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'नायक नहीं खलनायक हैं नीतीश कुमार' ..नगर निकाय में पिछड़ा आरक्षण पर बोले सम्राट चौधरी

बिहार में नगर निकाय चुनाव 2022 (Bihar Municipal Election 2022) पर रोक के बावजूद इसको लेकर सियासत तेज है. बिहार विधान परिषद में विपक्ष के नेता सम्राट चौधरी ने सीएम नीतीश कुमार पर करारा हमला बोलते (Samrat Chaudhary Target CM Nitish Kumar) हुए कहा कि वो नायक नहीं खलनायक की तरह काम कर रहे हैं. वो अति पिछड़ों के विरोधी हैं. पढ़ें पूरी खबर...

बिहार विधान परिषद में विपक्ष के नेता सम्राट चौधरी
बिहार विधान परिषद में विपक्ष के नेता सम्राट चौधरी
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Published : Oct 13, 2022, 5:58 PM IST

Updated : Oct 13, 2022, 6:07 PM IST

पटना: बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) में प्रतिपक्ष के नेता सम्राट चौधरी (Leader Of Opposition Samrat Chaudhary) ने बिहार सीएम नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) पर तंज कसते हुए कहा कि आज की तारीख में वो नायक नहीं खलनायक की तरह काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नगर निकाय चुनाव को लेकर जो स्थिति बनी है, उसके लिए पूरी तरह से नीतीश कुमार जिम्मेदार हैंं. वो कभी भी अति पिछड़ा या पिछड़ा के आरक्षण को लेकर कोई काम नहीं किया है. सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के बावजूद नगर निकाय चुनाव में अति पिछड़ा को बिना आरक्षण दिए ही चुनाव करवाना चाहते थे. इससे पता चल गया है कि नीतीश कुमार का असली चेहरा क्या है?. और कितना बड़ा आरक्षण विरोधी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं.

ये भी पढ़ें- नीतीश कुमार के खिलाफ कोर्ट के अवमानना का मामला चलाया जाना चाहिएः सम्राट चौधरी

'नीतीश कुमार ने अपने राज में कभी भी पिछड़ा और अति पिछड़ा को लेकर कोई सर्वे नहीं करवाया. कभी भी यह समझने की कोशिश नहीं की, कि पिछड़ा और अति पिछड़ा समाज के आर्थिक हालात क्या है?. आज वह आरक्षण को लेकर तरह-तरह की बातें करते हैं. नगर निकाय चुनाव को लेकर जो बात आज सत्ता पक्ष के लोग बोल रहे हैं या जो पोल खोल की बात कर रहे हैं, उनका पोल पूरी तरह से खुल गया है. जनता समझ गई है कि आरक्षण विरोधी चेहरा अगर कोई है, तो वह नीतीश कुमार हैं. जदयू के लोग कुछ भी कर लें लेकिन जनता सब कुछ समझ गई है कि अति पिछड़ा और पिछड़े के आरक्षण को लेकर नीतीश कुमार क्या राय रखते हैं?.' - सम्राट चौधरी, प्रतिपक्ष नेता, बिहार विधान परिषद

सम्राट चौधरी ने सीएम नीतीश कुमार पर साधा निशाना : उन्होंने कहा कि आज नीतीश कुमार उसी आदमी के गोद में जाकर बैठ गए हैं, जो कभी भी पंचायत चुनाव में आरक्षण के नियम का पालन नहीं किया. यहां तक कि लालू यादव जब तक सत्ता में रहे पंचायत का चुनाव करवाया ही नहीं. कहीं ना कहीं संगत का असर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर पड़ा है. यही कारण है कि वो भी चाहते थे कि नगर निकाय का चुनाव बिना, अति पिछड़ा के आरक्षण के हो जाए. लेकिन हाईकोर्ट ने उस पर रोक लगाया है. जिससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आरक्षण विरोधी चेहरा सामने आ गया है. जदयू के लोग दूसरे का पोल क्या खोलेंगे?. उनकी पहले ही पोल खुल चुकी है, वो लोग आरक्षण विरोधी हैं.

