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RTI से चौंकाने वाला खुलासा: बिहार में 182 दिनों में 1303 लोगों की हत्या, रोजाना 7 मर्डर

बिहार में क्राइम अनकंट्रोल (Crime in Bihar) हो गया है. राजधानी पटना अपराध का हॉटस्पॉट (Patna Crime Hotspot) बन गया है. पटना जिले में सबसे ज्यादा हत्या की वारदातें हुई हैं. जिस वजह से राजधानी अपराधियों का गढ़ बन गई है. इस बीच आरटीआई से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. इसके मुताबिक बिहार में प्रतिदिन करीब 7 हत्या की वारदात हुई हैं. पढ़ें पूरी खबर..

बिहार में क्राइम अनकंट्रोल
बिहार में क्राइम अनकंट्रोल
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Published : Apr 12, 2022, 7:41 PM IST

पटना: इन दिनों बिहार में आपराधिक वारदातों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. हत्या, लूट और अपहरण जैसी घटनाओं में इजाफा हो रहा है. यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि बिहार पुलिस मुख्यालय (Bihar Police Headquarters) का आंकड़ा बता रहा है. दरअसल, पटना हाईकोर्ट के वकील और आरटीआई एक्टिविस्ट मणि भूषण सेंगर ने बिहार में बढ़ रही हत्या की वारदातों को लेकर पुलिस मुख्यालय से आरटीआई के माध्यम से आंकड़ा मांगा था. पुलिस मुख्यालय द्वारा दिए गया आंकड़ा चौंकाने वाला है.

ये भी पढ़ें- 'सुशासन' में ताबड़तोड़ मर्डर से दहशत, डरे सहमे लोगों ने की बिहार में योगी मॉडल लागू करने की मांग

आरटीआई से चौंकाने वाला खुलासा: पुलिस मुख्यालय के आंकड़े के मुताबिक 1 अगस्त 2021 से लेकर 30 जनवरी 2022 तक पिछले 6 महीनों में यानी कुल 182 दिनों में पूरे बिहार के सभी जिलों में हत्या की कुल 1303 वारदात दर्ज हुई हैं. यही नहीं सबसे चौंकाने वाली बात (RTI reveals Shocking Data) यह है कि आरटीआई के माध्यम से पूछे गए सवाल में पुलिस मुख्यालय ने यह भी बताया है कि कांडवार गिरफ्तारी आरोप पत्र से संबंधित विवरणी पुलिस मुख्यालय के पास मौजूद नहीं है.

बिहार में हत्या की वारदातों में वृद्धि: पुलिस मुख्यालय के पास किस कांड में कितने लोगों की अब तक गिरफ्तारी हुई है, इसका आंकड़ा भी मौजूद नहीं है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार में कहीं ना कहीं अपराधियों का हौसला बुलंद हो गया है. हत्या जैसी वारदात में लगातार वृद्धि हो रही है. बिहार में अपराधी आम लोगों की मौत की तारीखों को तय कर रहे हैं. कोरोना कि दूसरी लहर के बाद बिहार में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ा है, इसका सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी माना जा रहा है.

182 दिनों में 1303 लोगों की हत्या: बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों पर ध्यान दें तो महज 182 दिनों में 1303 लोगों की हत्या की वारदात हुई है. ऐसे में बिहार में प्रतिदिन आंकड़े के मुताबिक 7 हत्याएं हुई हैं. अगर पिछले तीन महीनों की बात की जाए तो फरवरी, मार्च और अप्रैल में कहीं ना कहीं आपराधिक वारदातों में और तेजी से बढ़ोतरी हुई है. बिहार का आलम यह हो गया है कि आम इंसान तो छोड़िये जनप्रतिनिधि भी सुरक्षित नहीं हैं. आए दिन बिहार के किसी न किसी जिले में रंगदारी की वजह से हत्या की वारदात हो रही है. वहीं, व्यवसायियों में दहशत का माहौल है.

पटना बना अपराध का हॉटस्पॉट: पुलिस मुख्यालय के आंकड़े के मुताबिक राजधानी पटना ही खुद सुरक्षित नहीं है, तो ऐसे में अन्य जिलों की बात करना बेकार होगा. राजधानी पटना का पटना सिटी इलाका अपराधियों का गढ़ बनता जा रहा है. अपराधियों में से कहीं ना कहीं पुलिस का खौफ खत्म होता दिख रहा है. विगत कुछ दिनों में पटना सिटी इलाके में 6 से ज्यादा हत्या की वारदात हो चुकी हैं. इसके बावजूद पुलिस मुख्यालय का मानना है कि आपराधिक वारदातों में पहले की तुलना में कमी आई है. कुछ घटनाएं घटित हो रही हैं, परंतु कहीं ना कहीं अपराधियों की गिरफ्तारी भी सुनिश्चित की जा रही है.

