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पंचायत चुनाव के दूसरे चरण में 9 जिले नक्सल प्रभावित, सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त

बिहार में पंचायत चुनाव के दूसरे चरण का मतदान 34 जिलों के 48 प्रखंडों में होगा. इन 34 जिलों में 9 जिले नक्सल प्रभावित हैं. यहां पर मतदान के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं. पढ़ें पूरी खबर.

tight security for voting
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Published : Sep 28, 2021, 12:00 PM IST

Updated : Sep 28, 2021, 2:26 PM IST

पटना: बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election) के दूसरे चरण का प्रचार थम गया है. 29 सितंबर यानी बुधवार को पटना सहित बिहार के 34 जिलों के 48 प्रखंडों में मतदान (Second Phase Voting) होगा. दूसरे चरण में कुल 76,289 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम और बैलेट बॉक्स में कैद होगी. दूसरे चरण के 34 जिलों में से 9 जिले नक्सल प्रभावित माने जाते हैं. 9 नक्सल प्रभावित जिलों के कई बूथों पर नक्सलियों का खासा प्रभाव माना जाता है.

ये भी पढ़ें: बिहार पंचायत चुनाव: दूसरे चरण में 34 जिलों के 48 प्रखंडों में मतदान कल, सुरक्षा चाक चौबंद

इन बूथों पर शांतिपूर्ण, निष्पक्ष व भयमुक्त चुनाव करवाने में पुलिस को मुसीबतों का सामना भी करना पड़ सकता है. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में अभी भी 10 जिले नक्सल प्रभावित हैं. इनमें औरंगाबाद, गया, मुंगेर, जमुई, कैमूर, नवादा, लखीसराय, बांका, रोहतास और पश्चिम चंपारण शामिल हैं. पंचायत चुनाव के दूसरे चरण में लखीसराय को छोड़कर नक्सल प्रभावित सभी 9 जिलों में मतदान होना है. वहीं लखीसराय में तीसरे चरण में मतदान है.

देखें रिपोर्ट.

पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार (ADG Jitendra Singh Gangwar) की मानें तो निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और भयमुक्त पंचायत चुनाव करवाने को लेकर बिहार पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है. राज्य पुलिस बल में बिहार पुलिस होमगार्ड, बिहार सशस्त्र पुलिस बल, एसटीएस के अलावा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए केंद्रीय बल भी मौजूद है. केंद्रीय बल के जवान नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाते हैं. वे भी इसमें शामिल हैं.

ये भी पढ़ें: पंचायत चुनाव: विभिन्न पदों के 12 प्रत्याशियों ने कैमूर में नाम लिया वापस, 8 अक्टूबर को मतदान

एडीजी जितेंद सिंह गंगवार के मुताबिक बिहार पुलिस और केंद्रीय पारा मिलिट्री फोर्स के संयुक्त ऑपरेशन के तहत बिहार पुलिस को नक्सलियों के खिलाफ कई महत्वपूर्ण सफलता मिली है. पैरा मिलिट्री फोर्स द्वारा लगातार चलाए जा रहे अभियान के तहत नक्सलियों की संख्या में काफी कमी आई है.

एडीजी के मुताबिक बिहार पुलिस और केंद्रीय बल के अभियान से जिन क्षेत्रों में नक्सलियों का प्रभाव कम हुआ है, वहां के लोगों में पंचायत चुनाव को लेकर काफी उत्साह है. पंचायत चुनाव के माध्यम से उन क्षेत्रों में विकास की जो लहर चली है, उससे उन क्षेत्रों के नक्सली और उसके समर्थकों में भी पंचायत चुनाव को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है. विकास की वजह से पुलिस मुख्यालय को नहीं लगता है कि चुनाव के दौरान हिंसक वारदात होगी.

हालांकि पुलिस मुख्यालय के अनुसार पर्याप्त संख्या में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति और पेट्रोलिंग की जा रही है. नक्सल प्रभावित और संवेदनशील बूथों पर आयोग द्वारा तय किए गए मापदंड के आधार पर पुलिस फोर्स की तैनाती की जाएगी. जानकारी के अनुसार संवेदनशील और नक्सली प्रभावित बूथों पर बिहार सशस्त्र पुलिस बल की तैनाती रहेगी. इसके अलावा तीन स्तरीय पुलिस बल के जवान तैनात रहेंगे. जितेंद सिंह गंगवार ने कहा कि पुलिस बल की तैनाती की जिम्मेदारी जिलों के डीएम और एसपी को दी गई है.

