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PMCH में पोषण पुनर्वास केंद्र से बच्चों को मिल रही है संजीवनी, मां को भी दी जाती है ट्रेनिंग

केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध सुविधा के बावजूद बच्चे का यहां नहीं पहुंचना एक बड़ी चिंता का विषय है.

पोषण पुनर्वास केंद्र
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Published : Apr 17, 2019, 3:55 PM IST

पटनाः सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र बच्चों के लिए संजीवनी बन रहा है. लेकिन जागरुकता की कमी के कारण केंद्र तक बच्चे पहुंच नहीं पा रहे हैं. अस्पताल में बेडों के अनुपात में बच्चों की काफी कमी है.

राजधानी के पीएमसीएच में इन दिनों बच्चों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र काफी फायदेमंद साबित हो रहा है. बच्चों को कुपोषण मुक्त करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा यह केंद्र खोला गया है. शिशु रोग विभाग में खोले गए पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों को भर्ती कराया जाता है. जहां न सिर्फ बच्चे का इलाज किया जाता है बल्कि उसके साथ रहने वाली उसकी मां को भी खाना-पीना और प्रोत्साहन राशि दी जाती है.

पोषण पुनर्वास केंद्र में जानकारी देते डॉक्टर

नहीं पहुंच रहे बच्चे
यहां सबसे बड़ी परेशानी की बात यह है कि बच्चे पुनर्वास केंद्र तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध सुविधा के बावजूद बच्चे का यहां नहीं पहुंचना एक बड़ी चिंता का विषय है. यहां बेडों की संख्या के अनुपात में अगर मरीज देखा जाए तो दो से तीन ही दिख रहे हैं. चिकित्सक का कहना है कि तीन श्रेणियों में बैठे कुपोषित बच्चों की संख्या कुल बच्चों की संख्या का एक तिहाई है. गौरतलब है कि हॉस्पिटल में राज्य भर के कोने-कोने से आने वाले कुपोषित बच्चों को नया जीवन दिया जा रहा है.

मुफ्त जांच इलाज और भोजन
राज्य सरकार यूनिसेफ एवं पीएमसीएच के संयुक्त तत्वधान में यह पोषण एवं पुनर्वास केंद्र खोला गया है. यह केंद्र पिछले 1 वर्षों से कार्यरत है. शिशु विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर एके जायसवाल का कहना है कि राज्य में काफी संख्या में बच्चे बीमारी, गरीबी और अज्ञानता का कारण कुपोषण का शिकार हो जाते हैं. पोषण पुनर्वास केंद्र में मुफ्त जांच इलाज और भोजन की व्यवस्था की जाती है.

मां को दी जाती है ट्रेनिंग
इस केंद्र में बच्चों को स्वास्थ्य एवं पौष्टिक आहार दिया जाता है. इसके साथ-साथ उनकी माताओं को भी प्रशिक्षण दिया जाता है. यहां पर माताओं को 10 दिन की ट्रेनिंग दी जाती है. वर्तमान में इसमें सारण जिले के गरखा प्रखंड के बच्चे हैं. धीरे-धीरे इसकी स्थिती में सुधार हो रहा है. केन्द्र की खास बात यह है कि कुपोषित बच्चे के साथ-साथ उनकी माता को भी निशुल्क रहने, भोजन और हर रोज 50 रुपये देने का प्रावधान है.

पटनाः सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र बच्चों के लिए संजीवनी बन रहा है. लेकिन जागरुकता की कमी के कारण केंद्र तक बच्चे पहुंच नहीं पा रहे हैं. अस्पताल में बेडों के अनुपात में बच्चों की काफी कमी है.

राजधानी के पीएमसीएच में इन दिनों बच्चों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र काफी फायदेमंद साबित हो रहा है. बच्चों को कुपोषण मुक्त करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा यह केंद्र खोला गया है. शिशु रोग विभाग में खोले गए पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों को भर्ती कराया जाता है. जहां न सिर्फ बच्चे का इलाज किया जाता है बल्कि उसके साथ रहने वाली उसकी मां को भी खाना-पीना और प्रोत्साहन राशि दी जाती है.

पोषण पुनर्वास केंद्र में जानकारी देते डॉक्टर

नहीं पहुंच रहे बच्चे
यहां सबसे बड़ी परेशानी की बात यह है कि बच्चे पुनर्वास केंद्र तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध सुविधा के बावजूद बच्चे का यहां नहीं पहुंचना एक बड़ी चिंता का विषय है. यहां बेडों की संख्या के अनुपात में अगर मरीज देखा जाए तो दो से तीन ही दिख रहे हैं. चिकित्सक का कहना है कि तीन श्रेणियों में बैठे कुपोषित बच्चों की संख्या कुल बच्चों की संख्या का एक तिहाई है. गौरतलब है कि हॉस्पिटल में राज्य भर के कोने-कोने से आने वाले कुपोषित बच्चों को नया जीवन दिया जा रहा है.

