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Ground Report : जलजमाव से क्या पिछले साल की तरह फिर डूब जाएगा पटना?

सितंबर 2019 के आखिरी सप्ताह में लगातार हुई तेज बारिश के कारण राजधानी में भारी तबाही मची थी. संप हाउस में पानी घुस जाने के कारण जगह-जगह जलजमाव हो गया था. ऐसे में अहम सवाल यही है कि इस बार वैसे हालात न उत्पन्न हो, इसके लिए नगर निगम कितना तैयार है?

Patna Flood
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Published : Jun 14, 2020, 7:01 AM IST

Updated : Jun 14, 2020, 11:48 AM IST

पटना: राजधानी में पिछले साल भारी बारिश ने जमकर तबाही मचाई थी. आलम ये था कि लोगों को कई दिनों तक घरों में 'कैद' रहना पड़ा था. घरों में पानी भरा था और सड़कों पर नाव चल रही थी. व्यवस्था बेदम दिखी और सरकार के तमाम दावे खोखले साबित हुए.

Patna Flood
साल 2019 के जलजमाव की तस्वीर

अब जब एक बार फिर से मॉनसून दस्तक देने को तैयार है तो शहर के लोग ये सोच के सहम जाते हैं कि पिछले साल जैसी स्थिति से कहीं फिर न दो-चार होना पड़ जाए. ऐसे में ये समझना जरूरी हो जाता है कि पिछले साल की बारिश से सबक लेकर सरकार बीते 8 महीनों में कितनी तैयारी कर पाई है. लेकिन उससे पहले पटना की भौगोलिक स्थिति को हमें समझना होगा.

Patna Flood
साल 2019 के जलजमाव की तस्वीर

निचले इलाके में स्थिति ज्यादा भयावह

जानकार बताते हैं कि पटना किसी कटोरे की तरह है. चारों तरफ ऊंची और बीच में निचले इलाके हैं. यही वजह है कि पिछले साल भारी बारिश के कारण राजेंद्र नगर, कंकड़बाग, बेऊर और कुम्हरार जैसे निचले इलाके में स्थिति सबसे भयावह थी. राजेंद्र नगर स्थित अपने निजी आवास में उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी कई दिनों तक फंसे रहे हैं. बाद में परिवार समेत उन्हें रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया. वहीं, सरकार के कई और मंत्रियों व अधिकारियों के आवास में कई दिनों तक पानी भरा रहा.

Patna Flood
फाइल

ड्रेनेज सिस्टम पर सवाल

पिछले साल जो भयावह तस्वीर दिखी, उसे राज्य सरकार और नगर निगम ने भले ही प्राकृतिक आपदा का नाम दिया हो, लेकिन उनकी ये दलील लोगों के गले नहीं उतरी. क्योंकि ये पहली बार नहीं थी, जब बारिश हुई. लेकिन जब ड्रेनेज सिस्टम ही काम नहीं करेगा तो पानी भला कहां जाएगा?

Patna Flood
संप हाउस

संप हाउस को दुरुस्त करने का काम जारी

पिछले सबसे अधिक फजीहत इस बात को लेकर भी हुई थी कि ऐन मौके पर संप हाउस ने काम करना बंद कर दिया. पटना में फिलहाल 39 संप हाउस हैं. जबकि 17 जगहों पर नए संप हाउस बनाने की योजना है. पिछली बार जैसी स्थिति दोबारा उपन्न न हो. लिहाजा बुडको ने संप हाउसों के संचालन का ज़िम्मा तीन वर्षो के लिए निजी हाथों को सौंप दिया. इसके अलावे निगम क्षेत्र के करीब 8 लाख फीट खुले नाले, 24,349 मेनहॉल और 18,444 कैचपीट की उड़ाही की जा चुकी है.

Patna Flood
ईटीवी भारत से बात करते मंत्री सुरेश शर्मा

नक्शा पर मंत्री का दावा

वहीं, जिस नक्शा के आधार पर नालों की सटीक जानकारी मिलती है, उसको लेकर पिछले साल उस विकराल घड़ी के वक्त ये खबर उड़ी कि शहर की नालियों के नेटवर्क का वह नक्शा साल 2017 में गुम हो गया. जिसके बाद सरकार की काफी फजीहत भी हुई थी. हालांकि नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा इसे महज अफवाह करार देते हैं. साथ ही वे दावा करते हैं कि इस बार पिछले साल जैसे हालात नहीं पैदा होंगे.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

हालात से निपटने को तैयार निगम?

