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शराबबंदी में 'झूमता बिहार'.. सीएम नीतीश की समीक्षा के बाद भी जमीन पर बिगड़े हालात.. एक साथ कई जगहों पर छापेमारी

सीएम नीतीश कुमार भले ही बिहार में शराबबंदी को कड़ाई से लागू कराने का दावा करते हैं लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है. हाल ही में कई जिलों में जहरीली शराब से हुईं मौतें स्थिति स्पष्ट करने के लिए काफी हैं.

Liquor Ban in Bihar
Liquor Ban in Bihar
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Published : Nov 21, 2021, 12:49 PM IST

पटना: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) ही अभी हॉट टॉपिक है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की शराबबंदी की समीक्षा के बाद पुलिस-प्रशासन की गतिविधियों में काफी तेजी आयी है. लगातार छापेमारी हो रही है. शराब बरामदगी के साथ ही गिरफ्तारी भी हो रही है. इसके बावजूद इसके अवैध कारोबार में कमी नहीं दिख रही. हर जिले से भारी पैमाने पर शराब की जब्ती हो रही है. शराब का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है.

ये भी पढ़ें: Bihar News: 'ड्राई स्टेट' में गला 'तर' कर रहे थे 2 डॉक्टर और 6 इंजीनियर, पटना पुलिस ने 110 को दबोचा

मुख्यमंत्री ने शराबबंदी की समीक्षा के बाद कठोर संदेश दिया था. शराब बेचने वालों और पीने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है. इसी के तहत बिहार में परिवहन विभाग द्वारा 26 नवंबर से बसों पर शराब नहीं पीने को लेकर जागरुकता अभियान चलाया जाएगा. बसों में मनोरंजन सामग्री के साथ-साथ शराबबंदी से संबंधित लघु फिल्म दिखाने की तैयारी की जा रही है.

ऊर्जा विभाग ने भी निर्णय लिया है कि बिहार के सभी बिजली के खंभों पर शराबबंदी को लेकर टोल फ्री नंबर लिखा जाएगा ताकि कोई व्यक्ति किसी भी शराब तस्कर या पीने वाली की सूचना आराम से दे सकें. उनकी पहचान को गुप्त रखा जाएगा. वहीं, पुलिस विभाग को हर स्तर से शराब तस्करों और माफिया को पकड़ने और शराबबंदी कानून को सफल बनाने हेतु कोई कसर नहीं छोड़ने का निर्देश दिया गया है. इस कड़ाई के बावजूद मामलों में कहीं भी कमी नहीं दिख रही है.

ये भी पढ़ें: शराबबंदी को लेकर बिहार के वाहन मालिक देंगे हलफनामा, बसों में दिखाई जाएंगी जागरूकता के लिए फिल्में

बता दें कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने महिलाओं से शराबबंदी का वादा किया था. इसका एक उद्देश्य घरेलू हिंसा को रोकना था. चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपना वादा निभाया. एक अप्रैल 2016 बिहार निषेध एवं आबकारी अधिनियम के तहत बिहार में शराबबंदी लागू कर दी गई. तब से सरकार के दावे के बावजूद शराब की तस्करी और बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. इसका प्रमाण शराब की बरामदगी और इस धंधे से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी है.

शराबबंदी के चलते देसी शराब का कारोबार खूब फल-फूल रहा है. हाल ही में गोपालगंज, पश्चिमी चंपारण, सिवान, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर में जहरीली शराब के सेवन से कई लोगों की मौत हो गयी थी. बिहार में शराबबंदी को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर जमकर हमला शुरू कर दिया था. इसके बाद इसके बाद चौतरफा घिरे मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक की थी.

ये भी पढ़ें: CM नीतीश के बयान पर बोले चिराग- 'पहले वो बताएं कहां रहते हैं, बिहार की जनता उन्हें खोज रही है'

पटना: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) ही अभी हॉट टॉपिक है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की शराबबंदी की समीक्षा के बाद पुलिस-प्रशासन की गतिविधियों में काफी तेजी आयी है. लगातार छापेमारी हो रही है. शराब बरामदगी के साथ ही गिरफ्तारी भी हो रही है. इसके बावजूद इसके अवैध कारोबार में कमी नहीं दिख रही. हर जिले से भारी पैमाने पर शराब की जब्ती हो रही है. शराब का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है.

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मुख्यमंत्री ने शराबबंदी की समीक्षा के बाद कठोर संदेश दिया था. शराब बेचने वालों और पीने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है. इसी के तहत बिहार में परिवहन विभाग द्वारा 26 नवंबर से बसों पर शराब नहीं पीने को लेकर जागरुकता अभियान चलाया जाएगा. बसों में मनोरंजन सामग्री के साथ-साथ शराबबंदी से संबंधित लघु फिल्म दिखाने की तैयारी की जा रही है.

ऊर्जा विभाग ने भी निर्णय लिया है कि बिहार के सभी बिजली के खंभों पर शराबबंदी को लेकर टोल फ्री नंबर लिखा जाएगा ताकि कोई व्यक्ति किसी भी शराब तस्कर या पीने वाली की सूचना आराम से दे सकें. उनकी पहचान को गुप्त रखा जाएगा. वहीं, पुलिस विभाग को हर स्तर से शराब तस्करों और माफिया को पकड़ने और शराबबंदी कानून को सफल बनाने हेतु कोई कसर नहीं छोड़ने का निर्देश दिया गया है. इस कड़ाई के बावजूद मामलों में कहीं भी कमी नहीं दिख रही है.

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बता दें कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने महिलाओं से शराबबंदी का वादा किया था. इसका एक उद्देश्य घरेलू हिंसा को रोकना था. चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपना वादा निभाया. एक अप्रैल 2016 बिहार निषेध एवं आबकारी अधिनियम के तहत बिहार में शराबबंदी लागू कर दी गई. तब से सरकार के दावे के बावजूद शराब की तस्करी और बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. इसका प्रमाण शराब की बरामदगी और इस धंधे से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी है.

शराबबंदी के चलते देसी शराब का कारोबार खूब फल-फूल रहा है. हाल ही में गोपालगंज, पश्चिमी चंपारण, सिवान, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर में जहरीली शराब के सेवन से कई लोगों की मौत हो गयी थी. बिहार में शराबबंदी को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर जमकर हमला शुरू कर दिया था. इसके बाद इसके बाद चौतरफा घिरे मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक की थी.

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