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पंजाब इफेक्ट: बिहार कांग्रेस में अगड़ी-पिछड़ी की जंग, टूट का खतरा बरकरार!

पंजाब कांग्रेस में बवंडर के बाद सबकी निगाहें बिहार कांग्रेस पर टिकी है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष (Bihar congress president) के चयन को लेकर पार्टी के अंदर लंबे समय से रस्साकशी जारी है. पार्टी नेतृत्व को टूट का डर भी सता रहा है. कहा जा रहा है कि अगड़ी और पिछड़ी खासकर दलित चेहरे को लेकर खींचतान है.

बिहार कांग्रेस
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Published : Sep 19, 2021, 10:08 PM IST

पटना: पंजाब कांग्रेस में उथल-पुथल मची तो बिहार कांग्रेस (Bihar Congress) में भी अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी के अंदर खींचतान शुरू हो गई है. दरअसल वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा (Madan Mohan Jha) एक्सटेंशन पर चल रहे हैं. अगड़ी और पिछड़ी जाति के उम्मीदवार अपनी दावेदारी जता रहे हैं. लिहाजा विवाद को टालने के लिए कांग्रेस नेतृत्व मदन मोहन झा के कार्यकाल को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया था.

ये भी पढ़ें: मीरा कुमार बन सकती हैं बिहार कांग्रेस की अध्यक्ष, रेस में सबसे आगे

पंजाब में उथल-पुथल के बाद कांग्रेस आलाकमान पर अध्यक्ष पद को लेकर अंतिम फैसला लेने के लिए दबाव बढ़ गया है. पार्टी नेतृत्व को इस बात का भी डर है कि अगर अध्यक्ष पद को लेकर कोई फैसला लिया गया तो इसका फायदा एनडीए (NDA) उठा सकता हैं. वैसे भी जेडीयू काफी समय से नाराज नेताओं पर डोरे डाल रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

जेडीयू नेता लंबे समय से कांग्रेस में टूट के दावे कर रहे हैं, लेकिन संख्या पूरे नहीं होने के चलते टूट को अंजाम नहीं दिया जा सका है. सबको इंतजार है कांग्रेस में उपजे असंतोष का. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि कांग्रेस नेतृत्व पर फैसले के लिए दबाव बढ़ गया है. अध्यक्ष पद को लेकर लंबे समय से पार्टी के अंदर विवाद चल रहा है. अगर फैसला लिया जाता है तो वैसी स्थिति में पार्टी में असंतोष बढ़ने का फायदा एनडीए नेता उठा सकते हैं.

ये भी पढ़ें: बिहार कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए 4 नामों की भेजी गई लिस्ट, इनकी नाम पर लग सकती है मुहर

हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने कहा है कि पंजाब की राजनीति का इफेक्ट बिहार पर पड़ने की कोई संभावना नहीं है. अगर ऐसा होता है तो सबसे ज्यादा असर बीजेपी पर पड़ेगा. जहां तक अध्यक्ष पद के चयन का सवाल है तो इस पर अंतिम फैसला आलाकमान को लेना है.

वहीं, बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी मृत्यु शैया पर है. कोई भी अध्यक्ष बन जाए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. उन्होंने कहा कि जो कोई भी अध्यक्ष बनेगा, वह महज कुर्सी की शोभा बढ़ाएगा.

आपको बताएं कि दलित नेता अशोक राम और बक्सर विधायक मुन्ना तिवारी ने अध्यक्ष पद को लेकर दावेदारी पेश कर रखा है. जबकि कांग्रेस के विधायक राजेश राम के नाम पर चर्चा चल रही है. वहीं लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार (Former Speaker of Lok Sabha Meira Kumar) को इस रेस में सबसे आगे बताया जा रहा है. इससे पहले जो सूची बिहार प्रभारी भक्त चरण दास (Bhakt Charan Das) ने कांग्रेस आलाकमान को जो लिस्ट सौंपी थी, उसमें कांग्रेस विधायक राजेश राम, विधायक शकील अहमद खान, विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा, राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह और समीर कुमार सिंह का भी नाम सामने आया था.

पटना: पंजाब कांग्रेस में उथल-पुथल मची तो बिहार कांग्रेस (Bihar Congress) में भी अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी के अंदर खींचतान शुरू हो गई है. दरअसल वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा (Madan Mohan Jha) एक्सटेंशन पर चल रहे हैं. अगड़ी और पिछड़ी जाति के उम्मीदवार अपनी दावेदारी जता रहे हैं. लिहाजा विवाद को टालने के लिए कांग्रेस नेतृत्व मदन मोहन झा के कार्यकाल को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया था.

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पंजाब में उथल-पुथल के बाद कांग्रेस आलाकमान पर अध्यक्ष पद को लेकर अंतिम फैसला लेने के लिए दबाव बढ़ गया है. पार्टी नेतृत्व को इस बात का भी डर है कि अगर अध्यक्ष पद को लेकर कोई फैसला लिया गया तो इसका फायदा एनडीए (NDA) उठा सकता हैं. वैसे भी जेडीयू काफी समय से नाराज नेताओं पर डोरे डाल रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

जेडीयू नेता लंबे समय से कांग्रेस में टूट के दावे कर रहे हैं, लेकिन संख्या पूरे नहीं होने के चलते टूट को अंजाम नहीं दिया जा सका है. सबको इंतजार है कांग्रेस में उपजे असंतोष का. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि कांग्रेस नेतृत्व पर फैसले के लिए दबाव बढ़ गया है. अध्यक्ष पद को लेकर लंबे समय से पार्टी के अंदर विवाद चल रहा है. अगर फैसला लिया जाता है तो वैसी स्थिति में पार्टी में असंतोष बढ़ने का फायदा एनडीए नेता उठा सकते हैं.

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हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने कहा है कि पंजाब की राजनीति का इफेक्ट बिहार पर पड़ने की कोई संभावना नहीं है. अगर ऐसा होता है तो सबसे ज्यादा असर बीजेपी पर पड़ेगा. जहां तक अध्यक्ष पद के चयन का सवाल है तो इस पर अंतिम फैसला आलाकमान को लेना है.

वहीं, बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी मृत्यु शैया पर है. कोई भी अध्यक्ष बन जाए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. उन्होंने कहा कि जो कोई भी अध्यक्ष बनेगा, वह महज कुर्सी की शोभा बढ़ाएगा.

आपको बताएं कि दलित नेता अशोक राम और बक्सर विधायक मुन्ना तिवारी ने अध्यक्ष पद को लेकर दावेदारी पेश कर रखा है. जबकि कांग्रेस के विधायक राजेश राम के नाम पर चर्चा चल रही है. वहीं लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार (Former Speaker of Lok Sabha Meira Kumar) को इस रेस में सबसे आगे बताया जा रहा है. इससे पहले जो सूची बिहार प्रभारी भक्त चरण दास (Bhakt Charan Das) ने कांग्रेस आलाकमान को जो लिस्ट सौंपी थी, उसमें कांग्रेस विधायक राजेश राम, विधायक शकील अहमद खान, विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा, राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह और समीर कुमार सिंह का भी नाम सामने आया था.

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