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कैमूर में जल्द दहाड़ेंगे MP और UP के टाइगर्स, जिले का क्लाइमेट है पड़ोसी राज्यों के बाघों के अनुकूल

बिहार के दूसरे टाइगर रिजर्व बनने की राह में अग्रसर कैमूर टाइगर रिजर्व (Tiger Reserve to be Built In Kaimur) में जल्द ही पड़ोसी राज्यों के बाघ की दहाड़ गूंज सकती है. विभागीय सूत्रों की माने तो यूपी, एमपी या छत्तीसगढ़ के बाघ कैमूर के वन क्षेत्र में गर्जना कर सकते हैं. पढ़ें पूरी खबर..

कैमूर टाइगर रिजर्व
कैमूर टाइगर रिजर्व
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Published : Apr 4, 2022, 8:37 PM IST

पटना: पश्चिमी चंपारण के वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व (Valmiki Nagar Tiger Reserve) में बाघों के संख्या बढ़कर 43 हो गई है, जबकि कैमरा ट्रैप के दौरान कैमूर वन क्षेत्र (Kaimur Forest Area) में एक बाघ के होने की जानकारी मिली थी. जिसकी जांच के बाद ये निष्कर्ष सामने आया था कि ये बाघ यूपी या फिर एमपी से यहां आया होगा.

ये भी पढ़ें- बिहार के कैमूर में राज्य का दूसरा टाइगर रिजर्व, तैयारियों को दिया जा रहा मूर्त रूप : अश्विनी चौबे

कैमूर में दहाड़ेंगे पड़ोसी राज्यों के बाघ: वन्य प्राणियों के ऊपर काम करने वाले रजनीश भारद्वाज बताते हैं कि विटीआर यानी वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व और कैमूर के क्लाइमेट में काफी अंतर है, क्योंकि विटीआर हिमालय के तराई वाले इलाके में बसा हुआ है. जहां का तापमान आमतौर पर कम होता है, जबकि कैमूर बिहार के उन इलाकों में आता है जहां पर तेज गर्मी होती है. ऐसे में कैमूर में विटीआर के बाघ को शायद अनुकूल वातावरण नहीं मिल पाए. हालांकि, कैमूर का वातावरण यूपी, एमपी और छत्तीसगढ़ के क्लाइमेट से मिलता जुलता है. ऐसे में वहां के बाघ इस इलाके में बेहतर तरीके से अपना आश्रय बना सकते हैं.

कैमूर में एक और टाइगर रिजर्व: विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विटीआर के निदेशक को भी अभी तक इस आश्रय का पत्र प्राप्त नहीं हुआ है कि यहां के बाघ कैमूर जाएंगे. बता दें कि कैमूर का इलाका करीब 1300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. गौरतलब है कि इसी साल जनवरी माह में यह खबर आई थी कि केंद्र सरकार ने विटीआर के बाद कैमूर में एक और टाइगर रिजर्व बनाने को लेकर अपनी मंजूरी दे दी है.

टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी तेज: दरअसल, लंबे वक्त से कैमूर वाइल्ड लाइफ को टाइगर रिजर्व बनाने की मांग उठ रही थी, जिसके बाद वन विभाग इसे टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी में लग गया था. जानकारी के अनुसार वन विभाग ने टाइगर रिजर्व के लिए कोर एरिया, बफर एरिया और कॉरिडोर को चिन्हित करने की प्रक्रिया को पूरा कर रहा है. रजनीश भारद्वाज ने बताया कि 1970 के दशक में इस इलाके में बड़ी संख्या में बाघ पाए जाते थे, लेकिन वक्त गुजरने के साथ बाघों की संख्या में कमी होती गई.

बता दें कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का एरिया लगभग 900 वर्ग किलोमीटर में हैं और यहां करीब 43 बाघ हैं. दूसरी तरफ अगर आंकड़ों की माने तो कैमूर जिला (Kaimur Tiger Reserve) झारखण्ड, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश तीन राज्यों से घिरा हुआ है. यहां लगभग 1800 वर्ग किलोमीटर जंगली क्षेत्र है. कैमूर के जंगलों में भी बाघ देखे गए हैं और विभिन्न जगहों पर उनके निशान मिले हैं. ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब बिहार के दूसरे टाइगर रिजर्व कैमूर के वन क्षेत्र में बाघ गर्जना करते नजर आएंगे.

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पटना: पश्चिमी चंपारण के वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व (Valmiki Nagar Tiger Reserve) में बाघों के संख्या बढ़कर 43 हो गई है, जबकि कैमरा ट्रैप के दौरान कैमूर वन क्षेत्र (Kaimur Forest Area) में एक बाघ के होने की जानकारी मिली थी. जिसकी जांच के बाद ये निष्कर्ष सामने आया था कि ये बाघ यूपी या फिर एमपी से यहां आया होगा.

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कैमूर में दहाड़ेंगे पड़ोसी राज्यों के बाघ: वन्य प्राणियों के ऊपर काम करने वाले रजनीश भारद्वाज बताते हैं कि विटीआर यानी वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व और कैमूर के क्लाइमेट में काफी अंतर है, क्योंकि विटीआर हिमालय के तराई वाले इलाके में बसा हुआ है. जहां का तापमान आमतौर पर कम होता है, जबकि कैमूर बिहार के उन इलाकों में आता है जहां पर तेज गर्मी होती है. ऐसे में कैमूर में विटीआर के बाघ को शायद अनुकूल वातावरण नहीं मिल पाए. हालांकि, कैमूर का वातावरण यूपी, एमपी और छत्तीसगढ़ के क्लाइमेट से मिलता जुलता है. ऐसे में वहां के बाघ इस इलाके में बेहतर तरीके से अपना आश्रय बना सकते हैं.

कैमूर में एक और टाइगर रिजर्व: विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विटीआर के निदेशक को भी अभी तक इस आश्रय का पत्र प्राप्त नहीं हुआ है कि यहां के बाघ कैमूर जाएंगे. बता दें कि कैमूर का इलाका करीब 1300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. गौरतलब है कि इसी साल जनवरी माह में यह खबर आई थी कि केंद्र सरकार ने विटीआर के बाद कैमूर में एक और टाइगर रिजर्व बनाने को लेकर अपनी मंजूरी दे दी है.

टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी तेज: दरअसल, लंबे वक्त से कैमूर वाइल्ड लाइफ को टाइगर रिजर्व बनाने की मांग उठ रही थी, जिसके बाद वन विभाग इसे टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी में लग गया था. जानकारी के अनुसार वन विभाग ने टाइगर रिजर्व के लिए कोर एरिया, बफर एरिया और कॉरिडोर को चिन्हित करने की प्रक्रिया को पूरा कर रहा है. रजनीश भारद्वाज ने बताया कि 1970 के दशक में इस इलाके में बड़ी संख्या में बाघ पाए जाते थे, लेकिन वक्त गुजरने के साथ बाघों की संख्या में कमी होती गई.

बता दें कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का एरिया लगभग 900 वर्ग किलोमीटर में हैं और यहां करीब 43 बाघ हैं. दूसरी तरफ अगर आंकड़ों की माने तो कैमूर जिला (Kaimur Tiger Reserve) झारखण्ड, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश तीन राज्यों से घिरा हुआ है. यहां लगभग 1800 वर्ग किलोमीटर जंगली क्षेत्र है. कैमूर के जंगलों में भी बाघ देखे गए हैं और विभिन्न जगहों पर उनके निशान मिले हैं. ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब बिहार के दूसरे टाइगर रिजर्व कैमूर के वन क्षेत्र में बाघ गर्जना करते नजर आएंगे.

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