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कुर्सी के लिए नीतीश ने अपनी USP से किया समझौता, विपक्ष का आरोप- करप्शन का नया रिकॉर्ड बना रही सरकार

बिहार में भ्रष्टाचार (Corruption in Bihar) के बढ़ते मामलों ने सरकार की यूएसपी पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. जिस सरकार का हमेशा यह दावा रहा हो कि क्राइम, करप्शन और कम्युनलिज्म (Crime, Corruption and Communism) से हम समझौता नहीं करते हैं, उसी सरकार में एक के बाद एक बड़े बड़े घोटाले उजागर हो रहे हैं. विपक्ष का दावा है कि अब बिहार में सुशासन नाम की कोई चीज नहीं रह गई है और घोटाले बिहार की नियति बन गए हैं. पढ़ें खास रिपोर्ट...

बिहार में भ्रष्टाचार पर घिरे नीतीश
बिहार में भ्रष्टाचार पर घिरे नीतीश
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Published : Dec 6, 2021, 10:50 PM IST

पटना: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) ही केवल बड़ा मामला नहीं है, बल्कि इसकी वजह से पैदा हुआ भ्रष्टाचार और कई अन्य मामलों में लगातार सामने आ रहे भ्रष्टाचार के मामले (Corruption in Bihar) सरकार की पोल खोल रहे हैं लेकिन इन सबसे बड़ी बात यह है कि बड़े मामले सामने आने के बावजूद कोई बड़ी कार्रवाई से सरकार बच रही है. खास बात ये है कि सरकार की पोल खोलने में खुद एनडीए के नेता ही लगे हुए हैं. विधानसभा में बीजेपी विधायक संजय सरावगी ने दरभंगा के इंजीनियर के पास से 68 लाख रुपए कैश बरामद होने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर सवाल खड़ा किया तो मंत्री जवाब तक नहीं दे सके.

ये भी पढ़ें: 'बिहार में 20 हजार करोड़ की समानांतर अर्थव्यवस्था, सरकार सोचती है कि शराब का व्यापार करेंगे और छिप जाएगा'

वहीं, बालू के अवैध उत्खनन को लेकर सरकार कार्रवाई का दावा कर रही है. कई अधिकारियों के यहां छापेमारी में कैश बरामद हुए और जमीन और अन्य संपत्तियों में भारी भरकम निवेश का भी खुलासा हुआ, लेकिन मजे की बात यह कि अब तक बालू का अवैध उत्खनन नहीं रुक सका है. इधर एक मंत्री के आप्त सचिव के पास से लाखों रुपए बरामद हुए और सोने के बिस्किट भी मिले हैं.

देखें वीडियो

यूनिवर्सिटी में भ्रष्टाचार (Corruption in University) के मामले ने तो हायर एजुकेशन के पूरे सिस्टम पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. एक वीसी के यहां से एक करोड़ से ज्यादा की कैश बरामद हुए, लेकिन उन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. उस विषय को लेकर अब रजिस्ट्रार शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें धमकी मिल रही है. इधर पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी, पूर्णिया यूनिवर्सिटी, जेपी यूनिवर्सिटी और कई अन्य यूनिवर्सिटी में वित्तीय गड़बड़ी के कई मामले सामने आए हैं, लेकिन उन्हें लेकर भी कोई बड़ी कार्रवाई अब तक नहीं हुई है.

बिहार में शराबबंदी की वजह से एक तरफ सरकार अपराध और दुर्घटना में कमी होने का दावा करती है, लेकिन दूसरी तरफ अवैध शराब की बिक्री और सप्लाई का पूरा नेटवर्क बिहार में चल रहा है. आए दिन शराब की बड़ी खेप अलग-अलग जगह पर पकड़ी जा रही है, जिसे लेकर विपक्ष निशाने साध रहा है.

विपक्ष का यह भी दावा है कि 20 हजार करोड़ से ज्यादा की समानांतर अर्थव्यवस्था शराब माफिया चला रहे हैं और इसमें बड़ी भूमिका एनडीए नेताओं की है. आरजेडी नेता एजाज अहमद कहते हैं कि सिर्फ शराबबंदी नहीं बल्कि बालू के नाम पर और हायर एजुकेशन के नाम पर जिस तरह का भ्रष्टाचार बिहार में चल रहा है, वह सबके सामने है. सरकार इसमें खुद शामिल है. इसलिए किसी भी मामले की तह तक जांच नहीं हो रही. आरजेडी नेता ने दावा किया कि बिहार में 76 तरह के घोटाले हुए हैं और इन सब की जांच जरूरी है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) अपनी यूएसपी का बंटाधार कर चुके हैं.

