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नीति आयोग की रिपोर्ट में क्यों पिछड़ा बिहार.... क्या है समाधान - ईटीवी न्यूज

बिहार में डबल इंजन की सरकार है. डबल इंजन की सरकार (double engine government) सतरंगी विकास का दावा करती है. जीडीपी के मामले में बिहार (GDP growth in Bihar) को नंबर वन बताया जाता है लेकिन नीति आयोग की रिपोर्ट बिहार के पिछड़ेपन की कहानी बयां कर देती है. आखिर क्यों पिछड़ रहा है बिहार और क्या है इसके समाधान. जानने के लिए पढ़ें यह विशेष रिपोर्ट.

NITI Aayog report
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Published : Dec 3, 2021, 10:55 AM IST

Updated : Dec 3, 2021, 2:27 PM IST

पटना: बिहार में जीडीपी विकास (GDP growth in Bihar) दर डबल डिजिट में है. बिहार सरकार जीडीपी के मामले में अव्वल होने का दावा भी करती है लेकिन गरीबी के आंकड़े चौका देने वाले हैं. राज्य में लगभग 52% लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं. बिहार सरकार के दावों और नीति आयोग की रिपोर्ट (NITI Aayog report on Bihar) में सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा है. इसके चलते टकराव की स्थिति बन गई है. जदयू नेता नीति आयोग की रिपोर्ट को ही खारिज कर रहे हैं. सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar on NITI Aayog report) ने खुद भी रिपोर्ट की प्रासंगिकता पर सवाल खड़े किए हैं.

ये भी पढ़ें: मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड : पीड़ितों का पटना IGIMS में सरकारी खर्च पर होगा इलाज

नीति आयोग ने रिपोर्ट का आधार न्यूट्रिशन, चाइल्ड मोर्टालिटी, मैटरनल हेल्थ, स्कूल अटेंडेंस, कुकिंग, सैनिटेशन, इलेक्ट्रिसिटी, ड्रिंकिंग वॉटर, हाउसिंग संपत्ति और बैंक अकाउंट को आधार बनाया है. आपको बता दें कि नीति आयोग सूचकांक की शुरुआत दिसंबर 2018 से हुई थी.

नीति आयोग एसडीजी भारत सूचकांक 2020-21 (SDG India Index 2020-21) में केरल ने अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा है तो बिहार का प्रदर्शन सबसे बुरा रहा है. सामाजिक आर्थिक और पर्यावरणीय मापदंडों पर नीति आयोग राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति का मूल्यांकन करता है. बिहार सबसे खराब प्रदर्शन वाला राज्य आंका गया है.

आपको बता दें कि भारत में संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से विकसित एसडीजी इंडिया इंडेक्स 115 इंडेक्स पर आता है. एसडीजी इंडिया इंडेक्स प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लिए एसडीजी पर लक्ष्य बार इसको की गणना करता है. यह इसको जीरो से 100 के बीच होते हैं. अगर कोई प्रदेश 100 का स्कोर हासिल कर लेता है तो इसका मतलब यह हुआ कि उस राज्य ने 2030 के लक्ष्य को हासिल कर लिए हैं.

ताजा इंडेक्स में बिहार को सिर्फ 52 अंक मिले हैं जबकि बिहार के बाद झारखंड है. जिसे 56 अंक के साथ सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला दूसरा राज्य आंका गया है. 57 स्कोर के साथ असम तीसरे स्थान पर है. शिशु मृत्यु दर के मामले में बिहार उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है. उत्तर प्रदेश में जहां शिशु मृत्यु दर 4.97% है, वहीं बिहार में 4.58% है.

देखें रिपोर्ट

स्कूलिंग के मामले में बिहार फिसड्डी (Bihar lagging behind in schooling) है. 26% ऐसे लोग हैं जो 10 साल से अधिक उम्र के हैं और लगातार 6 साल स्कूल नहीं गए. मतलब 100 में 26 लोग ऐसे हैं जो 6 साल तक लगातार स्कूल गए ही नहीं. इस मामले में बिहार निचले पायदान पर है. बैंक अकाउंट के मामले बिहार में सुधार दिख रहा है. 2015-16 में जहां 26% लोगों के पास बैंक अकाउंट नहीं थे वहीं, 2019-20 में मात्र 4% लोग ही ऐसे हैं जिनके पास बैंक अकाउंट नहीं है.

