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CM के बयान पर विपक्ष का सवाल- क्या BJP ने बिहार में जातीय जनगणना के लिए दे दी परमिशन? - जातीय जनगणना पर बीजेपी

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट कर दिया है कि बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census in Bihar) होगी. हालांकि इससे पहले वे सभी दलों से विचार-विमर्श करेंगे और उसके बाद सर्वदलीय बैठक होगी. वहीं, सीएम के इस बयान के बाद विपक्ष ने सवाल खड़े किए हैं और पूछा है कि क्या जातीय जनगणना के लिए अपनी सहयोगी बीजेपी से मुख्यमंत्री ने अनुमति ली है? पढ़ें खास रिपोर्ट

जातीय जनगणना पर विपक्ष हमलावर
जातीय जनगणना पर विपक्ष हमलावर
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Published : Dec 7, 2021, 6:00 PM IST

पटना: बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census in Bihar) के मुद्दे को लेकर शीतकालीन सत्र के आखिरी 2 दिनों में जमकर बवाल हुआ था. विपक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की और सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग कर दी. जिस पर सीएम ने सहमति जता दी है. इसे लेकर आरजेडी ने दावा किया कि उनके नेता ने ही जातीय जनगणना कराने की पहल की है. हालांकि अब ये मुद्दा और गरमा गया है, क्योंकि नीतीश ने खुद यह कह दिया कि वे राज्यस्तरीय जनगणना कराने के लिए तैयार हैं और सभी पार्टियों से विचार विमर्श करने के बाद सर्वदलीय बैठक बुलाएंगे.

ये भी पढ़ें: जातीय जनगणना पर बोली कांग्रेस- बीजेपी का दोहरा चरित्र उजागर

मुख्यमंत्री के इस बयान को लेकर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं. प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने सवाल किया है कि क्या नीतीश कुमार अकेले यह निर्णय ले सकते हैं. उन्होंने पूछा कि क्या नीतीश कुमार ने अपनी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी से इसके लिए इजाजत ली है, क्योंकि बीजेपी के सहयोग से ही उनकी सरकार चल रही है. बिना बीजेपी की अनुमति के सीएम जातीय जनगणना नहीं करा सकते हैं.

देखें रिपोर्ट

"मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछना चाहूंगा कि क्या उन्होंने अपनी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी से इसके लिए इजाजत ली है, क्योंकि बीजेपी के सहयोग से ही उनकी सरकार चल रही है. बिना बीजेपी की इजाजत के नीतीश कुमार जी जातीय जनगणना नहीं करा सकते हैं"- राजेश राठौड़, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस

इधर, राष्ट्रीय जनता दल ने भी मुख्यमंत्री से सवाल पूछा है कि सीएम को यह बताना चाहिए कि क्या जातीय जनगणना कराने के उनके निर्णय में बीजेपी का समर्थन हासिल है या नहीं? प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि बिहार में सभी दलों की एकमत है कि जातीय जनगणना जरूरी है. उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना कराने की पहल नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने की है और उनके दबाव में ही मुख्यमंत्री ने यह बयान दिया है.

"सीएम को बताना चाहिए कि क्या जातीय जनगणना कराने के उनके निर्णय में बीजेपी का समर्थन हासिल है. जातीय जनगणना कराने की पहल नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने की है और उनके दबाव में ही मुख्यमंत्री ने यह बयान दिया है"- एजाज अहमद, प्रदेश प्रवक्ता, आरजेडी



उधर, जातीय जनगणना पर बीजेपी (BJP on Caste Census) ने सीधे-सीधे बोलने से इनकार किया है. प्रवक्ता संजय सिंह टाइगर ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने बयान से ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वह पहले सभी पार्टियों से संवाद करेंगे. उन्होंने कहा कि हम लोग जातीय जनगणना के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जातीय जनगणना कराने से पहले यह भी जानना जरूरी है कि जो आर्थिक और सामाजिक आधार पर सर्वेक्षण हुआ था, उसके आंकड़े सार्वजनिक क्यों नहीं हुए. परिस्थितियों के मुताबिक हम लोग इस पर फैसला करेंगे.

"मुख्यमंत्री अपने बयान से ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वह पहले सभी पार्टियों से संवाद करेंगे. हम लोग जातीय जनगणना के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जातीय जनगणना कराने से पहले यह भी जानना जरूरी है कि जो आर्थिक और सामाजिक आधार पर सर्वेक्षण हुआ था उसके आंकड़े सार्वजनिक क्यों नहीं हुए"- संजय टाइगर, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी

ये भी पढ़ें: जातीय जनगणना पर बोलीं लेसी सिंह- 'JDU शुरू से इसकी पक्षधर, क्रेडिट लेने की कोशिश में RJD'

बीजेपी के बयान से स्पष्ट है कि जातीय जनगणना के मुद्दे पर जेडीयू और बीजेपी में एक राय नहीं है. यही वजह है कि विपक्ष के नेता यह दावा कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर दोनों पार्टियों के बीच टकराव भी देखने को मिल सकता है. आपको याद दिलाएं कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह जातीय जनगणना कराने के पक्ष में नहीं है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया गया है कि राज्य अपने स्तर से जातीय जनगणना करा सकते हैं.अब ऐसे में केंद्र में बीजेपी के निर्णय से अलग होकर बिहार में फैसला करना प्रदेश बीजेपी के लिए भी आसान नहीं होगा.

