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पंचायत चुनाव: मसौढ़ी के ग्रामीणों का फैसला, विकास के नाम पर ठगने वालों को नहीं देंगे वोट

पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) की तारीखों के ऐलान के साथ ही ग्रामीण इलाकों में चहल-पहल शुरू हो गई. संभावित उम्मीदवारों की ओर से दौरे भी तेज होने लगे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत संवाददाता ने मसौढ़ी में लोगों का नब्ज टटोलने की कोशिश की है. रिपोर्ट पढ़ें...

पंचायत चुनाव
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Published : Aug 23, 2021, 4:59 PM IST

पटना: बिहार में पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) का बिगुल बज चुका है. 24 अगस्त को इसकी अधिसूचना भी जारी हो जाएगी. ऐसे में मुखिया से लेकर तमाम पदों पर चुनाव लड़ने वाले दावेदार अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय हो गए हैं. मसौढ़ी में भी अभी से ही चुनावी माहौल बनने लगा है. वहीं मतदाता मन बना चुके हैं कि जिसने काम किया है, उसी को वोट देंगे.

ये भी पढ़ें: दलगत आधार पर नहीं होंगे पंचायत चुनाव, फिर भी अपनी 'जमीन' मजबूत करने में जुटी पार्टियां

ईटीवी भारत संवाददाता ने राजधानी पटना से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मसौढ़ी के भगवानगंज का दौरा किया और वहां के लोगों का मिजाज समझने की कोशिश की. ये वो क्षेत्र है, जो नक्सल प्रभावित रहा है. जिस वजह से यहां विकास के कार्य भी काफी हदतक बाधित रहा है.

देखें रिपोर्ट

यहां हमारे संवाददाता ने लोगों से पूछा कि क्या दावेदारों का यहां आना शुरू हो गया है, तो लोगों ने हां में जवाब दिया. साथ ही बताया कि पिछले चुनावों की तरह ही सभी विकास की बात करते हैं, लेकिन हमलोगों ने भी तय कर लिया है कि वोट उसी को देंगे, जो वास्तव में काम करेंगे.

ग्रामीणों ने कहा कि पिछले 5 सालों में जितनी उम्मीद थी, उतना विकास नहीं हो पाया है. जिस वजह से उन लोगों को काफी निराशा भी है. लिहाजा अभी तो मतदान की तारीख में काफी वक्त है, तबतक हम लोग हर तरह से आकलन करेंगे और उसी आधार पर फैसला लेंगे.

देवरिया गांव के एक ग्रामीण ने कहा कि यहां तो समस्याओं का अंबार है. खासकर गली-नाली की समस्या बरकरार है. बरसात में बहुत समस्या होती है. नल-जल का काम तो हुआ है, लेकिन पानी निकासी अब तक नहीं हो पाई है.

वहीं, एक महिला ने बताया कि गांव में नाली की बहुत ही समस्या है. जिस वजह से आने-जाने में काफी परेशानी होती है. नदी के तटबंध पर बसी इस पंचायत में बाढ़ के कारण हमें काफी दिक्कत होती है.

लोग साफ कहते हैं कि अभी हमने कुछ तय नहीं किया है. इस बार 5 साल में हुए कामकाज की समीक्षा करते हुए अपने नेता का चुनाव करेंगे. हालांकि कई लोग ऐसे भी मिले, जो ये तो मानते हैं कि पिछले 5 सालों में विकास के कई काम तो हुए हैं, लेकिन ये काफी नहीं है.

ये भी पढ़ें: बिहार में 24 सितंबर को पंचायत चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान, 24 अगस्त को जारी होगी अधिसूचना

आपको बताएं कि मसौढ़ी के भगवानगंज पंचायत में तकरीबन 13 गांव हैं. जिनमें 14 वार्ड हैं और कुल 6000 मतदाता हैं. यह पंचायत नदियों से घिरी हुई है. यहां पर बरसात के दिनों में कई तरीके की परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं.

बिहार में पंचायत चुनाव 11 चरणों में संपन्न कराए जाएंगे. 24 सितंबर को प्रथम चरण के लिए वोटिंग होगी. जबकि 29 सितंबर को दूसरे चरण के लिए मतदान होंगे. वहीं, 8 अक्टूबर को तीसरे, 20 अक्टूबर को चौथे, 24 अक्टूबर को पांचवें, 3 नवंबर को छठे, 15 नवंबर को सातवें, 24 नवंबर को आठवें, 29 नवंबर को नौवें और 8 दिसंबर को दसवें चरण की वोटिंग होगी. जबकि 12 दिसंबर को ग्यारहवें और अंतिम दौर के लिए वोट डाले जाएंगे. तकरीबन 2 लाख 90 हजार पदों के लिए पंचायत चुनाव होने हैं. जिनमें मुखिया, वार्ड सदस्य, जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, सरपंच और पंच के पदों पर प्रतिनिधियों का चुनाव होगा.

