पटना: बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे हैं. दिल्ली के तीन दिनों के दौरे पर उन्होंने विपक्षी दलों के कई बड़े नेताओं से मुलाकात की. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ भी बातचीत की है और इस बार चाहते हैं कि हर हाल में कांग्रेस के साथ ही विपक्ष का गठबंधन तैयार हो. राजनीतिक विशेषज्ञ तो यहां तक कहते हैं कि राष्ट्रीय स्तर के साथ नीतीश कुमार बिहार में भी कांग्रेस के माध्यम से अपनी मंशा को पूरा करना चाहते हैं. आरजेडी बड़ी पार्टी है तो उस पर मनोवैज्ञानिक दबाव कांग्रेस के माध्यम से ही वो बना सकते हैं.
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नीतीश कुमार का एक तीर से दो निशाना : सीएम नीतीश कुमार तीन दिनों तक 10 विपक्षी दल के नेताओं से मुलाकात की. जिसमें राहुल गांधी भी शामिल हैं और यह भी कहा है कि जल्द ही सोनिया गांधी से दिल्ली आकर मिलूंगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार थर्ड फ्रंट नहीं मेन फ्रंट बनाना चाहते हैं और उसमें कांग्रेस को हर हाल में शामिल करना चाहते हैं. जबकि उन्हें पता है कई क्षेत्रीय दल कांग्रेस के नाम पर तैयार नहीं होंगे. राजनीतिक विशेषज्ञ प्रो अजय झा का कहना है कि पावरफुल अपोजिशन के लिए कांग्रेस को साधना जरूरी है.
'कांग्रेस को साथ लेकर चलना जरूरी है, यह नीतीश कुमार को पता है. साथ ही राज्य में भी कांग्रेस यदि मजबूती के साथ नीतीश कुमार के साथ होगी तो आरजेडी जैसी पार्टी पर मनोवैज्ञानिक दबाव वो डाल सकते हैं.' - प्रो अजय झा, राजनीति विशेषज्ञ
'कांग्रेस लोकतांत्रिक पार्टी है और बिहार में हमारी सहयोगी पार्टी भी है. ऐसे में जब हम देश में विपक्ष को एकजुट करने की बात कर रहे हैं तो कांग्रेस जैसी पार्टी को इग्नोर कैसे किया जा सकता है.' -
परिमल कुमार, प्रवक्ता जदयू
'सीएम नीतीश कुमार कमजोर आदमी हैं. उन्हें पता है कि थर्ड फ्रंट उन्हें स्वीकार नहीं करेगा इसलिए कांग्रेस को साधना चाहते हैं. लेकिन उनकी कोई मंशा सफल नहीं होने वाली है.' - प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता बीजेपी
'सीएम नीतीश कुमार की मंशा पर कहना है कि विपक्षी एकता के बड़े आर्किटेक्ट लालू प्रसाद यादव से जब नीतीश कुमार मिलकर, दिल्ली गए तब जाकर माहौल बना है. कांग्रेस तो हमारी सहयोगी पार्टी है. कोई कंफ्यूजन की बात नहीं है.' - मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता आरजेडी
नीतीश कुमार बिहार में कांग्रेस का चाहते हैं साथ : कांग्रेस को लेकर पहले से नीतीश कुमार रणनीति बनाते रहे हैं. 2015 में भी महागठबंधन का निर्माण किए तो आरजेडी के विरोध के बावजूद 40 से अधिक कांग्रेस को विधानसभा सीट दिलाया था. जिसमें से 27 सीट कांग्रेस जीती थी. इधर आरजेडी और कांग्रेस के बीच कई महीनों से संबंध बेहतर नहीं थे. बिहार में विधानसभा के उपचुनाव हुए और विधान परिषद के चुनाव हुए थे, उसमें आरजेडी ने कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी थी. कांग्रेस एक तरह से महागठबंधन से बाहर हो गई थी. लेकिन इस बार महागठबंधन की सरकार में नीतीश कुमार के दबाव में ही कांग्रेस को शामिल किया गया और दो मंत्री फिलहाल बनाया गया है.
'बिहार सरकार में कांग्रेस के दो मंत्री हैं' : चर्चा तो ये भी थी कि नीतीश कांग्रेस कोटे से डिप्टी सीएम बनाना चाहते थे लेकिन उसके लिए तेजस्वी तैयार नहीं हुए. बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव भी होना है, उसकी भी जदयू तैयारी कर रही है. नीतीश कुमार 2025 बिहार विधानसभा चुनाव के लिए तैयार रहना चाहते हैं. लेकिन उससे पहले 2024 लोकसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नीतीश विपक्ष को एकजुट करने का अभियान शुरू किए हैं. वो चाहते भी हैं कि हर हाल में कांग्रेस इस अभियान में शामिल हो. इसीलिए तेलंगाना के मुख्यमंत्री के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया. वो कांग्रेस के साथ बनने वाली गठबंधन में शामिल होने की बात कही है. नीतीश एक तरफ राष्ट्रीय स्तर पर तो दूसरी तरफ बिहार में भी अपने लिए कांग्रेस के माध्यम से गठबंधन में स्थिति मजबूत बना कर रखना चाहते हैं.