मुजफ्फरपुर: प्रदेश के शेल्टर होम मामले के खुलासे के बाद बिहार की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूमिल हुई थी. बिहार सरकार ने अपनी साख बचाने के लिए जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा था. सीबीआई ने कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की पहल की है, लेकिन बड़ी मछलियां अभी भी कार्रवाई की जद में नहीं आ पाए हैं.
सरकार के दावे झूठे
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घटना के बाद कहा था कि शेल्टर होम को अब निजी हाथों में नहीं दिया जाएगा. बिहार के तमाम शेल्टर होम को सरकार चलाएगी. लेकिन, सारे दावे झूठे निकले. आज भी शेल्टर होम एनजीओ के माध्यम से संचालित हो रहे हैं. 17 शेल्टर होम में गंभीर अनियमितता पाई गई थी, जिसमें सिर्फ मुजफ्फरपुर शेल्टर होम को ही ब्लैक लिस्ट किया गया. बाकि 16 शेल्टर होम को आज भी सरकारी अनुदान मिल रहा है.
सीबीआई की कार्यप्रणाली पर सवाल
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में एक्टिविस्ट संतोष कुमार ने सीबीआई की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले में सीबीआई जिस तरह से जांच कर रही है, उससे काफी संदेह पैदा होता है. शेल्टर होम से गायब लड़की आज भी लापता है. वो इस मामले की मुख्य गवाह थी, जिसे सीबीआई अब तक नहीं ढूंढ पाई है.
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'सीएम दें इस्तीफा'
राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने इस मामले में सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार दोषियों को बचाना चाहती है. यदि सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सुशील मोदी में थोड़ी भी शर्म बची है, तो वे इस्तीफा दे दें.
'विपक्षी खेमे में बैचेनी'
वहीं, विपक्ष के आरोपों पर जदयू ने पलटवार किया है. पार्टी प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा है कि विपक्ष सिर्फ राजनीति करना जानती है. विपक्ष की मांग पर मामले को सीबीआई के हवाले किया गया था. वहीं, जब सीबीआई ने कार्रवाई शुरू कर दी है, तो विपक्षी खेमे में बेचैनी है.