पटना: बिहार में जूनियर डॉक्टर्स ( Junior Doctors ) की हड़ताल का आज दूसरा दिन है. बता दें कि बुधवार को जूनियर डॉक्टर्स ने कार्य बहिष्कार किया था और गुरुवार को उन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल ( Indefinite Strike ) पर जाने का ऐलान कर दिया.
गौरतलब है कि गुरुवार को सुबह से ही जूनियर डॉक्टर सबसे पहले रजिस्ट्रेशन काउंटर को बंद कराया उसके बाद ओपीडी भी बंद करवा दिया है. रजिस्ट्रेशन काउंटर और ओपीडी बंद होने से मरीजों की परेशानी बढ़ गई है. इधर जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती तब तक वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे.
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धरने पर बैठे डॉक्टरों ने पीएमसीएच प्रशासन और सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनके वेतन को बढ़ाने की तत्काल घोषणा नहीं हुई तो वे लोग वार्डों में इलाज ठप करा देंगे. धरने पर बैठे डॉक्टर्स ने कहा कि उन्हें अभी 15 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय के रूप में मिलता है. सरकार द्वारा पिछले चार वर्षों से मानदेय की समीक्षा नहीं की गई है.
जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि साल 2013 से इंटर्न को महज 15 हजार स्टाइपेंड मिलता आ रहा है, जबकि कई बार मांग पत्र देने और आंदोलन के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्टाइपेंड बढ़ोतरी को लेकर आश्वासन भी दिया गया था.
उन्होंने कहा कि 8 साल बाद भी स्टाइपेंड में बढ़ोतरी नहीं हुई है. ऐसे में अब काम कर पाना मुश्किल है. जूनियर डॉक्टरों ने साफ कहा है इस बार आर-पार की लड़ाई होगी जब तक मांगें पूरी नहीं होती है तब तक कोई भी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर ड्यूटी पर वापस नहीं लौटेंगे.
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हड़ताल पर गए डॉक्टरों ने बताया कि आईजीआईएमएस और देश के कई अन्य मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस इंटर्न को 30 से 35 हजार रुपये से ज्यादा प्रतिमाह मानदेय मिलता है लेकिन हम लोगों को मात्र 15 हजार ही मिलता है. इधर, जूनियर डॉक्टरों की मांग को जायज बताते हुए आईएमए ( IMA ) ने भी इसका समर्थन किया है और सरकार से इंटर्न के स्टाइपेंड को 15000 से बढ़ाकर 50 हजार करने की मांग की है.