पटना: स्वच्छता सर्वेक्षण में 10 लाख से अधिक आबादी वाला पटना इस बार फिर तिमाही रैंकिंग में फिसड्डी साबित हुआ है. इस बार पटना को रैंकिंग में 46 वां स्थान मिला है. फाइनल रिपोर्ट मार्च के अंत में आएगी लेकिन इस बार पटना फाइनल रैंकिंग में सुधार करेगा ऐसा दावा नगर निगम की ओर से किया जा रहा है.
कम डाटा अपलोड किया
सशक्त स्थाई समिति के सदस्य इंद्रदीप चंद्रवंशी ने बताया कि शहर साफ हो इसके लिए निगम की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. लेकिन हम आपको बता दें कि अभी तक हुए स्वच्छता सर्वेक्षण में पटना सहित बिहार के निकायों की स्थिति अच्छी नहीं है. इस बार तो हालात और खराब दिख रहे हैं. अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही के आधार पर रैंकिंग का फैसला होना है. जबकि अभी तक राज्य के करीब 20 निकाय ऐसे हैं, जिन्हें स्वच्छ भारत मिशन की साइट पर बहुत कम डाटा अपलोड किया है. जबकि इसी डाटा के आधार पर केंद्रीय एजेंसी जांच करती है.
निगम का दावा
निगम का दावा है कि स्वच्छता सर्वेक्षण में पिछली बार हमें जो रैंक मिली थी. इस बार उस रैंक में सुधार होगा और हमारा शहर भी साफ रहेगा. इसके लिए बहुत सी योजनाएं बनाई गई हैं और चलाई भी जा रही हैं. पिछले दिनों तिमाही मे जो रैंक जारी हुई थी. उसमें भी कुछ सुधार हुआ है और सुधार करने के लिए निगम की अध्यक्षता में समीक्षा भी कर रहा है. जितने भी कागज अपलोड करने हैं. उसकी भी प्रक्रिया शुरू की गई है.
निगम ने आम लोगों से की अपील
शहर को साफ रखने के लिए और स्वच्छता सर्वेक्षण में रैंकिंग के सुधार के लिए निगम आम लोगों से अपील भी कर रहा है कि वो निगम की मदद करें. यदि शहर के आम लोग निगम की मदद करना शुरू कर देंगे तो निश्चित तौर पर पटना भी स्वच्छता सर्वेक्षण में आगे आ सकता है.
ईटीवी भारत ने की पड़ताल
स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में सुधार को लेकर निगम की ओर से किए जा रहे दावों को लेकर जब ईटीवी भारत ने कुछ इलाकों में पड़ताल की तो कई जगह पर गंदगी का अंबार लगा मिला. बता दें कि निगम शहर की मुख्य सड़को को भले ही साफ रख रहा हो लेकिन लिंक रोड की सड़कों पर गंदगी का अंबार है. लोगों ने बताया कि निगम की ओर से जगह-जगह पर सफाई अभियान भी नहीं चलाया जाता है.