पटना: पटना उच्च न्यायालय के मंगलवार को बिहार में इसी महीने होने वाले बिहार नगर निकाय चुनाव 2022 (Bihar Municipal Election 2022) में अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण पर रोक लगा देने के फैसला सुनाया है. इसको लेकर अब बिहार की सियासत गर्म हो गई है. सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) जहां केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है, वहीं बीजेपी इसे लेकर राज्य सरकार को कोस रही है. पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने नगर निकाय चुनाव में आरक्षण के खिलाफ दायर याचिका पर मंगलवार को फैसला सुनाते निर्देश दिया कि ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य में अधिसूचित कर चुनाव कराया जाए. खंडपीठ ने साथ ही यह भी कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग चाहे तो वह मतदान की तारीख को आगे बढ़ा सकता है.
ये भी पढ़ें- पिछड़ा और अति पिछड़ा समाज के कभी हितैषी नहीं रहे हैं CM नीतीश- निखिल आनंद
बिहार में नगर निकाय चुनाव को लेकर राजनीति तेज : जेडीयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने इसको लेकर कहा कि बिहार में चल रहे नगर निकायों के चुनाव में अतिपिछड़ा आरक्षण को रद्द करने एवं तत्काल चुनाव रोकने का उच्च न्यायालय का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसा निर्णय केन्द्र सरकार और बीजेपी की गहरी साजिश का परिणाम है. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र की सरकार ने समय पर जातीय जनगणना करावाकर आवश्यक संवैधानिक औपचारिकताएं पूरी कर ली होती, तो आज ऐसी स्थिति नहीं आती. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार और बीजेपी के इस साजिश के खिलाफ जेडीयू आंदोलन करेगा. शीघ्र ही पार्टी कार्यक्रम की घोषणा करेगी.
सुशील मोदी ने उपेंद्र कुशवाहा पर साधा निशाना : उपेंद्र कुशवाहा के बयान पर बीजेपी राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने पलटवार करते हुए कहा कि जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश और हाईकोर्ट के आदेश को पढ़ा ही नहीं वो बेतुकी बयानबाजी से बचें. इसका जातीय जनगणना से कोई लेना-देना ही नहीं है. कोर्ट पर टिप्पणी करने से पहले न्यायलय के आदेश को पढ़ ले फिर कोई भी नेता इस पर बयानबाजी करें.
'सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक डेडिक्टेड कमीशन बनाइए. जो इस बात की पहचान करेगा की कौन-कौन सी जातियां पिछड़ी हैं. जिनको नगर निकाय चुनाव में आरक्षण देना जरुरी है. जिन्होंने हाईकोर्ट का आदेश नहीं पढ़ा, सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं पढ़ा. उनलोगों को इस प्रकार से टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. जो लोग बेतुकी बयानबाजी कर रहे हैं कि बिहार में जातीय गणना हो जाती तो आज ऐसी स्थिति पैदा नहीं होती. जातीय गणना एक अलग चीज है. महाराष्ट्र में जातीय गणना नहीं हुई, मध्य प्रदेश में भी जातीय गणना नहीं हुई फिर भी उनलोगों ने डेडिक्टेड कमीशन बनाया.' - सुशील मोदी, बीजेपी राज्यसभा सांसद
सम्राट चौधरी ने सीएम नीतीश कुमार पर साधा निशाना : इधर, बिहार विधान परिषद में विपक्ष के नेता सम्राट चौधरी ने नगर निकाय चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) पर तंज कसते हुए बडा बयान दिया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी जिद्द से बिहार को चलाते हैं और यही कारण है कि जब हम लोग उनके साथ थे तो बार-बार कहने के बाद भी बिहार में पिछड़ा आयोग का गठन नहीं किया गया जबकि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश में पिछड़ा आयोग का गठन बहुत पहले हो गया था.
'हम पंचायती राज मंत्री थे और उस समय में हमने एडवोकेट जनरल को पिछड़ा आयोग को लेकर पत्र भी लिखा था. कमेटी भी बनाई थी लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी जिद पर अड़े रहे और उन्होंने इसकी स्वीकृति नहीं दी. मुख्यमंत्री पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के विरोधी रहे हैं. यही कारण है कि वो लड़ाई करना चाहते हैं. साथ ही उनके हक की लड़ाई को कमजोर करने की कोशिश मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने नीति के द्वारा करते रहते हैं.' - सम्राट चौधरी, विपक्ष के नेता, बिहार विधान परिषद
संजय जायसवाल ने सीएम पर साधा निशाना : बीजेपी के प्रदेंश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि आज पूरा बिहार इस बात को पहचान गया है कि नितीश कुमार आरक्षण के विरोधी हैं. आज तक पिछड़ों और अति पिछड़ों को जो भी आरक्षण मिला है वह बीजेपी के साथ रहने के कारण नीतीश कुमार ने मजबूरी में दिया था. उन्होंने कहा कि तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद सभी नगर निगम और नगर परिषद क्षेत्रों का आरक्षण का रोस्टर बना रहे थे, लेकिन तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार ने जानबूझकर आरक्षण का रोस्टर बनाए बिना ही नगर निकाय के चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करा दिए जिससे कि सभी बिहार की सीटें विवाद में पड़ जाएं.
बीजेपी प्रवक्ता ने CM और डिप्टी सीएम पर साधा निशाना : इधर, बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री और प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जानबूझकर पिछड़ा, अति पिछड़ा को धोखा दिया. उन्होंने सवालियया लहजे में कहा कि नीतीश कुमार बताएं कि आयोग गठन करने की जिम्मेदारी किसकी थी. उन्होंने सवाल करते हुए यह भी कहा कि मुख्यमंत्री बताएं कि बिना तैयारी के चुनाव प्रक्रिया क्यों शुरू किया गया.
ईबीसी आरक्षण पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई : गौरतलब है कि बिहार में इस महीने होने वाले नगर निकाय चुनाव (Bihar Municipal Election 2022) को लेकर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court On EBC Reservation) ने बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव कराने से फिलहाल रोक लगाने के आदेश दिए हैं. ऐसे में 10 और 20 अक्टूबर को निकायों की इन सीटों पर मतदान हो नहीं हो पाएगा. सिर्फ अनारक्षित और सामान्य महिला वाली सीटों पर ही मतदान हो सकेगा.