बिहार में 24.32% लोगों के पास संपत्ति नहीं है. बिहार से नीचे सिर्फ नागालैंड और मेघालय हैं. संपत्ति का मालिक उसे माना जाता है जिसके पास रेडियो, टीवी, टेलीफोन, कंप्यूटर, साइकिल, मोटरसाइकिल, फ्रिज में से कोई दो उसके पास हो.

न्यूट्रिशन के मामले में बिहार (Bihar in terms of nutrition) सबसे निचले पायदान पर है. 51.88% लोग ऐसे हैं जिन्हें सरकार द्वारा तय किया गया न्यूट्रिशन हर रोज नहीं मिल पाता है. यह स्थिति बेहद चिंताजनक है. लगभग 52% लोगों को हर रोज मिनिमम कैलरी नहीं मिल पाती है.

मैटरनल हेल्थ के मामले में भी बिहार निचले पायदान पर है. 45.62% महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाती है. उत्तर प्रदेश, बिहार से इस मामले में 10% कम है. सैनिटेशन के मामले में भी बिहार सबसे निचले पायदान पर है. बिहार से ऊपर सिर्फ झारखंड है. बिहार में 2015-16 में 71. 61 प्रतिशत गृहस्थी सैनिटेशन सुविधा से महरूम थे. 2020-21 में आंकड़ा घटकर 50.60 हो चुका है.

ड्रिंकिंग वाटर के मामले में बिहार की स्थिति थोड़ी बेहतर है. 2015-16 में जहां 2.34 प्रतिशत लोगों को साफ पानी नहीं मिल पा रहा था, वहीं 2019-2020 में यह घटकर आंकड़ा 1.93% के आसपास आ गया है. मतलब कितने लोगों को आधे घंटे पैदल चलने के बाद साफ पानी मिल पाता है. हर घर नल का जल योजना से लोगों को फायदा मिला है.

बिजली के मामले में बिहार (Bihar position in electricity) की स्थिति उत्तर प्रदेश से बेहतर है. 2015-16 में जहां 39 .86% घरों को बिजली नहीं मिल पाती थी वहीं 2019-20 में घटकर आंकड़ा 1.70 प्रतिशत पर आ गया. ऐसे घरों की संख्या बिल्कुल कम रह गई है जहां तक बिजली नहीं पहुंची है. इसका आंकड़ा 2% से भी कम है.

राजद के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा है कि सरकार विकास के हर पैमाने पर फेल साबित हुई है. नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार सबसे निचले पायदान पर है. बिहार नीचे से नंबर वन पर है. शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार तथा विकास के पैमाने पर राष्ट्रीय स्तर पर बिहार सबसे नीचे है. नीतीश कुमार 15 साल का जश्न मना रहे हैं.

ये भी पढ़ें: देर रात जीवेश मिश्रा को मनाने पहुंचे पटना के DM-SSP, मंत्री ने कहा- ये औपचारिक मुलाकात

भाकपा माले नेता और पार्टी विधायक अरुण कुमार का कहना है कि नीति आयोग ने जब नीतीश कुमार को आईना दिखाया तो यह रिपोर्ट को मानने के लिए तैयार नहीं हैं. जबकि इनकी सरकार ने नीति आयोग का गठन किया है. विकास का मतलब होता है कि लोगों के आय में कितनी बढ़ोतरी हुई और जीवन स्तर कितना सुधरा है. भाजपा विधायक और एनडीए के उप नेता नवल किशोर यादव ने कहा है कि बिहार में विकास हुआ है, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता. नीति आयोग की रिपोर्ट में क्या है यह कोई मायने नहीं रखता.

जदयू विधायक डॉ. संजीव का मानना है कि बिहार में आमूल चूल परिवर्तन आया है. लोगों को 24 घंटे निर्बाध गति से बिजली मिल रही है. सड़क और अस्पताल की व्यवस्था सुधरी है. हां, उद्योग में हम जरूर थोड़े पीछे हैं लेकिन यहां भी हम बेहतर नतीजे देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

अर्थशास्त्री डॉ. विद्यार्थी विकास का कहना है कि नीति आयोग की रिपोर्ट चिंताजनक है. सरकार को इस पर काम करने की जरुरत है. एक और जहां स्वास्थ्य के क्षेत्र में इन्वेस्टमेंट की दरकार है और चिकित्सकों के साथ-साथ स्वास्थ्य कर्मियों के अनुपात में इजाफा करना जरूरी है. वहीं दूसरी तरफ शिक्षा के विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों की संख्या में इजाफा करना होगा. किसानों की आय बढ़े, इसके लिए सरकार को चिंतन करने की जरूरत है. बाजार समिति व्यवस्था को फिर से लागू किया जाना चाहिए. औद्योगिकरण सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. कृषि आधारित उद्योग लगाने की दिशा में सरकार को काम करना चाहिए.