प्रतिदिन करीब 7 मर्डर केस दर्ज: पटना हाईकोर्ट के वकील मणि भूषण सेंगर (Patna High Court Advocate Mani Bhushan Sengar) ने कहा कि ''कोरोना महामारी की दूसरे लहर के बाद जिस तरह से आपराधिक वारदातों में वृद्धि हो रही थी, उसके बाद हमने आरटीआई के माध्यम से पुलिस मुख्यालय से बढ़ रहे अपराध का आंकड़ा मांगा था, जिसके बाद चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है. प्रतिदिन के हिसाब से लगभग 7 हत्या बिहार में पिछले 6 महीने में घटित हुई है. इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि इन मामलों में पुलिस ने कितने अपराधियों की गिरफ्तारी और कुर्की जब्ती की है, इसका जवाब पुलिस मुख्यालय के पास नहीं है.''

आंकड़ों से असहमत ADG: वहीं, पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार (ADG Jitendra Singh Gangwar) ने ईटीवी भारत को बताया कि मौजूदा वक्त में उनके पास आंकड़े नहीं हैं और इन आंकड़ों से वह इसलिए सहमत नहीं हैं क्योंकि बहुत गंभीरता से मामलों का अनुसंधान पुलिस मुख्यालय द्वारा किया जा रहा है. जो भी मामले घटित होते हैं, आवश्यकता अनुसार एसआईटी गठित कर उन मामलों का निष्पादन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि घटना घटित होती है तो खबरें मीडिया में छप जाती हैं, लेकिन खुलासा होने पर कहीं ना कहीं यह खबरें प्रकाशित नहीं होती हैं.

उन्होंने दो मामलों का उदाहरण देते हुए कहा कि मीडिया में खबर चली थी कि बिहार के रोहतास जिले में चोरों ने लोहे के पुल की चोरी की है, इस मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए साइलेंटली टीम गठित कर चोरों को और पुल की सामग्री को बेचने वाले और चोरी करने वाले सभी लोगों की गिरफ्तारी कर ली है. इस मामले में आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया गया है और पैसों की बरामदगी की गई है. जो लोहे की सामग्री बेची गई थी उसको भी बरामद किया गया है. वहीं, दूसरा मामला उन्होंने बताया कि बिहार के डेहरी ऑन सोन में सालों पुरानी घड़ी की सुई गायब हो गई थी जिसका भी समय रहते ही निष्पादन किया गया है.

''आपराधिक वारदातों की रोकथाम के लिए विशेष वज्र टीम गठित की गई है. इस टीम का काम ही हत्या और महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचार के मामलों में टीम गठित कर मामलों को जल्द से जल्द निपटारा करना. हत्या के कई कारण होते हैं जैसे की भूमि विवाद में हत्या, आपस में लड़ाई की वजह से हत्या और कई मामलों में हत्या संपत्ति विवाद की वजह से होती है. इसके अलावा कुछ मामले जिसका कारण नहीं पता चलता है, उन मामलों का भी निष्पादन पुलिस मुख्यालय द्वारा किया जा रहा है. हमारी पुलिस बहुत ही मेहनत से काम कर रही है और अपराधियों को सजा दिलवाने में अहम भूमिका निभा रही है.''- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय

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पटना: इन दिनों बिहार में आपराधिक वारदातों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. हत्या, लूट और अपहरण जैसी घटनाओं में इजाफा हो रहा है. यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि बिहार पुलिस मुख्यालय (Bihar Police Headquarters) का आंकड़ा बता रहा है. दरअसल, पटना हाईकोर्ट के वकील और आरटीआई एक्टिविस्ट मणि भूषण सेंगर ने बिहार में बढ़ रही हत्या की वारदातों को लेकर पुलिस मुख्यालय से आरटीआई के माध्यम से आंकड़ा मांगा था. पुलिस मुख्यालय द्वारा दिए गया आंकड़ा चौंकाने वाला है.

ये भी पढ़ें- 'सुशासन' में ताबड़तोड़ मर्डर से दहशत, डरे सहमे लोगों ने की बिहार में योगी मॉडल लागू करने की मांग

आरटीआई से चौंकाने वाला खुलासा: पुलिस मुख्यालय के आंकड़े के मुताबिक 1 अगस्त 2021 से लेकर 30 जनवरी 2022 तक पिछले 6 महीनों में यानी कुल 182 दिनों में पूरे बिहार के सभी जिलों में हत्या की कुल 1303 वारदात दर्ज हुई हैं. यही नहीं सबसे चौंकाने वाली बात (RTI reveals Shocking Data) यह है कि आरटीआई के माध्यम से पूछे गए सवाल में पुलिस मुख्यालय ने यह भी बताया है कि कांडवार गिरफ्तारी आरोप पत्र से संबंधित विवरणी पुलिस मुख्यालय के पास मौजूद नहीं है.

बिहार में हत्या की वारदातों में वृद्धि: पुलिस मुख्यालय के पास किस कांड में कितने लोगों की अब तक गिरफ्तारी हुई है, इसका आंकड़ा भी मौजूद नहीं है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार में कहीं ना कहीं अपराधियों का हौसला बुलंद हो गया है. हत्या जैसी वारदात में लगातार वृद्धि हो रही है. बिहार में अपराधी आम लोगों की मौत की तारीखों को तय कर रहे हैं. कोरोना कि दूसरी लहर के बाद बिहार में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ा है, इसका सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी माना जा रहा है.

