पटना: पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन को सभी ओर से जोड़ने वाली सड़कों के निर्माण के मामले पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने भरत प्रसाद सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सख्त लहजे में टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि रेलवे यात्रियों के लिए सुविधाएं मुहैया नहीं करा सकता तो इसे बंद करना ही उचित होगा. कोर्ट ने रेलवे को नए सिरे से हलफनामा दायर करने के लिये आगामी 27 अक्टूबर 2021 तक की मोहलत दी है.
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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सत्यम शिवम सुंदरम ने बताया कि कोर्ट ने रेलवे के अपने हिस्से की धनराशि देने के रवैए पर सख्त नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि जब स्टेशन रेलवे ने बनाया है तो सड़क बनाने की जिम्मेदारी भी उसी की है. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को जानकारी दी कि राज्य सरकार इस सड़क के निर्माण के लिए अपने हिस्से की धनराशि देने को तैयार है.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि रेलवे को खर्च वहन करना चाहिए, क्योंकि रेलवे द्वारा नहर के पूर्वी किनारे पर रेलवे ट्रैक बना दिया गया है. जो कि स्थानीय लोगों द्वारा सड़क के तौर पर उपयोग किया जाता था.
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कोर्ट ने इस बात को लेकर भी अपनी नाराजगी व्यक्त की है कि रेलवे के द्वारा पहले लागत में शेयर करने को लेकर करार किया था और अब यू-टर्न ले रहे हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन के लिए जरूरत को देखते हुए यह रेलवे की जिम्मेदारी है कि पूरी लागत का जिम्मा वह उठाए.
कोर्ट ने गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि रेलवे प्रशासन लागत में शेयर करने को लेकर सहमत नहीं होता है तो हाईकोर्ट पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन को बंद करने का आदेश दे सकता है. कोर्ट ने कहा कि अब रेलवे को 100 फीसदी लागत का खर्च उठाना चाहिए, क्योंकि पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन की जिम्मेदारी रेलवे की है.
बता दें कि पाटलिपुत्र स्टेशन का निर्माण तो काफी पहले ही हो गया था, लेकिन वहां तक सभी ओर से पहुंचने के लिए सड़कें नहीं होने के कारण यात्रियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. इस मामले पर अगली सुनवाई 27 अक्टूबर 2021 को की जाएगी.