मुफ्त जांच इलाज और भोजन
राज्य सरकार यूनिसेफ एवं पीएमसीएच के संयुक्त तत्वधान में यह पोषण एवं पुनर्वास केंद्र खोला गया है. यह केंद्र पिछले 1 वर्षों से कार्यरत है. शिशु विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर एके जायसवाल का कहना है कि राज्य में काफी संख्या में बच्चे बीमारी, गरीबी और अज्ञानता का कारण कुपोषण का शिकार हो जाते हैं. पोषण पुनर्वास केंद्र में मुफ्त जांच इलाज और भोजन की व्यवस्था की जाती है.

मां को दी जाती है ट्रेनिंग
इस केंद्र में बच्चों को स्वास्थ्य एवं पौष्टिक आहार दिया जाता है. इसके साथ-साथ उनकी माताओं को भी प्रशिक्षण दिया जाता है. यहां पर माताओं को 10 दिन की ट्रेनिंग दी जाती है. वर्तमान में इसमें सारण जिले के गरखा प्रखंड के बच्चे हैं. धीरे-धीरे इसकी स्थिती में सुधार हो रहा है. केन्द्र की खास बात यह है कि कुपोषित बच्चे के साथ-साथ उनकी माता को भी निशुल्क रहने, भोजन और हर रोज 50 रुपये देने का प्रावधान है.

Intro: सूबे के सबसे बडे अस्पताल पीएमसीएच स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र बच्चों के लिए बन रही है, संजीवनी लेकिन जागरूकता की है काफी कमी, पोषण पुनर्वास केंद्र तक नहीं पहुंच पा रहे हैं बच्चे, अस्पताल मे बेडों के अनुपात में बच्चों की हो रही है कम संख्या
एक रिपोर्ट:-


Body:राजधानी पटना के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में इन दिनों बच्चों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र संजीवनी बन रही है, बच्चों को कुपोषण मुक्त करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा जारी अभियान किया गया है जहां शिशु रोग विभाग में खोले गए पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित और अति कुपोषित बच्चे को भर्ती कराया जाता है और उसका न सिर्फ इलाज किया जाता है बल्कि उसके साथ रहने वाली उसकी मां का भी खाना पीना और उन्हें प्रोत्साहन राशि दिया जाता है, लेकिन आलम यह है कि बच्चे पुनर्वास केंद्र तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध सुविधा के बावजूद भी बच्चे यहां तक नहीं पहुंच पा रही है जो एक बड़ी चिंता का विषय है जहां वेदों की संख्या के अनुपात में अगर मरीज देखा जाए तो दो से तीन ही दिख रहे हैं विशेष चिकित्सक का कहना है कि तीन श्रेणियों में बैठे कुपोषित बच्चों की संख्या कुल बच्चों की संख्या का एक तिहाई है


Conclusion:गौरतलब है कि सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में राज्य भर के कोने कोने से आने वाले कुपोषित बच्चों को नया जीवन दिया जा रहा है राज्य भर से आने वाले कुपोषित बच्चों के
लिए यह अस्पताल में राज्य सरकार यूनिसेफ एवं पीएमसीएच के संयुक्त तत्वधान में पोषण एवं पुनर्वास केंद्र चलाया जा रहा है यह केंद्र पिछले 1 वर्षों से कार्यरत हैं  शिशू विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर एके जायसवाल का कहना है कि राज्य में काफी संख्या में बच्चे बीमारी गरीबी और अज्ञान का कारण कुपोषण का शिकार हो जाते हैं उन बच्चों को इलाज के लिए साथ साथ भोजन की जरूरत होती  है कि राज्य के विभिन्न अस्पतालों कुपोषित बच्चों को सबसे पहले उसकी स्वास्थ कि  जांच की जाती है पोषण पुनर्वास केंद्र  में जांच और इलाज एवं  मुफ्त भोजन व्यवस्था की जाती है कुपोषण एवं पुनर्वास की व्यवस्था की गई है यहां पर बच्चों के स्वास्थ्य एवं पौष्टिक आहार दिया जाता है इसके साथ-साथ उनकी माताओं को भी प्रशिक्षण दिया जाता है यहां पर माताओं को बच्चों की देखभाल का पाठ पढ़ाया जाता है उन्हें बताया जाता है कि बच्चों को होने वाली बीमारी का मुख्य कारण गंदगी है पर नियंत्रण कर लिया जाए सहित कई बीमारियों से दूर हो जाएगी यहां पर माताओं को 10 दिन से लेकर जाती है वर्तमान में पोषण एवं पुनर्वास केंद्र में भर्ती हैं इनमें से सारण जिले के गरखा प्रखंड के बच्चे हैं धीरे-धीरे सुधार हो रहा है

केन्द्र की खास बात यह है कि कुपोषित बच्चे के साथ-साथ उनकी माता को भी निशुल्क रहने, भोजन साथ में हर रोज 50 रुपये देने का प्रावधान है।

बाईट-प्रोफेसर एके जयसवाल,एचओडी,शिशु विभाग, पीएमसीएच
बाईट-संजना सिंह,केयर टेकर, एनआरसी, पीएमसीएच
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