182 दिनों में 1303 लोगों की हत्या: बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों पर ध्यान दें तो महज 182 दिनों में 1303 लोगों की हत्या की वारदात हुई है. ऐसे में बिहार में प्रतिदिन आंकड़े के मुताबिक 7 हत्याएं हुई हैं. अगर पिछले तीन महीनों की बात की जाए तो फरवरी, मार्च और अप्रैल में कहीं ना कहीं आपराधिक वारदातों में और तेजी से बढ़ोतरी हुई है. बिहार का आलम यह हो गया है कि आम इंसान तो छोड़िये जनप्रतिनिधि भी सुरक्षित नहीं हैं. आए दिन बिहार के किसी न किसी जिले में रंगदारी की वजह से हत्या की वारदात हो रही है. वहीं, व्यवसायियों में दहशत का माहौल है.

पटना बना अपराध का हॉटस्पॉट: पुलिस मुख्यालय के आंकड़े के मुताबिक राजधानी पटना ही खुद सुरक्षित नहीं है, तो ऐसे में अन्य जिलों की बात करना बेकार होगा. राजधानी पटना का पटना सिटी इलाका अपराधियों का गढ़ बनता जा रहा है. अपराधियों में से कहीं ना कहीं पुलिस का खौफ खत्म होता दिख रहा है. विगत कुछ दिनों में पटना सिटी इलाके में 6 से ज्यादा हत्या की वारदात हो चुकी हैं. इसके बावजूद पुलिस मुख्यालय का मानना है कि आपराधिक वारदातों में पहले की तुलना में कमी आई है. कुछ घटनाएं घटित हो रही हैं, परंतु कहीं ना कहीं अपराधियों की गिरफ्तारी भी सुनिश्चित की जा रही है.

प्रतिदिन करीब 7 मर्डर केस दर्ज: पटना हाईकोर्ट के वकील मणि भूषण सेंगर (Patna High Court Advocate Mani Bhushan Sengar) ने कहा कि ''कोरोना महामारी की दूसरे लहर के बाद जिस तरह से आपराधिक वारदातों में वृद्धि हो रही थी, उसके बाद हमने आरटीआई के माध्यम से पुलिस मुख्यालय से बढ़ रहे अपराध का आंकड़ा मांगा था, जिसके बाद चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है. प्रतिदिन के हिसाब से लगभग 7 हत्या बिहार में पिछले 6 महीने में घटित हुई है. इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि इन मामलों में पुलिस ने कितने अपराधियों की गिरफ्तारी और कुर्की जब्ती की है, इसका जवाब पुलिस मुख्यालय के पास नहीं है.''

आंकड़ों से असहमत ADG: वहीं, पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार (ADG Jitendra Singh Gangwar) ने ईटीवी भारत को बताया कि मौजूदा वक्त में उनके पास आंकड़े नहीं हैं और इन आंकड़ों से वह इसलिए सहमत नहीं हैं क्योंकि बहुत गंभीरता से मामलों का अनुसंधान पुलिस मुख्यालय द्वारा किया जा रहा है. जो भी मामले घटित होते हैं, आवश्यकता अनुसार एसआईटी गठित कर उन मामलों का निष्पादन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि घटना घटित होती है तो खबरें मीडिया में छप जाती हैं, लेकिन खुलासा होने पर कहीं ना कहीं यह खबरें प्रकाशित नहीं होती हैं.

उन्होंने दो मामलों का उदाहरण देते हुए कहा कि मीडिया में खबर चली थी कि बिहार के रोहतास जिले में चोरों ने लोहे के पुल की चोरी की है, इस मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए साइलेंटली टीम गठित कर चोरों को और पुल की सामग्री को बेचने वाले और चोरी करने वाले सभी लोगों की गिरफ्तारी कर ली है. इस मामले में आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया गया है और पैसों की बरामदगी की गई है. जो लोहे की सामग्री बेची गई थी उसको भी बरामद किया गया है. वहीं, दूसरा मामला उन्होंने बताया कि बिहार के डेहरी ऑन सोन में सालों पुरानी घड़ी की सुई गायब हो गई थी जिसका भी समय रहते ही निष्पादन किया गया है.

''आपराधिक वारदातों की रोकथाम के लिए विशेष वज्र टीम गठित की गई है. इस टीम का काम ही हत्या और महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचार के मामलों में टीम गठित कर मामलों को जल्द से जल्द निपटारा करना. हत्या के कई कारण होते हैं जैसे की भूमि विवाद में हत्या, आपस में लड़ाई की वजह से हत्या और कई मामलों में हत्या संपत्ति विवाद की वजह से होती है. इसके अलावा कुछ मामले जिसका कारण नहीं पता चलता है, उन मामलों का भी निष्पादन पुलिस मुख्यालय द्वारा किया जा रहा है. हमारी पुलिस बहुत ही मेहनत से काम कर रही है और अपराधियों को सजा दिलवाने में अहम भूमिका निभा रही है.''- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय

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