ये भी पढ़ें: बिहार के इस जिले में महिलाओं को दी जा रही पैराग्लाइडिंग की ट्रेनिंग, बोलीं- आकाश में उड़ना बेहद ही रोमांचक

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पटना: बिहार में जीडीपी विकास (GDP growth in Bihar) दर डबल डिजिट में है. बिहार सरकार जीडीपी के मामले में अव्वल होने का दावा भी करती है लेकिन गरीबी के आंकड़े चौका देने वाले हैं. राज्य में लगभग 52% लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं. बिहार सरकार के दावों और नीति आयोग की रिपोर्ट (NITI Aayog report on Bihar) में सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा है. इसके चलते टकराव की स्थिति बन गई है. जदयू नेता नीति आयोग की रिपोर्ट को ही खारिज कर रहे हैं. सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar on NITI Aayog report) ने खुद भी रिपोर्ट की प्रासंगिकता पर सवाल खड़े किए हैं.

ये भी पढ़ें: मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड : पीड़ितों का पटना IGIMS में सरकारी खर्च पर होगा इलाज

नीति आयोग ने रिपोर्ट का आधार न्यूट्रिशन, चाइल्ड मोर्टालिटी, मैटरनल हेल्थ, स्कूल अटेंडेंस, कुकिंग, सैनिटेशन, इलेक्ट्रिसिटी, ड्रिंकिंग वॉटर, हाउसिंग संपत्ति और बैंक अकाउंट को आधार बनाया है. आपको बता दें कि नीति आयोग सूचकांक की शुरुआत दिसंबर 2018 से हुई थी.

नीति आयोग एसडीजी भारत सूचकांक 2020-21 (SDG India Index 2020-21) में केरल ने अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा है तो बिहार का प्रदर्शन सबसे बुरा रहा है. सामाजिक आर्थिक और पर्यावरणीय मापदंडों पर नीति आयोग राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति का मूल्यांकन करता है. बिहार सबसे खराब प्रदर्शन वाला राज्य आंका गया है.

आपको बता दें कि भारत में संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से विकसित एसडीजी इंडिया इंडेक्स 115 इंडेक्स पर आता है. एसडीजी इंडिया इंडेक्स प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लिए एसडीजी पर लक्ष्य बार इसको की गणना करता है. यह इसको जीरो से 100 के बीच होते हैं. अगर कोई प्रदेश 100 का स्कोर हासिल कर लेता है तो इसका मतलब यह हुआ कि उस राज्य ने 2030 के लक्ष्य को हासिल कर लिए हैं.

ताजा इंडेक्स में बिहार को सिर्फ 52 अंक मिले हैं जबकि बिहार के बाद झारखंड है. जिसे 56 अंक के साथ सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला दूसरा राज्य आंका गया है. 57 स्कोर के साथ असम तीसरे स्थान पर है. शिशु मृत्यु दर के मामले में बिहार उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है. उत्तर प्रदेश में जहां शिशु मृत्यु दर 4.97% है, वहीं बिहार में 4.58% है.

देखें रिपोर्ट

स्कूलिंग के मामले में बिहार फिसड्डी (Bihar lagging behind in schooling) है. 26% ऐसे लोग हैं जो 10 साल से अधिक उम्र के हैं और लगातार 6 साल स्कूल नहीं गए. मतलब 100 में 26 लोग ऐसे हैं जो 6 साल तक लगातार स्कूल गए ही नहीं. इस मामले में बिहार निचले पायदान पर है. बैंक अकाउंट के मामले बिहार में सुधार दिख रहा है. 2015-16 में जहां 26% लोगों के पास बैंक अकाउंट नहीं थे वहीं, 2019-20 में मात्र 4% लोग ही ऐसे हैं जिनके पास बैंक अकाउंट नहीं है.

बिहार में 24.32% लोगों के पास संपत्ति नहीं है. बिहार से नीचे सिर्फ नागालैंड और मेघालय हैं. संपत्ति का मालिक उसे माना जाता है जिसके पास रेडियो, टीवी, टेलीफोन, कंप्यूटर, साइकिल, मोटरसाइकिल, फ्रिज में से कोई दो उसके पास हो.

