पटना: राजधानी में पिछले साल भारी बारिश ने जमकर तबाही मचाई थी. आलम ये था कि लोगों को कई दिनों तक घरों में 'कैद' रहना पड़ा था. घरों में पानी भरा था और सड़कों पर नाव चल रही थी. व्यवस्था बेदम दिखी और सरकार के तमाम दावे खोखले साबित हुए.
अब जब एक बार फिर से मॉनसून दस्तक देने को तैयार है तो शहर के लोग ये सोच के सहम जाते हैं कि पिछले साल जैसी स्थिति से कहीं फिर न दो-चार होना पड़ जाए. ऐसे में ये समझना जरूरी हो जाता है कि पिछले साल की बारिश से सबक लेकर सरकार बीते 8 महीनों में कितनी तैयारी कर पाई है. लेकिन उससे पहले पटना की भौगोलिक स्थिति को हमें समझना होगा.
निचले इलाके में स्थिति ज्यादा भयावह
जानकार बताते हैं कि पटना किसी कटोरे की तरह है. चारों तरफ ऊंची और बीच में निचले इलाके हैं. यही वजह है कि पिछले साल भारी बारिश के कारण राजेंद्र नगर, कंकड़बाग, बेऊर और कुम्हरार जैसे निचले इलाके में स्थिति सबसे भयावह थी. राजेंद्र नगर स्थित अपने निजी आवास में उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी कई दिनों तक फंसे रहे हैं. बाद में परिवार समेत उन्हें रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया. वहीं, सरकार के कई और मंत्रियों व अधिकारियों के आवास में कई दिनों तक पानी भरा रहा.
ड्रेनेज सिस्टम पर सवाल
पिछले साल जो भयावह तस्वीर दिखी, उसे राज्य सरकार और नगर निगम ने भले ही प्राकृतिक आपदा का नाम दिया हो, लेकिन उनकी ये दलील लोगों के गले नहीं उतरी. क्योंकि ये पहली बार नहीं थी, जब बारिश हुई. लेकिन जब ड्रेनेज सिस्टम ही काम नहीं करेगा तो पानी भला कहां जाएगा?
संप हाउस को दुरुस्त करने का काम जारी
पिछले सबसे अधिक फजीहत इस बात को लेकर भी हुई थी कि ऐन मौके पर संप हाउस ने काम करना बंद कर दिया. पटना में फिलहाल 39 संप हाउस हैं. जबकि 17 जगहों पर नए संप हाउस बनाने की योजना है. पिछली बार जैसी स्थिति दोबारा उपन्न न हो. लिहाजा बुडको ने संप हाउसों के संचालन का ज़िम्मा तीन वर्षो के लिए निजी हाथों को सौंप दिया. इसके अलावे निगम क्षेत्र के करीब 8 लाख फीट खुले नाले, 24,349 मेनहॉल और 18,444 कैचपीट की उड़ाही की जा चुकी है.
नक्शा पर मंत्री का दावा
वहीं, जिस नक्शा के आधार पर नालों की सटीक जानकारी मिलती है, उसको लेकर पिछले साल उस विकराल घड़ी के वक्त ये खबर उड़ी कि शहर की नालियों के नेटवर्क का वह नक्शा साल 2017 में गुम हो गया. जिसके बाद सरकार की काफी फजीहत भी हुई थी. हालांकि नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा इसे महज अफवाह करार देते हैं. साथ ही वे दावा करते हैं कि इस बार पिछले साल जैसे हालात नहीं पैदा होंगे.
हालात से निपटने को तैयार निगम?
बहरहाल बरसात शुरू हो चुकी है, लेकिन लॉकडाउन के कारण जलजमाव से निपटने के लिए अबतक निगम की कोई भी तैयारी मुकम्मल नहीं हो पाई है. हालांकि दावे जरूर किए जा रहे हैं कि पिछली बार जैसी स्थिति नहीं होगी. मगर दावों का क्या, वो तो पिछली बार भी हुए थे. सरकार तो जलजमाव का ठीकरा एक बार फिर हथिया नक्षत्र पर फोड़कर अपना पल्ला झाड़ लेगी. मुसीबत तो आम लोगों को ही झेलनी पड़ेगी.