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बोले शिवानंद तिवारी- 'बिहार की राजनीति में एक नमूना हैं सुशील कुमार मोदी'

सुशील मोदी को राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने करारा जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि सुशील कुमार मोदी बिहार की राजनीति में एक नमूना हैं. साथ ही उन्होंने सवाल पूछे हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर...

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Published : May 23, 2022, 10:54 PM IST

पटना : लालू यादव के 17 ठिकानों पर सीबीआई का छापा (CBI raid on lalu yadavs house) हुआ. इसके बाद से बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है. खासकर राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) मसले को लेकर लगातार आक्रमण कर रहे हैं. वह राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी पूछ रहे थे. इसका उनको जवाब दिया गया है.

ये भी पढ़ें - सुशील मोदी ने लालू पर कसा तंज, बोले- 141 कीमती भूखंड, 30 फ्लैट और दर्जनों मकानों के मालिक कैसे बने

'शिवानंद तिवारी ने सीबीआई जांच की मांग की थी' : सुशील कुमार मोदी ने पूछा था, अगर लालू प्रसाद ने रेलवे में नौकरी देने के बदले लाभार्थी से जमीन नहीं लिखवायी थी, तो शिवानंद तिवारी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ज्ञापन देकर सीबीआई जांच की मांग क्यों की थी? विधान परिषद के चतुर्थवर्गीय कर्मचारी ललन चौधरी और रेलवे ग्रुप-डी कर्मचारी हृदयानंद चौधरी के नाम सीबीआई की प्राथमिकी में दर्ज है. शिवानंद तिवारी ने ही 2008 में लालू प्रसाद के खिलाफ CBI जांच की मांग की थी और जब सबूत के आधार पर कार्रवाई हो रही है, तब वे इसे राजनीतिक रंग दे रहे हैं.

लालू को संबोधित कर क्या बोले थे सुशील मोदी : साथ ही सुशील मोदी ने कहा था, ''लालू जी, शिवानंद जी, ललन जी एवं श्री शरद यादव ने 22 अगस्त, 2008 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह को सीबीआई जांच के लिए जो ज्ञापन दिया था, उसी पर सीबीआई ने कार्रवाई की है. लालू जी भूल गए कि कानून के हाथ लंबे होते हैं और अपराध कभी मरता नहीं है. Crime Never Dies.''

  • नौकरी के बदले जमीन मामले में लालू परिवार और राजद से पांच सवाल -
    अगर लालू प्रसाद ने रेलवे में नौकरी देने के बदले लाभार्थी से जमीन नहीं लिखवायी थी, तो शिवानंद तिवारी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ज्ञापन देकर सीबीआई जांच की मांग क्यों की थी ?

    — Sushil Kumar Modi (@SushilModi) May 21, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सुशील मोदी को शिवानंद तिवारी का जवाब : सुशील मोदी के सवाल का शिवानंद तिवारी ने जवाब (shivanand tiwari answer to sushil modi) दिया. शिवानंद ने कहा, ''बिहार की राजनीति में एक नमूना हैं सुशील कुमार मोदी. अभी अभी अतीत में उन्होंने गोता लगाया और खोज निकाला कि 2008 में हमने लालू यादव पर जमीन वाला आरोप लगाया था. सवाल तो यह नहीं था. सवाल तो यह था कि जब 2008 में आरोप लगा तो उसके बाद से अब तक यानी 14 वर्षों तक सीबीआई उन आरोपों पर क्यों सोई रही.''

''उसकी नींद तब क्यों खुली जब बिहार में मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष के बीच जाति आधारित जनगणना कराने की सहमति बनी है. छापेमारी के लिए यह समय क्यों चुना गया ? इसका दो स्पष्ट मकसद दिखाई दे रहा है. पहला उद्देश्य तो जाति आधारित जनगणना को रोकना है. क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जाति आधारित जनगणना का घोर विरोधी है. यह उन्हीं तबकों का समर्थक है जो देश के संसाधनों पर अपनी संख्या के अनुपात से कहीं ज्यादा संसाधनों पर कब्जा जमाए बैठा है.जातीय जनगणना से इसका खुलासा हो जाएगा और वंचित समाज अपनी संख्या के अनुपात में हिस्सेदारी की मांग करने लगेगा.''- शिवानंद तिवारी, वरिष्ठ नेता, आरजेडी

नीतीश-तेजस्वी में बढ़ रही नजदीकियां : इसके साथ साथ शिवानंद तिवारी ने कहा कि जातीय जनगणना के सवाल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता विरोधी दल तेजस्वी यादव के बीच नजदीकी बढ़ती हुई दिखाई दे रही है. भारतीय जनता पार्टी इससे सशंकित है. भाजपा को 2015 के विधान सभा चुनाव का नतीजा अच्छी तरह याद है. अनुमान लगाया जा रहा है कि छापेमारी द्वारा कहीं परोक्ष रूप से नीतीश कुमार को चेतावनी देने की कोशिश तो नहीं की जा रही है.

शिवानंद तिवारी ने कहा, ''सवाल यही था. जिसका जवाब सुशील मोदी ने नहीं दिया है. हम लोग उनसे जानना चाहेंगे कि 2008 में लगाए गये आरोपों पर अब तक सोने वाली सीबीआई चौदह बरस बाद अचानक कैसे और क्यों सक्रिय हो गई ! इसका मकसद राजनीति के अलावा और क्या हो सकता है सुशील जी ? इस सवाल पर कृपया हमारा ज्ञानवर्धन करें.''