न्यूट्रिशन के मामले में बिहार (Bihar in terms of nutrition) सबसे निचले पायदान पर है. 51.88% लोग ऐसे हैं जिन्हें सरकार द्वारा तय किया गया न्यूट्रिशन हर रोज नहीं मिल पाता है. यह स्थिति बेहद चिंताजनक है. लगभग 52% लोगों को हर रोज मिनिमम कैलरी नहीं मिल पाती है.

मैटरनल हेल्थ के मामले में भी बिहार निचले पायदान पर है. 45.62% महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाती है. उत्तर प्रदेश, बिहार से इस मामले में 10% कम है. सैनिटेशन के मामले में भी बिहार सबसे निचले पायदान पर है. बिहार से ऊपर सिर्फ झारखंड है. बिहार में 2015-16 में 71. 61 प्रतिशत गृहस्थी सैनिटेशन सुविधा से महरूम थे. 2020-21 में आंकड़ा घटकर 50.60 हो चुका है.

ड्रिंकिंग वाटर के मामले में बिहार की स्थिति थोड़ी बेहतर है. 2015-16 में जहां 2.34 प्रतिशत लोगों को साफ पानी नहीं मिल पा रहा था, वहीं 2019-2020 में यह घटकर आंकड़ा 1.93% के आसपास आ गया है. मतलब कितने लोगों को आधे घंटे पैदल चलने के बाद साफ पानी मिल पाता है. हर घर नल का जल योजना से लोगों को फायदा मिला है.

बिजली के मामले में बिहार (Bihar position in electricity) की स्थिति उत्तर प्रदेश से बेहतर है. 2015-16 में जहां 39 .86% घरों को बिजली नहीं मिल पाती थी वहीं 2019-20 में घटकर आंकड़ा 1.70 प्रतिशत पर आ गया. ऐसे घरों की संख्या बिल्कुल कम रह गई है जहां तक बिजली नहीं पहुंची है. इसका आंकड़ा 2% से भी कम है.

राजद के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा है कि सरकार विकास के हर पैमाने पर फेल साबित हुई है. नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार सबसे निचले पायदान पर है. बिहार नीचे से नंबर वन पर है. शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार तथा विकास के पैमाने पर राष्ट्रीय स्तर पर बिहार सबसे नीचे है. नीतीश कुमार 15 साल का जश्न मना रहे हैं.

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भाकपा माले नेता और पार्टी विधायक अरुण कुमार का कहना है कि नीति आयोग ने जब नीतीश कुमार को आईना दिखाया तो यह रिपोर्ट को मानने के लिए तैयार नहीं हैं. जबकि इनकी सरकार ने नीति आयोग का गठन किया है. विकास का मतलब होता है कि लोगों के आय में कितनी बढ़ोतरी हुई और जीवन स्तर कितना सुधरा है. भाजपा विधायक और एनडीए के उप नेता नवल किशोर यादव ने कहा है कि बिहार में विकास हुआ है, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता. नीति आयोग की रिपोर्ट में क्या है यह कोई मायने नहीं रखता.

जदयू विधायक डॉ. संजीव का मानना है कि बिहार में आमूल चूल परिवर्तन आया है. लोगों को 24 घंटे निर्बाध गति से बिजली मिल रही है. सड़क और अस्पताल की व्यवस्था सुधरी है. हां, उद्योग में हम जरूर थोड़े पीछे हैं लेकिन यहां भी हम बेहतर नतीजे देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

अर्थशास्त्री डॉ. विद्यार्थी विकास का कहना है कि नीति आयोग की रिपोर्ट चिंताजनक है. सरकार को इस पर काम करने की जरुरत है. एक और जहां स्वास्थ्य के क्षेत्र में इन्वेस्टमेंट की दरकार है और चिकित्सकों के साथ-साथ स्वास्थ्य कर्मियों के अनुपात में इजाफा करना जरूरी है. वहीं दूसरी तरफ शिक्षा के विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों की संख्या में इजाफा करना होगा. किसानों की आय बढ़े, इसके लिए सरकार को चिंतन करने की जरूरत है. बाजार समिति व्यवस्था को फिर से लागू किया जाना चाहिए. औद्योगिकरण सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. कृषि आधारित उद्योग लगाने की दिशा में सरकार को काम करना चाहिए.

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Last Updated : Dec 3, 2021, 2:27 PM IST
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