पटना: बिहार में पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) का बिगुल बज चुका है. 24 अगस्त को इसकी अधिसूचना भी जारी हो जाएगी. ऐसे में मुखिया से लेकर तमाम पदों पर चुनाव लड़ने वाले दावेदार अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय हो गए हैं. मसौढ़ी में भी अभी से ही चुनावी माहौल बनने लगा है. वहीं मतदाता मन बना चुके हैं कि जिसने काम किया है, उसी को वोट देंगे.

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ईटीवी भारत संवाददाता ने राजधानी पटना से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मसौढ़ी के भगवानगंज का दौरा किया और वहां के लोगों का मिजाज समझने की कोशिश की. ये वो क्षेत्र है, जो नक्सल प्रभावित रहा है. जिस वजह से यहां विकास के कार्य भी काफी हदतक बाधित रहा है.

देखें रिपोर्ट

यहां हमारे संवाददाता ने लोगों से पूछा कि क्या दावेदारों का यहां आना शुरू हो गया है, तो लोगों ने हां में जवाब दिया. साथ ही बताया कि पिछले चुनावों की तरह ही सभी विकास की बात करते हैं, लेकिन हमलोगों ने भी तय कर लिया है कि वोट उसी को देंगे, जो वास्तव में काम करेंगे.

ग्रामीणों ने कहा कि पिछले 5 सालों में जितनी उम्मीद थी, उतना विकास नहीं हो पाया है. जिस वजह से उन लोगों को काफी निराशा भी है. लिहाजा अभी तो मतदान की तारीख में काफी वक्त है, तबतक हम लोग हर तरह से आकलन करेंगे और उसी आधार पर फैसला लेंगे.

देवरिया गांव के एक ग्रामीण ने कहा कि यहां तो समस्याओं का अंबार है. खासकर गली-नाली की समस्या बरकरार है. बरसात में बहुत समस्या होती है. नल-जल का काम तो हुआ है, लेकिन पानी निकासी अब तक नहीं हो पाई है.

वहीं, एक महिला ने बताया कि गांव में नाली की बहुत ही समस्या है. जिस वजह से आने-जाने में काफी परेशानी होती है. नदी के तटबंध पर बसी इस पंचायत में बाढ़ के कारण हमें काफी दिक्कत होती है.

लोग साफ कहते हैं कि अभी हमने कुछ तय नहीं किया है. इस बार 5 साल में हुए कामकाज की समीक्षा करते हुए अपने नेता का चुनाव करेंगे. हालांकि कई लोग ऐसे भी मिले, जो ये तो मानते हैं कि पिछले 5 सालों में विकास के कई काम तो हुए हैं, लेकिन ये काफी नहीं है.

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आपको बताएं कि मसौढ़ी के भगवानगंज पंचायत में तकरीबन 13 गांव हैं. जिनमें 14 वार्ड हैं और कुल 6000 मतदाता हैं. यह पंचायत नदियों से घिरी हुई है. यहां पर बरसात के दिनों में कई तरीके की परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं.

बिहार में पंचायत चुनाव 11 चरणों में संपन्न कराए जाएंगे. 24 सितंबर को प्रथम चरण के लिए वोटिंग होगी. जबकि 29 सितंबर को दूसरे चरण के लिए मतदान होंगे. वहीं, 8 अक्टूबर को तीसरे, 20 अक्टूबर को चौथे, 24 अक्टूबर को पांचवें, 3 नवंबर को छठे, 15 नवंबर को सातवें, 24 नवंबर को आठवें, 29 नवंबर को नौवें और 8 दिसंबर को दसवें चरण की वोटिंग होगी. जबकि 12 दिसंबर को ग्यारहवें और अंतिम दौर के लिए वोट डाले जाएंगे. तकरीबन 2 लाख 90 हजार पदों के लिए पंचायत चुनाव होने हैं. जिनमें मुखिया, वार्ड सदस्य, जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, सरपंच और पंच के पदों पर प्रतिनिधियों का चुनाव होगा.

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