नगर पालिका चुनाव 2022 स्थगित : गौरतलब है कि बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने अगले आदेश तक के लिए नगर पालिका चुनाव 2022 को स्थगित कर दिया (Bihar Municipal Election Postponed) है. पटना हाई कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला लिया है. नगर पालिका आम निर्वाचन 2022 के पहले और दूसरे चरण के लिए 10 अक्टूबर और 20 अक्टूबर को होने वाले मतदान की तिथि को तत्काल स्थगित कर दिया गया है. जानकारी दी गयी है कि स्थगित निर्वाचन की अगली तिथि जल्द ही सूचित की जाएगी.

तीन जांच की अर्हता पूरी होने के बाद फैसला : बता दें कि दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ईबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती. तीन जांच के प्रावधानों के तहत ईबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़ें जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत है. साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ईबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करे.

पटना: बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) में प्रतिपक्ष के नेता सम्राट चौधरी (Leader Of Opposition Samrat Chaudhary) ने बिहार सीएम नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) पर तंज कसते हुए कहा कि आज की तारीख में वो नायक नहीं खलनायक की तरह काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नगर निकाय चुनाव को लेकर जो स्थिति बनी है, उसके लिए पूरी तरह से नीतीश कुमार जिम्मेदार हैंं. वो कभी भी अति पिछड़ा या पिछड़ा के आरक्षण को लेकर कोई काम नहीं किया है. सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के बावजूद नगर निकाय चुनाव में अति पिछड़ा को बिना आरक्षण दिए ही चुनाव करवाना चाहते थे. इससे पता चल गया है कि नीतीश कुमार का असली चेहरा क्या है?. और कितना बड़ा आरक्षण विरोधी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं.

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'नीतीश कुमार ने अपने राज में कभी भी पिछड़ा और अति पिछड़ा को लेकर कोई सर्वे नहीं करवाया. कभी भी यह समझने की कोशिश नहीं की, कि पिछड़ा और अति पिछड़ा समाज के आर्थिक हालात क्या है?. आज वह आरक्षण को लेकर तरह-तरह की बातें करते हैं. नगर निकाय चुनाव को लेकर जो बात आज सत्ता पक्ष के लोग बोल रहे हैं या जो पोल खोल की बात कर रहे हैं, उनका पोल पूरी तरह से खुल गया है. जनता समझ गई है कि आरक्षण विरोधी चेहरा अगर कोई है, तो वह नीतीश कुमार हैं. जदयू के लोग कुछ भी कर लें लेकिन जनता सब कुछ समझ गई है कि अति पिछड़ा और पिछड़े के आरक्षण को लेकर नीतीश कुमार क्या राय रखते हैं?.' - सम्राट चौधरी, प्रतिपक्ष नेता, बिहार विधान परिषद

सम्राट चौधरी ने सीएम नीतीश कुमार पर साधा निशाना : उन्होंने कहा कि आज नीतीश कुमार उसी आदमी के गोद में जाकर बैठ गए हैं, जो कभी भी पंचायत चुनाव में आरक्षण के नियम का पालन नहीं किया. यहां तक कि लालू यादव जब तक सत्ता में रहे पंचायत का चुनाव करवाया ही नहीं. कहीं ना कहीं संगत का असर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर पड़ा है. यही कारण है कि वो भी चाहते थे कि नगर निकाय का चुनाव बिना, अति पिछड़ा के आरक्षण के हो जाए. लेकिन हाईकोर्ट ने उस पर रोक लगाया है. जिससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आरक्षण विरोधी चेहरा सामने आ गया है. जदयू के लोग दूसरे का पोल क्या खोलेंगे?. उनकी पहले ही पोल खुल चुकी है, वो लोग आरक्षण विरोधी हैं.

नगर पालिका चुनाव 2022 स्थगित : गौरतलब है कि बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने अगले आदेश तक के लिए नगर पालिका चुनाव 2022 को स्थगित कर दिया (Bihar Municipal Election Postponed) है. पटना हाई कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला लिया है. नगर पालिका आम निर्वाचन 2022 के पहले और दूसरे चरण के लिए 10 अक्टूबर और 20 अक्टूबर को होने वाले मतदान की तिथि को तत्काल स्थगित कर दिया गया है. जानकारी दी गयी है कि स्थगित निर्वाचन की अगली तिथि जल्द ही सूचित की जाएगी.

तीन जांच की अर्हता पूरी होने के बाद फैसला : बता दें कि दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ईबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती. तीन जांच के प्रावधानों के तहत ईबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़ें जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत है. साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ईबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करे.

Last Updated : Oct 13, 2022, 6:07 PM IST
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