नई दिल्ली/पटना: बिहार बीजेपी अध्यक्ष व सांसद संजय जायसवाल (Bihar BJP President Sanjay Jaiswal) ने जातीय जनगणना पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जातीय जनगणना नहीं कराएगी (Central Government Will not Conduct Caste Census), लेकिन अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहें तो राज्य सरकार बिहार में अपने खर्चे पर करा सकती है. उन्होंने कहा कि आम जनगणना 2020 में होनी थी. अब इसको कराने की पूरी तैयारी हो चुकी है. कभी भी जनगणना शुरू हो जाएगी. ऐसे में जातीय जनगणना फिलहाल संभव नहीं है, क्योंकि उसके लिए नए सिरे से तैयारी करनी पड़ेगी. 48000 जातियों का आंकड़ा कंप्यूटर शील्ड में भी नहीं आ पाएगा.
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जातीय जनगणना पर संजय जायसवाल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि केंद्र सरकार का ध्यान इस बात पर है कि देश में कितने गरीब हैं और उनके लिए किस तरह बेहतर योजना शुरू की जाए. केंद्र सरकार जातीय जनगणना नहीं करा पाएगी. कर्नाटक सरकार ने उसको खुद से कर्नाटक में कराया था और 4 साल तक इसकी रिपोर्ट को रोक कर रखी थी. 2011 में जनगणना में देश में सभी आंकड़े सार्वजनिक नहीं हुए थे. बिहार सरकार चाहे तो खुद से इसको करा ले. कुछ राजनीतिक दल सियासी लाभ के लिए जातीय जनगणना का मुद्दा उठाते रहते हैं. मोदी सरकार हर वर्ग के लोगों का विशेष ख्याल रख रही है.
दरअसल, केंद्र सरकार ने संसद में जातीय जनगणना पर कहा है कि आजादी के बाद से केंद्र ने जनगणना में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के अलावा जाति आधारित गणना नहीं की है. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही है. प्रश्न पूछा गया था कि क्या सरकार ने जाति आधारित जनगणना के लिए कोई योजना या नीति बनाई है.
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केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव केंद्र सरकार पर हमलावर हैं. उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री से मांग की है कि बिहार सरकार इसको खुद से बिहार में अपने खर्चे पर कराए. उधर, जेडीयू सांसद दिनेश चंद्र यादव ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की है और सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है. तेजस्वी ने आज जातीय जनगणना कराने के मुद्दे पर सीएम नीतीश से मुलाकात की है. इस दौरान उनके साथ बिहार के विपक्षी दल के नेता मौजूद थे.
वैसे जातीय जनगणना कराने की मांग आरजेडी और जेडीयू बहुत पहले से कर रहे हैं. इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी की थी और जल्दी से कराने की मांग की थी. वहीं सरकार का जो संसद में जो जवाब आया है, उससे आरजेडी और जेडीयू दोनों को झटका लगा है. आरजेडी और जेडीयू का कहना है कि जातीय जनगणना होगी तो इससे पता चलेगा कि किस जाति की कितनी संख्या है और कमजोर वर्ग की वास्तविक संख्या के आधार पर विकास कार्यक्रम को बढ़ाने में मदद मिलेगी. सरकारी योजनाओं का लाभ कमजोर वर्ग के लोगों तक पहुंचेगा.
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