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जनता दरबार में छात्र ने नीतीश कुमार से कहा- रिसर्च स्कॉलर को दीजिए मंथली स्टाइपेंड

जिस प्रकार से दूसरे राज्यों और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा रिसर्च स्कॉलर के लिए मंथली स्टाइपेंड दिया जाता है, उसी तरह बिहार में भी दिया जाए. यह मुद्दा एक छात्र ने सीएम नीतीश कुमार के सामने जनता दरबार में उठाया. आगे पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Oct 11, 2021, 1:13 PM IST

पटना: सीएम नीतीश कुमार के जनता दरबार में रिसर्च स्कॉलर को मंथली स्टाइपेंड (Monthly Stipend for bihar scholar) देने का मुद्दा उठा. एक छात्र ने इस मुद्दे को जोर-शोर से सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के सामने उठाया. उसने कहा कि बिहार सरकार भी स्टाइपेंड दे, जिससे अनुसंधान कार्य में गति मिल सके.

ये भी पढ़ें- OBC के छात्रों ने कहा- 4 साल बीत चुके अब तक नहीं मिली प्रोत्साहन राशि, CM बोले- मेरे नाम का है... देख लीजिए

जनता दरबार में आज शिक्षा विभाग (Education Department) से जुड़ा मुद्दा उठाया जा रहा था. इसी कड़ी में एक छात्र ने आकर कहा कि बिहार के स्कॉलर की मांग है कि मंथली स्टाइपेंड फिक्स किया जाए. रिसर्च स्कॉलर के लिए अन्य राज्य सरकारों और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा दिया जाता है. बिहार सरकार भी स्टाइपेंड दे. जिससे अनुसंधान कार्य में गति मिल सके.

देखें वीडियो.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग के पास उक्त छात्र को भेज दिया. बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने अप्रैल, 2006 में जनता दरबार शुरू किया था. 10 सालों तक जनता दरबार कार्यक्रम मुख्यमंत्री ने किया. मई, 2016 में लोक शिकायत निवारण कानून बनने के बाद नीतीश कुमार ने जनता दरबार कार्यक्रम को बंद कर दिया. 10 सालों में 241 जनता दरबार का कार्यक्रम मुख्यमंत्री ने किया. 10 सालों में 2,77,249 मामले सामने आए जिसका निष्पादन किया गया है. 5 साल बाद फिर जनता दरबार कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है. जनता दरबार के लिए इस बार मुख्यमंत्री सचिवालय परिसर में बड़ा सा हॉल बनाया गया है.

पहले मुख्यमंत्री आवास में जनता दरबार शुरू हुआ था और 10 सालों तक मुख्यमंत्री आवास परिसर में ही जनता दरबार लगता रहा. मुख्यमंत्री के जनता दरबार में संबंधित विभाग के मंत्री और सभी आला अधिकारी भी मौजूद रहते हैं और दरबार से ही समस्याओं का निदान कराने की कोशिश होती रही है. पहले जनता दरबार में कई बार हंगामा भी हुआ और मुख्यमंत्री पर चप्पल तक फेंका गया. महागठबंधन में जाने के बाद भी मुख्यमंत्री ने जनता दरबार कार्यक्रम बंद नहीं किया.

महीने के प्रथम सोमवार को गृह विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, मध्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग, निगरानी, खान भूतत्व और समान प्रशासन विभाग से जुड़े लोगों की समस्या सुना जाएगा. महीने के दूसरे सोमवार को स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, समाज कल्याण विभाग, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण विभाग, साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, कला संस्कृति एवं युवा विभाग, वित्त विभाग, श्रम संसाधन विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग की बारी आएगी.

ये भी पढ़ें- 'महोदय! सबसे पहले आपके चरणों में प्रणाम करता हूं'...नीतीश बोले- ठीक है चलिए...चलिए

जबकि तीसरे सोमवार को ग्रामीण विकास विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, पंचायती राज विभाग, ऊर्जा विभाग, पथ निर्माण विभाग, पीएचईडी विभाग, कृषि विभाग, सहकारिता विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग और इसके अलावा कई विभाग से जुड़े समस्या का निदान होगा.