ये भी पढ़ें: दूसरे चरण के मतदान के लिए मधुबनी तैयार, DM ने कहा- नहीं होनी चाहिए कोई चूक

पटना: बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election) के दूसरे चरण का प्रचार थम गया है. 29 सितंबर यानी बुधवार को पटना सहित बिहार के 34 जिलों के 48 प्रखंडों में मतदान (Second Phase Voting) होगा. दूसरे चरण में कुल 76,289 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम और बैलेट बॉक्स में कैद होगी. दूसरे चरण के 34 जिलों में से 9 जिले नक्सल प्रभावित माने जाते हैं. 9 नक्सल प्रभावित जिलों के कई बूथों पर नक्सलियों का खासा प्रभाव माना जाता है.

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इन बूथों पर शांतिपूर्ण, निष्पक्ष व भयमुक्त चुनाव करवाने में पुलिस को मुसीबतों का सामना भी करना पड़ सकता है. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में अभी भी 10 जिले नक्सल प्रभावित हैं. इनमें औरंगाबाद, गया, मुंगेर, जमुई, कैमूर, नवादा, लखीसराय, बांका, रोहतास और पश्चिम चंपारण शामिल हैं. पंचायत चुनाव के दूसरे चरण में लखीसराय को छोड़कर नक्सल प्रभावित सभी 9 जिलों में मतदान होना है. वहीं लखीसराय में तीसरे चरण में मतदान है.

देखें रिपोर्ट.

पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार (ADG Jitendra Singh Gangwar) की मानें तो निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और भयमुक्त पंचायत चुनाव करवाने को लेकर बिहार पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है. राज्य पुलिस बल में बिहार पुलिस होमगार्ड, बिहार सशस्त्र पुलिस बल, एसटीएस के अलावा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए केंद्रीय बल भी मौजूद है. केंद्रीय बल के जवान नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाते हैं. वे भी इसमें शामिल हैं.

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एडीजी जितेंद सिंह गंगवार के मुताबिक बिहार पुलिस और केंद्रीय पारा मिलिट्री फोर्स के संयुक्त ऑपरेशन के तहत बिहार पुलिस को नक्सलियों के खिलाफ कई महत्वपूर्ण सफलता मिली है. पैरा मिलिट्री फोर्स द्वारा लगातार चलाए जा रहे अभियान के तहत नक्सलियों की संख्या में काफी कमी आई है.

एडीजी के मुताबिक बिहार पुलिस और केंद्रीय बल के अभियान से जिन क्षेत्रों में नक्सलियों का प्रभाव कम हुआ है, वहां के लोगों में पंचायत चुनाव को लेकर काफी उत्साह है. पंचायत चुनाव के माध्यम से उन क्षेत्रों में विकास की जो लहर चली है, उससे उन क्षेत्रों के नक्सली और उसके समर्थकों में भी पंचायत चुनाव को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है. विकास की वजह से पुलिस मुख्यालय को नहीं लगता है कि चुनाव के दौरान हिंसक वारदात होगी.

हालांकि पुलिस मुख्यालय के अनुसार पर्याप्त संख्या में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति और पेट्रोलिंग की जा रही है. नक्सल प्रभावित और संवेदनशील बूथों पर आयोग द्वारा तय किए गए मापदंड के आधार पर पुलिस फोर्स की तैनाती की जाएगी. जानकारी के अनुसार संवेदनशील और नक्सली प्रभावित बूथों पर बिहार सशस्त्र पुलिस बल की तैनाती रहेगी. इसके अलावा तीन स्तरीय पुलिस बल के जवान तैनात रहेंगे. जितेंद सिंह गंगवार ने कहा कि पुलिस बल की तैनाती की जिम्मेदारी जिलों के डीएम और एसपी को दी गई है.

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Last Updated : Sep 28, 2021, 2:26 PM IST
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