"सिर्फ शराबबंदी नहीं बल्कि बालू के नाम पर और हायर एजुकेशन के नाम पर जिस तरह का भ्रष्टाचार बिहार में चल रहा है, वह सबके सामने है. सरकार इसमें खुद शामिल है, इसलिए किसी भी मामले की तह तक जांच नहीं हो रही. नीतीश कुमार अपनी यूएसपी का बंटाधार कर चुके हैं"- एजाज अहमद, प्रदेश प्रवक्ता, आरजेडी

उधर, कांग्रेस प्रवक्ता राजेश कुमार राठौड़ ने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका दावा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जानकारी में कई घोटाले बिहार में हो रहे हैं, लेकिन उनके विधायक और मंत्री ही इस पूरे मामले में शामिल हैं, इसलिए वे कार्रवाई से बच रहे हैं. राजेश राठौड़ ने सवाल किया कि देश में कहीं भी ऐसा मामला नहीं आया कि किसी इंजीनियर के पास करोड़ों रुपए पकड़े जाएं और उस पर कोई कार्रवाई ना हो. इसी तरह शराबबंदी के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है. यूनिवर्सिटी में अरबों रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है और इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए, लेकिन नीतीश कुमार को इससे कोई मतलब नहीं है. वह तो शराबबंदी के नाम पर चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी को शराब ढूंढने में लगा रहे हैं, लेकिन करोड़ों रुपए के घोटाले की उन्हें कोई चिंता नहीं है.


"दावा के साथ कहता हूं कि नीतीश कुमार की जानकारी में कई घोटाले बिहार में हो रहे हैं, लेकिन उनके विधायक और उनके मंत्री ही इस पूरे मामले में शामिल हैं इसलिए वे कार्रवाई से बच रहे हैं. शराबबंदी के नाम पर चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी को शराब ढूंढने में लगा रहे हैं, लेकिन करोड़ों रुपए के घोटाले की उन्हें कोई चिंता नहीं है"- राजेश राठौड़, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस

ये भी पढ़ें:नीरज का तेजस्वी पर पलटवार, 'शराबबंदी को फेल बताने वाले भीमराव अंबेडकर के सिद्धांत के खिलाफ दे रहे हैं बयान'

हालांकि सत्ताधारी बीजेपी ने इन तमाम आरोपों से इनकार किया है. अखिलेश कुमार सिंह ने दावा किया कि एनडीए सरकार जीरो टॉलरेंस वाली सरकार है. उन्होंने कहा कि हम क्राइम, करप्शन और कम्युनलिज्म से कोई समझौता नहीं कर सकते. जो लोग भी भ्रष्टाचार में शामिल हैं, उन्हें पूरी जांच के बाद जरूर सजा मिलेगी. बीजेपी नेता ने दावा किया कि बिना जांच के हम किसी को सजा कैसे दे सकते हैं. अगर कोई भ्रष्टाचार कर रहा है तो उस पर कार्रवाई करते हुए उसे पकड़ा भी जा रहा है.

"एनडीए सरकार जीरो टॉलरेंस वाली सरकार है हम क्राइम, करप्शन और कम्युनलिज्म (Crime, Corruption and Communism) से कोई समझौता नहीं कर सकते. जो लोग भी भ्रष्टाचार में शामिल हैं, उन्हें पूरी जांच के बाद जरूर सजा मिलेगी. अगर कोई भ्रष्टाचार कर रहा है तो उस पर कार्रवाई करते हुए उसे पकड़ा भी जा रहा है"- अखिलेश कुमार सिंह, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी

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पटना: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) ही केवल बड़ा मामला नहीं है, बल्कि इसकी वजह से पैदा हुआ भ्रष्टाचार और कई अन्य मामलों में लगातार सामने आ रहे भ्रष्टाचार के मामले (Corruption in Bihar) सरकार की पोल खोल रहे हैं लेकिन इन सबसे बड़ी बात यह है कि बड़े मामले सामने आने के बावजूद कोई बड़ी कार्रवाई से सरकार बच रही है. खास बात ये है कि सरकार की पोल खोलने में खुद एनडीए के नेता ही लगे हुए हैं. विधानसभा में बीजेपी विधायक संजय सरावगी ने दरभंगा के इंजीनियर के पास से 68 लाख रुपए कैश बरामद होने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर सवाल खड़ा किया तो मंत्री जवाब तक नहीं दे सके.

ये भी पढ़ें: 'बिहार में 20 हजार करोड़ की समानांतर अर्थव्यवस्था, सरकार सोचती है कि शराब का व्यापार करेंगे और छिप जाएगा'

वहीं, बालू के अवैध उत्खनन को लेकर सरकार कार्रवाई का दावा कर रही है. कई अधिकारियों के यहां छापेमारी में कैश बरामद हुए और जमीन और अन्य संपत्तियों में भारी भरकम निवेश का भी खुलासा हुआ, लेकिन मजे की बात यह कि अब तक बालू का अवैध उत्खनन नहीं रुक सका है. इधर एक मंत्री के आप्त सचिव के पास से लाखों रुपए बरामद हुए और सोने के बिस्किट भी मिले हैं.

