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बिहार चुनाव: दूसरे चरण का 'रण' RJD के लिए है अहम, दांव पर कई दिग्गजों की किस्मत

दूसरे चरण में महागठबंधन और आरजेडी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार तेजस्वी यादव और उनके भाई तेजप्रताप यादव की किस्मत दांव पर लगी है.

second phase is important for RJD
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Published : Oct 30, 2020, 6:26 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के 17 जिलों की 94 विधानसभा सीटों पर 1463 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं, यहां पर 3 नवंबर को मतदान है. माना जा रहा है कि दूसरा चरण दोनों गठबंधन के लिए बहुत ही अहम है लेकिन दूसरे चरण का मतदान आरजेडी के लिए बहुत अहम है.

दरअसल, दूसरे चरण में महागठबंधन और आरजेडी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार तेजस्वी यादव और उनके भाई तेजप्रताप यादव की किस्मत दांव पर लगी है. राघोपुर और हसनपुर में इन दोनों भाइयों के लिए लोग वोटिंग करेंगे. इसके अलावा आरजेडी के टिकट पर कई बाहुबली इस बार चुनाव मैदान में हैं, जिनके लिए दूसरे चरण में वोट डाले जाएंगे.

  • दूसरे चरण में इन दिग्गजों पर रहेगी नजर, मैदान में नेता प्रतिपक्ष के साथ कई मंत्रीhttps://t.co/akFFkIUas0

    — ETVBharat Bihar (@ETVBharatBR) October 30, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

दूसरे चरण में तेज-तेजस्वी के अलावा आरजेडी के कई बड़े चेहरे मैदान में हैं. पार्टी के महासचिव आलोक कुमार मेहता उजियारपुर से चुनाव मैदान में हैं. पूर्व सांसद और युवा आरजेडी अध्यक्ष शैलेष कुमार उर्फ बुलो मंडल भी बीहपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा आरजेडी के कई बाहुबली नेताओं के नाम दूसरे चरण में ताल ठोक रहे हैं.

पूर्व सांसद आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद दूसरे फेज में ही चुनाव लड़ रहे हैं. दानापुर सीट से बाहुबली उम्मीदवार रीतलाल यादव भी दूसरे चरण में आरजेडी के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं. वहीं, पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह और भाई केदार नाथ सिंह भी दूसरे चरण में चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं. रणधीर सिंह छपरा से जबकि केदार सिंह बनियापुर से चुनाव लड़ रहे हैं.

दांव पर महागठबंधन की 70 सीटें!

दरअसल, साल 2015 में महागठबंधन ( आरजेडी-जेडीयू-कांग्रेस ) ने मिलकर 70 सीटों पर जीत हासिल की थी. इनमें 33 सीटें आरजेडी, 30 सीटें जेडीयू और सात सीटें कांग्रेस ने जीती थीं. वहीं, बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने 22 सीटें जीती थीं, जिनमें 20 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी जबकि दो सीटें एलजेपी के खाते में गई थी.

हालांकि, इस बार के चुनाव में समीकरण बदल गए हैं. जेडीयू और बीजेपी एक साथ मिलकर चुनाव मैदान में हैं तो एलजेपी अलग चुनाव लड़ रही है. वहीं, जेडीयू के बिना चुनावी मैदान में उतरी आरजेडी पुराने नतीजे दोहराने के लिए कांग्रेस के साथ वामपंथी दलों का सहारा है. एनडीए ने 2010 में इस इलाके में जबरदस्त जीत हासिल की थी और फिर उसी फॉर्मूले के सहारे अपने पुराने दुर्ग को पाने की जद्दोजहद कर रही है.

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के 17 जिलों की 94 विधानसभा सीटों पर 1463 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं, यहां पर 3 नवंबर को मतदान है. माना जा रहा है कि दूसरा चरण दोनों गठबंधन के लिए बहुत ही अहम है लेकिन दूसरे चरण का मतदान आरजेडी के लिए बहुत अहम है.

दरअसल, दूसरे चरण में महागठबंधन और आरजेडी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार तेजस्वी यादव और उनके भाई तेजप्रताप यादव की किस्मत दांव पर लगी है. राघोपुर और हसनपुर में इन दोनों भाइयों के लिए लोग वोटिंग करेंगे. इसके अलावा आरजेडी के टिकट पर कई बाहुबली इस बार चुनाव मैदान में हैं, जिनके लिए दूसरे चरण में वोट डाले जाएंगे.

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दूसरे चरण में तेज-तेजस्वी के अलावा आरजेडी के कई बड़े चेहरे मैदान में हैं. पार्टी के महासचिव आलोक कुमार मेहता उजियारपुर से चुनाव मैदान में हैं. पूर्व सांसद और युवा आरजेडी अध्यक्ष शैलेष कुमार उर्फ बुलो मंडल भी बीहपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा आरजेडी के कई बाहुबली नेताओं के नाम दूसरे चरण में ताल ठोक रहे हैं.

पूर्व सांसद आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद दूसरे फेज में ही चुनाव लड़ रहे हैं. दानापुर सीट से बाहुबली उम्मीदवार रीतलाल यादव भी दूसरे चरण में आरजेडी के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं. वहीं, पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह और भाई केदार नाथ सिंह भी दूसरे चरण में चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं. रणधीर सिंह छपरा से जबकि केदार सिंह बनियापुर से चुनाव लड़ रहे हैं.

दांव पर महागठबंधन की 70 सीटें!

दरअसल, साल 2015 में महागठबंधन ( आरजेडी-जेडीयू-कांग्रेस ) ने मिलकर 70 सीटों पर जीत हासिल की थी. इनमें 33 सीटें आरजेडी, 30 सीटें जेडीयू और सात सीटें कांग्रेस ने जीती थीं. वहीं, बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने 22 सीटें जीती थीं, जिनमें 20 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी जबकि दो सीटें एलजेपी के खाते में गई थी.

हालांकि, इस बार के चुनाव में समीकरण बदल गए हैं. जेडीयू और बीजेपी एक साथ मिलकर चुनाव मैदान में हैं तो एलजेपी अलग चुनाव लड़ रही है. वहीं, जेडीयू के बिना चुनावी मैदान में उतरी आरजेडी पुराने नतीजे दोहराने के लिए कांग्रेस के साथ वामपंथी दलों का सहारा है. एनडीए ने 2010 में इस इलाके में जबरदस्त जीत हासिल की थी और फिर उसी फॉर्मूले के सहारे अपने पुराने दुर्ग को पाने की जद्दोजहद कर रही है.

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