पटना: गोपालगंज में पुल टूटने की घटना को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है. विपक्षी दलों का कहना है कि यह एस्टिमेट घोटाला है. विपक्ष की मांग है कि सरकार इसकी जांच हाईकोर्ट के पूर्व जज या फिर विधानसभा की ओर से गठित सर्वदलीय कमेटी से करवाए और जांच रिपोर्ट चुनाव से पहले सार्वजनिक करें.
29 दिनों में ही ध्वस्त हुआ पुल
बुधवार को पुल के ध्वस्त होने से चंपारण, तिरहुत और सारण का संपर्क टूट गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ठीक एक महीने पहले ही बीते 16 जून को इस रामजानकी सेतु का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया था. यह पुल महज 29 दिनों में ही ध्वस्त हो गया. इसको लेकर राजनीति एक बार फिर से गरम हो गई है.
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विपक्ष का आरोप
विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए तीखा हमला किया. विपक्ष का आरोप है कि सीएम नीतीश कुमार के शासनकाल में बिहार में बड़े-बड़े घोटाले हुए हैं. सृजन घोटाला, टॉपर घोटाला या फिर इस्टिमेट घोटाला जैसे कई नाम इसमें शामिल हैं.
263 करोड़ रुपए की लागत से बना पुल
गोपालगंज में विकास को रफ्तार देने के लिए सरकार ने 263 करोड़ रुपए की लागत से गंडक नदी पर पुल बनवाया था. पुल को बनाने में 8 साल का वक्त लगा था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साल 2012 में पुल का शिलान्यास किया था. सरकार ने दावा किया था कि इस पुल को बनने से उत्तरी बिहार के विकास की रफ्तार तेज होगी.
बुधवार को ध्वस्त हुआ 1 महीने पुराना पुल
बता दें कि गोपालगंज में लगातार बारिश के कारण गंड़क नदी उफान पर है. बुधवार को नदी की तेज धारा में जिले के बैकुंठपुर प्रखंड के सत्तरघाट पर बना एप्रोच पथ ध्वस्त हो गया था. 1440 मीटर लंबे इस महासेतु का उद्घाटन होने से गोपालगंज, सारण, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी तथा शिवहर जिलों के बीच आवागमन सुगम हुआ था. सारण और पूर्वी चंपारण के बीच की दूरी भी काफी कम हुई थी. स्थानीय लोगों ने निर्माण कंपनी पर कार्य में अनियमितता का आरोप लगाया.