजेपी के खिलाफ सातों सीट पर उम्मीदवार दिए हैं. लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास को महज 6 सीटों पर उम्मीदवार मिले हैं. एलजेपीआर ने बीजेपी और जेडीयू दोनों के खिलाफ उम्मीदवार उतारे हैं. इस बार एलजेपीआर ने सिर्फ जेडीयू को निशाना नहीं बनाया है.
''बहुत शिद्दत से रामविलास पार्टी चुनाव लड़ रही है. विधान परिषद की 6 सीटें हम लोग रड़ रहे हैं. हर जगह पर हमारे जो प्रत्याशी हैं, वो जनप्रतिनिधियों के संपर्क में हैं और बराबर संवाद हो रहा है, बैठक हो रही हैं, जनसंपर्क चल रहा है. हमें उम्मीद है कि हम लोग इसमें अच्छा प्रदर्शन करेंगे. हमने बीजेपी और जेडीयू दोनों के खिलाफ प्रत्याशी खड़े किए हैं. हम मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं और हमारी जीत भी होगी.''- चंदन सिंह, प्रवक्ता, लोजपा रामविलास
''वीआईपी अपनी ताकत पहले भी दिखा चुकी है, आज भी दिखा रही है. हम अकेले चल रहे हैं. किसी को हमें अपने साथ रखना है तो वो करें, पिछली बार एनडीए ने भी हमें निमंत्रण दिया था तभी हम गए थे. हमें गठबंधन की चिंता नहीं है हम मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं. हम अकेले चुनाव लड़ेंगे और नतीजे भी हमारे पक्ष में होंगे''- राजीव मिश्रा, राष्ट्रीय प्रवक्ता, वीआईपी
''बिहार विधान परिषद चुनाव पर कोई असर नहीं होने वाला है. सभी ने वीआईपी का असली स्वरूप को देख लिया है, वो पैसे के लिए राजनीति करते हैं. निश्चित रुप से वो अब अफसोस कर रहे होंगे कि उनका निर्णय गलत था. अब उनके पास कोई विकल्प नहीं है. राजद जैसी पार्टी भी उन्हें लेने से मना कर रही है. बीजेपी ने सशक्त उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. छोटे दलों को तो प्रत्याशी भी नसीब नहीं है. छोटे दलों से बीजेपी को कोई खतरा नहीं है. हम ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करेंगे.''- विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी
''ये स्पष्ट है कि बिहार की राजनीति में जो बातें आज तक सामने आती रही हैं, या जिस तरह से उम्मीदवारों का चयन किया जाता है, उससे स्पष्ट होता है कि यहां जिनके पास रुपया है जो झोला से नहीं बोरा से होगा वही चुनाव लड़ेंगे. सोशल मीडियो से लेकर तमाम नेता भी जानते हैं कि हम वैसे उम्मीदवारों का चुनाव करें जो धनवान हो, ताकि वो जनप्रतिनिधियों पर अपना पैसा खर्च कर सकें और चुनाव जीत सकें, ये सब जानते हैं. जहां तक मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी और चिराग की पार्टी एलजेपीआर इस चुनाव को प्रभावित करेंगे तो ये असंभव है. उनको तो चुनाव के लिए प्रत्याशी भी नहीं मिले. छोटे दलों को कुछ हासिल होने वाला नहीं है. परिषद चुनाव में तो वह खाता भी नहीं खोल पाएंगे.''- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार
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