देखें वीडियो

यूनिवर्सिटी में भ्रष्टाचार (Corruption in University) के मामले ने तो हायर एजुकेशन के पूरे सिस्टम पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. एक वीसी के यहां से एक करोड़ से ज्यादा की कैश बरामद हुए, लेकिन उन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. उस विषय को लेकर अब रजिस्ट्रार शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें धमकी मिल रही है. इधर पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी, पूर्णिया यूनिवर्सिटी, जेपी यूनिवर्सिटी और कई अन्य यूनिवर्सिटी में वित्तीय गड़बड़ी के कई मामले सामने आए हैं, लेकिन उन्हें लेकर भी कोई बड़ी कार्रवाई अब तक नहीं हुई है.

बिहार में शराबबंदी की वजह से एक तरफ सरकार अपराध और दुर्घटना में कमी होने का दावा करती है, लेकिन दूसरी तरफ अवैध शराब की बिक्री और सप्लाई का पूरा नेटवर्क बिहार में चल रहा है. आए दिन शराब की बड़ी खेप अलग-अलग जगह पर पकड़ी जा रही है, जिसे लेकर विपक्ष निशाने साध रहा है.

विपक्ष का यह भी दावा है कि 20 हजार करोड़ से ज्यादा की समानांतर अर्थव्यवस्था शराब माफिया चला रहे हैं और इसमें बड़ी भूमिका एनडीए नेताओं की है. आरजेडी नेता एजाज अहमद कहते हैं कि सिर्फ शराबबंदी नहीं बल्कि बालू के नाम पर और हायर एजुकेशन के नाम पर जिस तरह का भ्रष्टाचार बिहार में चल रहा है, वह सबके सामने है. सरकार इसमें खुद शामिल है. इसलिए किसी भी मामले की तह तक जांच नहीं हो रही. आरजेडी नेता ने दावा किया कि बिहार में 76 तरह के घोटाले हुए हैं और इन सब की जांच जरूरी है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) अपनी यूएसपी का बंटाधार कर चुके हैं.

"सिर्फ शराबबंदी नहीं बल्कि बालू के नाम पर और हायर एजुकेशन के नाम पर जिस तरह का भ्रष्टाचार बिहार में चल रहा है, वह सबके सामने है. सरकार इसमें खुद शामिल है, इसलिए किसी भी मामले की तह तक जांच नहीं हो रही. नीतीश कुमार अपनी यूएसपी का बंटाधार कर चुके हैं"- एजाज अहमद, प्रदेश प्रवक्ता, आरजेडी

उधर, कांग्रेस प्रवक्ता राजेश कुमार राठौड़ ने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका दावा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जानकारी में कई घोटाले बिहार में हो रहे हैं, लेकिन उनके विधायक और मंत्री ही इस पूरे मामले में शामिल हैं, इसलिए वे कार्रवाई से बच रहे हैं. राजेश राठौड़ ने सवाल किया कि देश में कहीं भी ऐसा मामला नहीं आया कि किसी इंजीनियर के पास करोड़ों रुपए पकड़े जाएं और उस पर कोई कार्रवाई ना हो. इसी तरह शराबबंदी के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है. यूनिवर्सिटी में अरबों रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है और इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए, लेकिन नीतीश कुमार को इससे कोई मतलब नहीं है. वह तो शराबबंदी के नाम पर चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी को शराब ढूंढने में लगा रहे हैं, लेकिन करोड़ों रुपए के घोटाले की उन्हें कोई चिंता नहीं है.


"दावा के साथ कहता हूं कि नीतीश कुमार की जानकारी में कई घोटाले बिहार में हो रहे हैं, लेकिन उनके विधायक और उनके मंत्री ही इस पूरे मामले में शामिल हैं इसलिए वे कार्रवाई से बच रहे हैं. शराबबंदी के नाम पर चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी को शराब ढूंढने में लगा रहे हैं, लेकिन करोड़ों रुपए के घोटाले की उन्हें कोई चिंता नहीं है"- राजेश राठौड़, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस

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हालांकि सत्ताधारी बीजेपी ने इन तमाम आरोपों से इनकार किया है. अखिलेश कुमार सिंह ने दावा किया कि एनडीए सरकार जीरो टॉलरेंस वाली सरकार है. उन्होंने कहा कि हम क्राइम, करप्शन और कम्युनलिज्म से कोई समझौता नहीं कर सकते. जो लोग भी भ्रष्टाचार में शामिल हैं, उन्हें पूरी जांच के बाद जरूर सजा मिलेगी. बीजेपी नेता ने दावा किया कि बिना जांच के हम किसी को सजा कैसे दे सकते हैं. अगर कोई भ्रष्टाचार कर रहा है तो उस पर कार्रवाई करते हुए उसे पकड़ा भी जा रहा है.

"एनडीए सरकार जीरो टॉलरेंस वाली सरकार है हम क्राइम, करप्शन और कम्युनलिज्म (Crime, Corruption and Communism) से कोई समझौता नहीं कर सकते. जो लोग भी भ्रष्टाचार में शामिल हैं, उन्हें पूरी जांच के बाद जरूर सजा मिलेगी. अगर कोई भ्रष्टाचार कर रहा है तो उस पर कार्रवाई करते हुए उसे पकड़ा भी जा रहा है"- अखिलेश कुमार सिंह, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी

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