पटना: राजधानी पटना में सर्दी (Winter in Patna) के मौसम में अब शाम होते ही ठंड लगना शुरू हो जाती है. वहीं, दूसरी ओर ऐसे में सड़कों पर फटी चादरों के सहारे अपनी झोपड़ियां सजाए गरीब में सर्दी का सितम को झेलने के लिए लोग मजबूर हैं. ऐसे में सर्दी से बचने के लिए वो जाने अनजाने में ही प्रदूषण को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं. गौरतलब है कि हाल के दिनों में राजधानी पटना की हवा दिल्ली से भी ज्यादा प्रदूषित बताई गई है.
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अगर हम राजधानी पटना की सड़कों पर लोग अपनी रात गुजारने वाले लोगों की बात करें तो जैसे-जैसे ठंड बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे सड़कों पर अपनी फटी पुरानी चादरों के सहारे झोपड़ियां बनाकर रहने वाले लोग मुश्किल से अपनी रात गुजारने को मजबूर (Poor Suffering from Winter) हैं. सड़कों पर रहने वाले लोग बताते हैं कि उनकी फटी पुरानी चादरों के सहारे बनी झोपड़ियों से जब ठंडी हवा प्रवेश करती है, तो वह बाहर प्लास्टिक के बोरे और अन्य प्लास्टिक की सामग्रियों के जरिए ठंड से बचाव करते हैं.
इसके अलावा अगल-बगल की झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के द्वारा जलाए गए अलाव के सहारे ठंड से बचाव (protection from cold with help of bonfire) करते हैं. वहीं, सड़कों पर बनी इन झोपड़ियों के गोलंबर पर कचरा चुनने का कार्य करने वाले युवा कहते हैं कि उनकी रात बस एक दूसरे के बगल से बाते करते हुए और एक दूसरे से सटकर, एक ही कंबल के सहारे गोलंबर पर ही गुजर जाती है.
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वहीं, अपनी झोपड़ियों के नजदीक आग जलाकर ठंड से बचने की व्यवस्था करने वाली कुछ महिलाएं बताती हैं कि उनके घर के मर्दों के द्वारा कई इलाकों में घूमकर लाए गए कचरों को जलाकर वह रात में ठंड से बचने की जुगत में जुटी रहती हैं. उनके बच्चे तो सड़क पर खेलकर और इसी जल रही आग के सहारे अपना गुजारा कर लेते हैं. उनकी झोपड़ियों में जब ठंडी हवा जाती है, तो वह बाहर निकलकर इस प्लास्टिक के आग के सहारे ही अपनी रात परिवार के साथ गुजारने पर विवश रहते हैं. ऐसे में पटना के कदमकुआं बुद्धमूर्ती इलाके में सड़क पर अपनी झोपड़ी बनाकर रहने वाली सीतबिया कहती हैं कि यह साहब ठंड की रात बड़ी मुश्किल से गुजरती है.