जनता दरबार में कोरोना गाइडलाइन (Corona Guideline) का सख्ती से पालन किया जा रहा है. बाहर से जो भी शिकायतकर्ता जनता दरबार में आ रहे हैं, उनकी कोरोना जांच के साथ वैक्सीनेशन भी किया जा रहा है. हालांकि जनता दरबार में जहां पहले बड़ी संख्या में लोग पहुंचते थे, वहीं अब कोरोना के कारण सीमित संख्या में ही लोगों को आने की अनुमति दी जा रही है.

पटना: सीएम नीतीश कुमार के जनता दरबार में रिसर्च स्कॉलर को मंथली स्टाइपेंड (Monthly Stipend for bihar scholar) देने का मुद्दा उठा. एक छात्र ने इस मुद्दे को जोर-शोर से सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के सामने उठाया. उसने कहा कि बिहार सरकार भी स्टाइपेंड दे, जिससे अनुसंधान कार्य में गति मिल सके.

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जनता दरबार में आज शिक्षा विभाग (Education Department) से जुड़ा मुद्दा उठाया जा रहा था. इसी कड़ी में एक छात्र ने आकर कहा कि बिहार के स्कॉलर की मांग है कि मंथली स्टाइपेंड फिक्स किया जाए. रिसर्च स्कॉलर के लिए अन्य राज्य सरकारों और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा दिया जाता है. बिहार सरकार भी स्टाइपेंड दे. जिससे अनुसंधान कार्य में गति मिल सके.

देखें वीडियो.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग के पास उक्त छात्र को भेज दिया. बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने अप्रैल, 2006 में जनता दरबार शुरू किया था. 10 सालों तक जनता दरबार कार्यक्रम मुख्यमंत्री ने किया. मई, 2016 में लोक शिकायत निवारण कानून बनने के बाद नीतीश कुमार ने जनता दरबार कार्यक्रम को बंद कर दिया. 10 सालों में 241 जनता दरबार का कार्यक्रम मुख्यमंत्री ने किया. 10 सालों में 2,77,249 मामले सामने आए जिसका निष्पादन किया गया है. 5 साल बाद फिर जनता दरबार कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है. जनता दरबार के लिए इस बार मुख्यमंत्री सचिवालय परिसर में बड़ा सा हॉल बनाया गया है.

पहले मुख्यमंत्री आवास में जनता दरबार शुरू हुआ था और 10 सालों तक मुख्यमंत्री आवास परिसर में ही जनता दरबार लगता रहा. मुख्यमंत्री के जनता दरबार में संबंधित विभाग के मंत्री और सभी आला अधिकारी भी मौजूद रहते हैं और दरबार से ही समस्याओं का निदान कराने की कोशिश होती रही है. पहले जनता दरबार में कई बार हंगामा भी हुआ और मुख्यमंत्री पर चप्पल तक फेंका गया. महागठबंधन में जाने के बाद भी मुख्यमंत्री ने जनता दरबार कार्यक्रम बंद नहीं किया.

महीने के प्रथम सोमवार को गृह विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, मध्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग, निगरानी, खान भूतत्व और समान प्रशासन विभाग से जुड़े लोगों की समस्या सुना जाएगा. महीने के दूसरे सोमवार को स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, समाज कल्याण विभाग, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण विभाग, साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, कला संस्कृति एवं युवा विभाग, वित्त विभाग, श्रम संसाधन विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग की बारी आएगी.

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जबकि तीसरे सोमवार को ग्रामीण विकास विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, पंचायती राज विभाग, ऊर्जा विभाग, पथ निर्माण विभाग, पीएचईडी विभाग, कृषि विभाग, सहकारिता विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग और इसके अलावा कई विभाग से जुड़े समस्या का निदान होगा.

जनता दरबार में कोरोना गाइडलाइन (Corona Guideline) का सख्ती से पालन किया जा रहा है. बाहर से जो भी शिकायतकर्ता जनता दरबार में आ रहे हैं, उनकी कोरोना जांच के साथ वैक्सीनेशन भी किया जा रहा है. हालांकि जनता दरबार में जहां पहले बड़ी संख्या में लोग पहुंचते थे, वहीं अब कोरोना के कारण सीमित संख्या में ही लोगों को आने की अनुमति दी जा रही है.

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