पटना: बदलते जमाने में रेडीमेड फैशन का प्रचलन काफी बढ़ (Trend Of Readymade Fashion Has Increased) गया है. अब लोगों को बाजारों में मिल रहे रेडीमेड चीजें पसंद आने लगी हैं और यही कारण है कि आज बुनाई, कढ़ाई और क्रोशिया आर्ट विलुप्त (Croatian Art Extinct) होती जा रही है. लेकिन आज हम छपरा की रहने वाली विभा श्रीवास्तव की बात करने वाले हैं जो आज भी क्रोशिया आर्ट को विलुप्त होने से बचाने की प्रयास कर रही हैं. विभा श्रीवास्तव मूल रूप से छपरा की निवासी हैं. वो पटना में विगत कई वर्षों से कला के क्षेत्र में काम कर रही हैं और क्रोशिया के जरिए तरह-तरह के डिजाइनर खिलौने, आभूषण बनाती हैं और मार्केट तक पहुंचाती हैं.
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क्रोशिया आर्ट विलुप्त होने के कगार पर : ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान विभा श्रीवास्तव ने बताया कि वह 2006 से अपनी मां से इस कला को करते हुए देखी और सीखी हैं. शुरुआती दिनों में टेबल क्लॉथ या दुपट्टे में क्रोशिया आर्ट डिजाइन करती थीं लेकिन जब वो पटना आई तो यहां पर उनको कई ऐसे लोग मिले जो नए-नए डिजाइन बनाने का रास्ता बताया और फिर वो धीरे-धीरे छोटे बच्चों का कपड़ा ठंड का बनाने लगी. धीरे-धीरे खिलौने, गुड्डा-गुड्डी और अब कान का कुंडल, बाली, मेहंदी, छल्ला, गले का हार, तरह-तरह के डिजाइनर आभूषण बना रही हूं. जिसका डिमांड भी दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है.
'शुरुआती दिनों में परेशानी जरूर हुई थी लेकिन अब बनाने में मन भी लगता है. क्योंकि ऑर्डर भी मिलता है और इससे मुनाफा भी होता है. लोग अपने दुल्हन को सजाने के लिए सामानों का आर्डर करते हैं. जिस हिसाब से आर्डर करते हैं, उस हिसाब से हम लोग तैयार करके भेजते हैं जो लोगों को काफी पसंद आता है. अब बिहार ही नहीं बल्कि बंगाल, उड़ीसा, झारखंड कई राज्यों से लोग आर्डर देते हैं और हमारी टीम यहां से बनाकर भेजती है.' - विभा श्रीवास्तव, क्रोशिया आर्ट कलाकार
विभा श्रीवास्तव क्रोशिया आर्ट को देती हैं बढ़ावा : क्रोशिया आर्ट कलाकार विभा श्रीवास्तव ने बताया कि अभी तक 1000 से ज्यादा महिलाओं को वो ये कला सीखा चुकी हैं और अभी इनके टीम में 15 महिलाएं हैं जो बाजार के डिमांड को पूरा करते हैं उन्होंने कहा कि कारीगरी के हिसाब से जितनी मेहनत है, उतना पैसा तो नहीं है लेकिन कमाई होता है. जिससे घर-परिवार चलाने में मदद मिलती है. उन्होंने कहा कि क्रोशिया आर्ट में रेशम, जड़ी, उन, खादी धागा, का उपयोग कर तरह-तरह के डिजाइनर आभूषण बनाते हैं. जिसकी कीमत 50 रुपए से लेकर 10,000 तक है जो शादी-विवाह के समय में महिलाएं ज्यादा खरीदारी करती हैं.