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पटना नगर निगम के रवैये पर हाईकोर्ट सख्त, कहा- बिना निबंधन नहीं रह सकती सड़क पर खड़ी गाड़ी - पटना नगर निगम पर हाईकोर्ट

पटना हाई कोर्ट ने कड़ी टिपण्णी करते हुए कहा कि देश में कानून से ऊपर कोई नहीं है. खण्डपीठ ने स्पष्ट आदेश जारी किया कि बगैर निबंधन के कोई भी सरकारी व निगम की गाड़ी एक दिन भी सड़कों पर खड़ी नहीं रहेगी.

Patna High Court
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Published : Sep 3, 2021, 11:03 PM IST

पटना: पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने बगैर निबंधन के ही सड़कों पर घूम रही पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) की गाड़ियों के मामले को निष्पादित कर दिया. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने आदेश जारी किया है कि कोई भी सरकारी या अन्य सरकारी निकाय की गाड़ी बगैर निबंधन के सड़क पर खड़ी नहीं रह सकती.

ये भी पढ़ें- बिहार में जजों की कमी के चलते न्याय मिलने में देरी, 25 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग

कोर्ट ने पटना नगर निगम के मामले में इस लापरवाही पर अपनी नाराजगी जतायी. इसके साथ ही कोर्ट ने नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को चार महीने के भीतर जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई पूरी करने का निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने निर्भय प्रशांत की जनहित याचिका को निष्पादित करते हुए ये आदेश दिया.

पटना हाई कोर्ट ने कड़ी टिपण्णी करते हुए कहा कि देश में कानून से ऊपर कोई नहीं है. जब मोटर वाहन कानून में किसी गाड़ी को निबंधन से छूट नहीं है, तो नगर निगम की गाड़ियां एक दिन भी आखिर बगैर निबंधन के कैसे सड़कों पर खड़ी रहती थी? खण्डपीठ ने यह स्पष्ट आदेश जारी किया कि बगैर निबंधन के कोई भी सरकारी व निगम की गाड़ी एक दिन भी सड़कों पर खड़ी नहीं रहेगी.

ये भी पढ़ें- तेज प्रताप की विधायकी को चुनौती देने वाली याचिका पर HC में हुई सुनवाई

कोर्ट में दायर हलफनामे की मानें तो पटना नगर निगम ने 925 गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन के लिए तकरीबन 2 करोड़ रुपये जमा किया. वर्ष 2019 में राजधानी की सड़कों पर नगर निगम की करीब 925 गाड़ियां बगैर निबंधन व बीमा के ही घूम रही थी.

पटना: पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने बगैर निबंधन के ही सड़कों पर घूम रही पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) की गाड़ियों के मामले को निष्पादित कर दिया. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने आदेश जारी किया है कि कोई भी सरकारी या अन्य सरकारी निकाय की गाड़ी बगैर निबंधन के सड़क पर खड़ी नहीं रह सकती.

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कोर्ट ने पटना नगर निगम के मामले में इस लापरवाही पर अपनी नाराजगी जतायी. इसके साथ ही कोर्ट ने नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को चार महीने के भीतर जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई पूरी करने का निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने निर्भय प्रशांत की जनहित याचिका को निष्पादित करते हुए ये आदेश दिया.

पटना हाई कोर्ट ने कड़ी टिपण्णी करते हुए कहा कि देश में कानून से ऊपर कोई नहीं है. जब मोटर वाहन कानून में किसी गाड़ी को निबंधन से छूट नहीं है, तो नगर निगम की गाड़ियां एक दिन भी आखिर बगैर निबंधन के कैसे सड़कों पर खड़ी रहती थी? खण्डपीठ ने यह स्पष्ट आदेश जारी किया कि बगैर निबंधन के कोई भी सरकारी व निगम की गाड़ी एक दिन भी सड़कों पर खड़ी नहीं रहेगी.

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कोर्ट में दायर हलफनामे की मानें तो पटना नगर निगम ने 925 गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन के लिए तकरीबन 2 करोड़ रुपये जमा किया. वर्ष 2019 में राजधानी की सड़कों पर नगर निगम की करीब 925 गाड़ियां बगैर निबंधन व बीमा के ही घूम रही थी.

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