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पटना : लालू यादव के 17 ठिकानों पर सीबीआई का छापा (CBI raid on lalu yadavs house) हुआ. इसके बाद से बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है. खासकर राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) मसले को लेकर लगातार आक्रमण कर रहे हैं. वह राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी पूछ रहे थे. इसका उनको जवाब दिया गया है.

ये भी पढ़ें - सुशील मोदी ने लालू पर कसा तंज, बोले- 141 कीमती भूखंड, 30 फ्लैट और दर्जनों मकानों के मालिक कैसे बने

'शिवानंद तिवारी ने सीबीआई जांच की मांग की थी' : सुशील कुमार मोदी ने पूछा था, अगर लालू प्रसाद ने रेलवे में नौकरी देने के बदले लाभार्थी से जमीन नहीं लिखवायी थी, तो शिवानंद तिवारी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ज्ञापन देकर सीबीआई जांच की मांग क्यों की थी? विधान परिषद के चतुर्थवर्गीय कर्मचारी ललन चौधरी और रेलवे ग्रुप-डी कर्मचारी हृदयानंद चौधरी के नाम सीबीआई की प्राथमिकी में दर्ज है. शिवानंद तिवारी ने ही 2008 में लालू प्रसाद के खिलाफ CBI जांच की मांग की थी और जब सबूत के आधार पर कार्रवाई हो रही है, तब वे इसे राजनीतिक रंग दे रहे हैं.

लालू को संबोधित कर क्या बोले थे सुशील मोदी : साथ ही सुशील मोदी ने कहा था, ''लालू जी, शिवानंद जी, ललन जी एवं श्री शरद यादव ने 22 अगस्त, 2008 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह को सीबीआई जांच के लिए जो ज्ञापन दिया था, उसी पर सीबीआई ने कार्रवाई की है. लालू जी भूल गए कि कानून के हाथ लंबे होते हैं और अपराध कभी मरता नहीं है. Crime Never Dies.''

  • नौकरी के बदले जमीन मामले में लालू परिवार और राजद से पांच सवाल -
    अगर लालू प्रसाद ने रेलवे में नौकरी देने के बदले लाभार्थी से जमीन नहीं लिखवायी थी, तो शिवानंद तिवारी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ज्ञापन देकर सीबीआई जांच की मांग क्यों की थी ?

    — Sushil Kumar Modi (@SushilModi) May 21, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सुशील मोदी को शिवानंद तिवारी का जवाब : सुशील मोदी के सवाल का शिवानंद तिवारी ने जवाब (shivanand tiwari answer to sushil modi) दिया. शिवानंद ने कहा, ''बिहार की राजनीति में एक नमूना हैं सुशील कुमार मोदी. अभी अभी अतीत में उन्होंने गोता लगाया और खोज निकाला कि 2008 में हमने लालू यादव पर जमीन वाला आरोप लगाया था. सवाल तो यह नहीं था. सवाल तो यह था कि जब 2008 में आरोप लगा तो उसके बाद से अब तक यानी 14 वर्षों तक सीबीआई उन आरोपों पर क्यों सोई रही.''

''उसकी नींद तब क्यों खुली जब बिहार में मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष के बीच जाति आधारित जनगणना कराने की सहमति बनी है. छापेमारी के लिए यह समय क्यों चुना गया ? इसका दो स्पष्ट मकसद दिखाई दे रहा है. पहला उद्देश्य तो जाति आधारित जनगणना को रोकना है. क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जाति आधारित जनगणना का घोर विरोधी है. यह उन्हीं तबकों का समर्थक है जो देश के संसाधनों पर अपनी संख्या के अनुपात से कहीं ज्यादा संसाधनों पर कब्जा जमाए बैठा है.जातीय जनगणना से इसका खुलासा हो जाएगा और वंचित समाज अपनी संख्या के अनुपात में हिस्सेदारी की मांग करने लगेगा.''- शिवानंद तिवारी, वरिष्ठ नेता, आरजेडी

नीतीश-तेजस्वी में बढ़ रही नजदीकियां : इसके साथ साथ शिवानंद तिवारी ने कहा कि जातीय जनगणना के सवाल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता विरोधी दल तेजस्वी यादव के बीच नजदीकी बढ़ती हुई दिखाई दे रही है. भारतीय जनता पार्टी इससे सशंकित है. भाजपा को 2015 के विधान सभा चुनाव का नतीजा अच्छी तरह याद है. अनुमान लगाया जा रहा है कि छापेमारी द्वारा कहीं परोक्ष रूप से नीतीश कुमार को चेतावनी देने की कोशिश तो नहीं की जा रही है.

शिवानंद तिवारी ने कहा, ''सवाल यही था. जिसका जवाब सुशील मोदी ने नहीं दिया है. हम लोग उनसे जानना चाहेंगे कि 2008 में लगाए गये आरोपों पर अब तक सोने वाली सीबीआई चौदह बरस बाद अचानक कैसे और क्यों सक्रिय हो गई ! इसका मकसद राजनीति के अलावा और क्या हो सकता है सुशील जी ? इस सवाल पर कृपया हमारा ज्ञानवर्धन करें.''

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