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पटना: बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census in Bihar) के मुद्दे को लेकर शीतकालीन सत्र के आखिरी 2 दिनों में जमकर बवाल हुआ था. विपक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की और सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग कर दी. जिस पर सीएम ने सहमति जता दी है. इसे लेकर आरजेडी ने दावा किया कि उनके नेता ने ही जातीय जनगणना कराने की पहल की है. हालांकि अब ये मुद्दा और गरमा गया है, क्योंकि नीतीश ने खुद यह कह दिया कि वे राज्यस्तरीय जनगणना कराने के लिए तैयार हैं और सभी पार्टियों से विचार विमर्श करने के बाद सर्वदलीय बैठक बुलाएंगे.

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मुख्यमंत्री के इस बयान को लेकर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं. प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने सवाल किया है कि क्या नीतीश कुमार अकेले यह निर्णय ले सकते हैं. उन्होंने पूछा कि क्या नीतीश कुमार ने अपनी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी से इसके लिए इजाजत ली है, क्योंकि बीजेपी के सहयोग से ही उनकी सरकार चल रही है. बिना बीजेपी की अनुमति के सीएम जातीय जनगणना नहीं करा सकते हैं.

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"मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछना चाहूंगा कि क्या उन्होंने अपनी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी से इसके लिए इजाजत ली है, क्योंकि बीजेपी के सहयोग से ही उनकी सरकार चल रही है. बिना बीजेपी की इजाजत के नीतीश कुमार जी जातीय जनगणना नहीं करा सकते हैं"- राजेश राठौड़, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस

इधर, राष्ट्रीय जनता दल ने भी मुख्यमंत्री से सवाल पूछा है कि सीएम को यह बताना चाहिए कि क्या जातीय जनगणना कराने के उनके निर्णय में बीजेपी का समर्थन हासिल है या नहीं? प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि बिहार में सभी दलों की एकमत है कि जातीय जनगणना जरूरी है. उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना कराने की पहल नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने की है और उनके दबाव में ही मुख्यमंत्री ने यह बयान दिया है.

"सीएम को बताना चाहिए कि क्या जातीय जनगणना कराने के उनके निर्णय में बीजेपी का समर्थन हासिल है. जातीय जनगणना कराने की पहल नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने की है और उनके दबाव में ही मुख्यमंत्री ने यह बयान दिया है"- एजाज अहमद, प्रदेश प्रवक्ता, आरजेडी



उधर, जातीय जनगणना पर बीजेपी (BJP on Caste Census) ने सीधे-सीधे बोलने से इनकार किया है. प्रवक्ता संजय सिंह टाइगर ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने बयान से ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वह पहले सभी पार्टियों से संवाद करेंगे. उन्होंने कहा कि हम लोग जातीय जनगणना के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जातीय जनगणना कराने से पहले यह भी जानना जरूरी है कि जो आर्थिक और सामाजिक आधार पर सर्वेक्षण हुआ था, उसके आंकड़े सार्वजनिक क्यों नहीं हुए. परिस्थितियों के मुताबिक हम लोग इस पर फैसला करेंगे.

"मुख्यमंत्री अपने बयान से ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वह पहले सभी पार्टियों से संवाद करेंगे. हम लोग जातीय जनगणना के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जातीय जनगणना कराने से पहले यह भी जानना जरूरी है कि जो आर्थिक और सामाजिक आधार पर सर्वेक्षण हुआ था उसके आंकड़े सार्वजनिक क्यों नहीं हुए"- संजय टाइगर, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी

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बीजेपी के बयान से स्पष्ट है कि जातीय जनगणना के मुद्दे पर जेडीयू और बीजेपी में एक राय नहीं है. यही वजह है कि विपक्ष के नेता यह दावा कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर दोनों पार्टियों के बीच टकराव भी देखने को मिल सकता है. आपको याद दिलाएं कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह जातीय जनगणना कराने के पक्ष में नहीं है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया गया है कि राज्य अपने स्तर से जातीय जनगणना करा सकते हैं.अब ऐसे में केंद्र में बीजेपी के निर्णय से अलग होकर बिहार में फैसला करना प्रदेश बीजेपी के लिए भी आसान नहीं होगा.

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