नई दिल्ली/पटना : सिख राजनीति में स्तंभ कहे जाने वाले शिरोमणि अकाली दल बादल दल के नेता अवतार सिंह हित का शनिवार सुबह अचानक निधन हो गया. फिलहाल मृत्यु की वजह हार्टअटैक बताया जा रहा है. 80 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली. उनके इस तरह चले जाने से उनके परिवार वाले और सिख कौम के साथ-साथ सिख राजनीति से जुड़े लोग इसे बड़ी क्षति मान रहे हैं. परिवार में बेटी और दामाद है साथ ही भाइयों का परिवार है. पिछले साल उनकी पत्नी का भी देहांत हो गया था.
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परिवार वालों से मिली जानकारी के अनुसार 7:45 बजे के करीब जब वे अपने हरि नगर स्थित घर में पाठ कर रहे थे तभी उनकी तबीयत बिगड़ी और वे बेहोश हो गए. घर के नौकर ने जब आवाज लगाई तो उनके भतीजे और बाकी घर वालों ने आकर उन्हें उठाया और सीपीआर दिया, लेकिन स्थिति नहीं सुधरी तो उन्हें फौरन पास के अस्पताल में ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इस घटना से परिवार वाले सदमे में हैं. परिजनों का कहना है कि रात में भी उनके पास बैठे थे तो वह धर्म और गुरुग्रंथ साहिब की बातें कर रहे थे, तब उनकी तबीयत बिल्कुल सही थी और इससे पहले से भी तबीयत खराब नहीं थी, लेकिन अचानक सुबह इस तरह की घटना से सभी गमगीन हैं.
वहीं इनके निधन पर भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के नेता मनजिंदर सिरसा ने इस पर दुख व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि, "सिरसा ने कहा कि वह एक बुद्धिमान व्यक्तित्व, पंथ के सच्चे सेवक के रूप में अपनी सेवाएं देने वाले तख्त श्री पटना साहिब के अध्यक्ष जत्थेदार अवतार सिंह हितजी की मृत्यु का हमें बहुत दुखद समाचार मिला है. उनका दुनिया से जाना पंथ के लिए बहुत बड़ी क्षति है. ईश्वर उन्हें अपने चरणों में चिरस्थायी वास प्रदान करें."
वहीं इनके निधन से सिख राजनीति से जुड़े दूसरे दल के नेता भी उनके द्वारा कौम के लिए कामों को लेकर उनकी तारीफ कर रहे हैं. उनका मानना है कि सिख राजनीति को उनके जाने से बड़ा नुकसान हुआ है. सरदार अवतार सिंह हित दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के दो बार प्रधान पद पर भी रहे. कुछ दिनों पहले दिल्ली की सिख राजनीति में हुए उलटफेर पर गौर करें तो जहां दिल्ली की पूरी कमेटी शिरोमणि अकाली दल बादल दल छोड़कर नया दल बना लिया लेकिन अवतार सिंह हित अभी भी शिरोमणी अकाली दल बादल के साथ बने रहे.
मौजूदा समय में वह दिल्ली में इकलौते सीनियर शिरोमणि अकाली दल बादल के नेता थे और इन दिनों पटना साहिब के प्रधान के तौर पर भी नियुक्त थे. इसके अलावा उन्होंने दिल्ली की राजनीति में भी अहम भूमिका निभाई. बीजेपी अकाली गठबंधन वाली हरी नगर सीट से वे 2007 में पार्षद का चुनाव जीते और इसके बाद 2013 में वह राजौरी गार्डन विधानसभा से बीजेपी अकाली दल गठबंधन वाली सीट से विधानसभा का चुनाव लड़े. हालांकि वे चुनाव हार गए, लेकिन वह चुनाव भी काफी चर्चा में रहा उस चुनाव में कांग्रेस के दयानंद चंदेला से महज 13 वोटों से हारे थे और मामले को वह कोर्ट में भी ले गए थे. लेकिन धीरे-धीरे ढलती उम्र के पड़ाव को देखते हुए उन्होंने दिल्ली की राजनीति से किनारा कर लिया लेकिन सिख धर्म की राजनीति सो गई अब भी सक्रिय तौर पर जुड़े हुए थे.