बहरहाल बरसात शुरू हो चुकी है, लेकिन लॉकडाउन के कारण जलजमाव से निपटने के लिए अबतक निगम की कोई भी तैयारी मुकम्मल नहीं हो पाई है. हालांकि दावे जरूर किए जा रहे हैं कि पिछली बार जैसी स्थिति नहीं होगी. मगर दावों का क्या, वो तो पिछली बार भी हुए थे. सरकार तो जलजमाव का ठीकरा एक बार फिर हथिया नक्षत्र पर फोड़कर अपना पल्ला झाड़ लेगी. मुसीबत तो आम लोगों को ही झेलनी पड़ेगी.

पटना: राजधानी में पिछले साल भारी बारिश ने जमकर तबाही मचाई थी. आलम ये था कि लोगों को कई दिनों तक घरों में 'कैद' रहना पड़ा था. घरों में पानी भरा था और सड़कों पर नाव चल रही थी. व्यवस्था बेदम दिखी और सरकार के तमाम दावे खोखले साबित हुए.

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साल 2019 के जलजमाव की तस्वीर

अब जब एक बार फिर से मॉनसून दस्तक देने को तैयार है तो शहर के लोग ये सोच के सहम जाते हैं कि पिछले साल जैसी स्थिति से कहीं फिर न दो-चार होना पड़ जाए. ऐसे में ये समझना जरूरी हो जाता है कि पिछले साल की बारिश से सबक लेकर सरकार बीते 8 महीनों में कितनी तैयारी कर पाई है. लेकिन उससे पहले पटना की भौगोलिक स्थिति को हमें समझना होगा.

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साल 2019 के जलजमाव की तस्वीर

निचले इलाके में स्थिति ज्यादा भयावह

जानकार बताते हैं कि पटना किसी कटोरे की तरह है. चारों तरफ ऊंची और बीच में निचले इलाके हैं. यही वजह है कि पिछले साल भारी बारिश के कारण राजेंद्र नगर, कंकड़बाग, बेऊर और कुम्हरार जैसे निचले इलाके में स्थिति सबसे भयावह थी. राजेंद्र नगर स्थित अपने निजी आवास में उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी कई दिनों तक फंसे रहे हैं. बाद में परिवार समेत उन्हें रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया. वहीं, सरकार के कई और मंत्रियों व अधिकारियों के आवास में कई दिनों तक पानी भरा रहा.

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फाइल

ड्रेनेज सिस्टम पर सवाल

पिछले साल जो भयावह तस्वीर दिखी, उसे राज्य सरकार और नगर निगम ने भले ही प्राकृतिक आपदा का नाम दिया हो, लेकिन उनकी ये दलील लोगों के गले नहीं उतरी. क्योंकि ये पहली बार नहीं थी, जब बारिश हुई. लेकिन जब ड्रेनेज सिस्टम ही काम नहीं करेगा तो पानी भला कहां जाएगा?

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संप हाउस

संप हाउस को दुरुस्त करने का काम जारी

पिछले सबसे अधिक फजीहत इस बात को लेकर भी हुई थी कि ऐन मौके पर संप हाउस ने काम करना बंद कर दिया. पटना में फिलहाल 39 संप हाउस हैं. जबकि 17 जगहों पर नए संप हाउस बनाने की योजना है. पिछली बार जैसी स्थिति दोबारा उपन्न न हो. लिहाजा बुडको ने संप हाउसों के संचालन का ज़िम्मा तीन वर्षो के लिए निजी हाथों को सौंप दिया. इसके अलावे निगम क्षेत्र के करीब 8 लाख फीट खुले नाले, 24,349 मेनहॉल और 18,444 कैचपीट की उड़ाही की जा चुकी है.

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ईटीवी भारत से बात करते मंत्री सुरेश शर्मा

नक्शा पर मंत्री का दावा

वहीं, जिस नक्शा के आधार पर नालों की सटीक जानकारी मिलती है, उसको लेकर पिछले साल उस विकराल घड़ी के वक्त ये खबर उड़ी कि शहर की नालियों के नेटवर्क का वह नक्शा साल 2017 में गुम हो गया. जिसके बाद सरकार की काफी फजीहत भी हुई थी. हालांकि नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा इसे महज अफवाह करार देते हैं. साथ ही वे दावा करते हैं कि इस बार पिछले साल जैसे हालात नहीं पैदा होंगे.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

हालात से निपटने को तैयार निगम?

बहरहाल बरसात शुरू हो चुकी है, लेकिन लॉकडाउन के कारण जलजमाव से निपटने के लिए अबतक निगम की कोई भी तैयारी मुकम्मल नहीं हो पाई है. हालांकि दावे जरूर किए जा रहे हैं कि पिछली बार जैसी स्थिति नहीं होगी. मगर दावों का क्या, वो तो पिछली बार भी हुए थे. सरकार तो जलजमाव का ठीकरा एक बार फिर हथिया नक्षत्र पर फोड़कर अपना पल्ला झाड़ लेगी. मुसीबत तो आम लोगों को ही झेलनी पड़ेगी.

Last Updated : Jun 14, 2020, 11:48 AM IST
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