दिल्ली/पटना : पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन हो गया है. लंबे समय से आरजेडी में अपना योगदान देने के बाद बीते 10 सितंबर को ही उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इससे पहले उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया था. लंबे समय से पार्टी से वे नाराज चल रहे थे.
आरजेडी में रामा सिंह की एंट्री और तेजस्वी यादव के मनमाने रवैये से नाराज थे. हालांकि, पार्टी की तरफ से उन्हें मनाने की लोगातार कोशिश भी की गई थी. लेकिन आखिरकार उन्होंने 10 सितंबर को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था.
दिल्ली एम्स के बेड से लिखा इस्तीफा
रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस संबंध में दिल्ली एम्स के बेड से ही सादे कागज पर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को एक चिट्ठी लिखी. उन्होंने लिखा था- 'जननायक कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 32 वर्षों तक आपके पीछे-पीछे खड़ा रहा, लेकिन अब नहीं. पार्टी नेता, कार्यकर्ता और आमजनों ने बड़ा स्नेह दिया. मुझे क्षमा करें.'
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रघुवंश बाबू की नाराजगी क्यों?
कभी आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के संकटमोचक रहे रघुवंश प्रसाद सिंह पार्टी में रामा सिंह की एंट्री को लेकर नाराज चल रहे थे. उनकी नाराजगी पर लालू के बेटे तेज प्रताप यादव यादव ने कटाक्ष भी किया था. तेज प्रताप ने रघुवंश बाबू को पार्टी के समंदर में एक लोटा पानी संज्ञा दे डाली थी.
रघुवंश प्रसाद Vs रामा सिंह...राजनीतिक प्रतिद्वंदिता
जानकार कहते है कि वैशाली में रघुवंश प्रसाद और रामा सिंह के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंदिता रही. जैसे एक जंगल में दो शेर और एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकतीं, उसी तरह वैशाली में दो नेता यानी रघुवंश प्रसाद और रामा सिंह एक दल में नहीं रह सकते. इसी राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के कारण रघुवंश बाबू पार्टी में रामा सिंह की एंट्री नहीं चाहते थे.
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2014 में वैशाली से रघुवंश प्रसाद सिंह को मिली थी शिकस्त
दरअसल रामा सिंह 2014 में वैशाली से रघुवंश प्रसाद सिंह को हराकर सांसद बने थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर उन्हें वैशाली से हार मिली. उन्हें लोक जनशक्ति पार्टी ने टिकट दिया था. हालांकि 2019 आते-आते लोजपा से उन्होंने दूरी बना ली. कुछ दिन पहले ही रामा सिंह ने आरजेडी का दामन थामा है.
लालू और रघुवंश प्रसाद
रघुवंश प्रसाद सिंह की गिनती RJD के उन नेताओं में होती थी जिन्होंने बुरे से बुरे दौर में भी लालू यादव का साथ नहीं छोड़ा. रघुवंश प्रसाद जमीन से जुड़े नेता माने जाते थे. जब लालू जेल गए तो पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की कमी हो गई. ऐसे में रघुवंश प्रसाद ही पार्टी में भरोसेमंद चेहरा बनकर उभरे थे. उन्होने कठिन दौर में वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को पार्टी से जोड़े रखा था.
पार्टी नहीं, दुनिया ही छोड़ गए रघुवंश बाबू
यहीं वजह रही कि इस्तीफे को नामंजूर करते हुए लालू ने भी फौरन चिट्ठी लिखकर जवाब दिया था. अपनी चिट्ठी में लालू ने लिखा था- 'आप कहीं नहीं जा रहे हैं, समझ लीजिए'. इस बीच कयास लगाए जा रहे थे कि रघुवंश बाबू आगे क्या करेंगे? जेडीयू में शामिल होने की खबरें भी सामने आई. लेकिन इसे शायद पार्टी के लिए उनका समर्पण ही कहा जाएगा कि उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी बल्कि दुनिया ही छोड़ गए.
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रघुवंश प्रसाद सिंह...
- रघुवंश प्रसाद ने गणित में एमएससी और पीएचडी किया.
- रघुवंश प्रसाद समाजवादी विचारधारा के नेता रहे
- लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में छात्र आंदोलनों में भाग लिया.
- 1973 में उन्हें संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का सचिव नियुक्त किया गया.
- रघुवंश प्रसाद पहली बार 1977 में विधायक बने.
- 1977 से 1985 तक विधायक रहें.
- 1995 में लालू मंत्रिमंडल में रघुवंश प्रसाद सिंह ऊर्जा और पुनर्विकास मंत्री बने.
- 1996 में बिहार के वैशाली से चुनाव लड़ा और लोकसभा पहुंचे.
- एच डी देवगौड़ा की सरकार में बिहार कोटे से राज्य मंत्री बनें.
- इंद्र कुमार गुजराल सरकार में खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई.
- अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में आरजेडी ने संसदीय दल का अध्यक्ष बनाया.
- मनमोहन सिंह की सरकार में ग्रामीण विकास मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया.
- ग्रामीण विकास मंत्री रहते मनरेगा कानून को बनवाने और पास करवाने में अहम भूमिका निभाई.