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पॉलिटिकल से पर्सनल हुए नीतीश कुमार! - तेजस्वी पर नीतीश का बयान

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बेहद साफ छवी वाला माना जाता है. नीतीश कुमार अपनी लंबी राजनीतिक जीवन में हमेशा व्यक्तिगत हमले करने से बचते रहे हैं. लेकिन इस बाहर वे बदले-बदले से लग रहे हैं. नीतीश तेजस्वी पर लगातार निजी हमले कर रहे हैं. ताजा मामला बेगूसराय का है जहां उन्होंने तजेस्वी पर तल्ख और निजी हमला किया है.

Nitish Kumar doing personal attack on Tejashwi
नीतीश कुमार
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Published : Oct 24, 2020, 10:45 PM IST

पटना: नीतीश कुमार एक ऐसे राजनेता है जो बेहद कम किसी पर पर्सनल अटैक करते हैं. लेकिन इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार तेजस्वी यादव पर निजी हमले कर रहे हैं. उनकी भाषा को सुनकर अब तो लोग ये तक कहने लगे हैं कि नीतीश हताश हो गए हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार तेजस्वी पर व्यक्तिगत हमले कर रहे हैं. बेगूसराय में एक बार फिर उन्होंने तेजस्वी यादव पर व्यक्तिगत हमला किया. अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिना किसी का नाम लिए कहा 'और लोगों को मौका मिला था तो एक स्कूल बनाया था? अगर पढ़ना चाहते हो तो अपने बाप से पूछो, अपने मां से पूछो कहीं स्कूल था? कहीं स्कूल बन रहा था? कहीं कोई कॉलेज बना था? जरा पूछ लो.' नीतीश यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा 'राज करने का मौका मिला तो राज करके ग्रहण करते रहे और अंदर चले गए तो पत्नी को बैठा दिया गद्दी पर. यही सब तो चल रहा था.'

पिछली कई रैलियों में कर चुके हैं लालू परिवार पर वार

नीतीश ने पिछले तीन दिन की अपनी रैलियों में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर खुले तौर पर निशाना साधा है. इसे पहले भी उन्होंने तजेस्वी पर निजी हमला करते हुए पूछा था कि वे दिल्ली में किसके घर में रुकते हैं ये सबको बताना चाहिए. यही नहीं उन्होंने सारण के परसा में तेज प्रताप यादव की पत्नी ऐश्वर्या राय का मुद्दा उठाकर एक और व्यक्तिगत हमला किया.

ऐश्वर्या राय का मुद्दा भी उठाया

यहां लालू यादव जिंदाबाद के नारे लगे तो नीतीश नाराज हो गए. इसके बाद उन्होंने ये भी बताया कि कैसे राबड़ी देवी और उनके परिवार ने ऐश्वर्या के साथ दुर्व्यवहार किया. इसके दिन मुजफ्फरपुर में चुनावी सभा के दौरान नीतीश कुमार ने पति-पत्नी की सरकार कह कर 1997 की घटना का जिक्र किया. दरअसल, उस वक्त लालू यादव को चारा घोटाला मामले में गिरफ्तार किया गया था और राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया गया.

15 साल पीछे की बात क्यों कर रहे नीतीश?

जानकार बताते हैं कि नीतीश कुमार को पता है कि ये उनका आखिरी शॉट है. उन्हें पता है कि अगर इस बार वह चूक गए तो वापसी मुश्किल है. उन्हें पता है कि इस बार का जंग आसान नहीं है. सबसे बड़ा सवाल है कि लगभग 15 साल तक प्रदेश की कमान संभालने वाले नीतीश अतीत की खोदाई क्यों कर रहे हैं? शायद इस सवाल का जवाब नीतीश से बेहतर कोई नहीं बता सकता है.

  • शिवहर में उम्मीदवार श्रीनारायण सिंह की गोली मारकर हत्या
    * जनता दल राष्ट्रवादी प्रत्याशी की हत्या.
    *चुनाव प्रचार के दौरान हत्या

    *1 कार्यकर्ता की मौत, 1 घायल

    *3 आरोपी गिरफ्तार
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नीतीश के पास नहीं है चिराग और तेजस्वी की काट!

दरअसल, बिहार चुनाव में सियासी खेल चल रहा है. एनडीए का हिस्सा रही एलजेपी का अलग होना, इसके बावजूद बीजेपी से चिराग पासवान का एकतरफा प्रेम का इजहार करना, साथ ही तेजस्वी यादव का नीतीश पर सीधा सियासी प्रहार करना और पीएम मोदी की अनदेखी करना. जरूर ये सियासी खेल है, जिसका काट फिलहाल नीतीश के पास नहीं है.

चिराग पैदा कर रहे भ्रम

चिराग का बीजेपी से एकतरफा प्रेम नीतीश कुमार को भ्रम पैदा कर रहा है. हालांकि नीतीश कुमार जानते हैं कि चुनाव जीतने के लिए सहयोगियों का समर्थन और वोटों की जरूरत है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. दरअसल, इस बार जेडीयू को 77 सीटों पर आरजेडी से सीधी टक्कर है.

चिराग ने बढ़ाई नीतीश की मुश्किल

इधर, चिराग ने भी इन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. ऐसे में नीतीश कुमार को बड़ी समस्या उन सीटों पर नजर आ रही जहां एनडीए के उम्मीदवार ही जेडीयू के खिलाफ दावेदारी कर रहे हैं. दरअसल, चिराग पासवान ने इन सीटों पर उन लोगों को उम्मीदवार बनाया है, जिन्हे किसी कारणवश उन्हें बीजेपी या जेडीयू से टिकट नहीं मिला, एलजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बनाकर नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ा दी है.

  • मैंने कभी नहीं कहा शराबबंदी में देंगे छूट, कानून से गरीबों को हो रही परेशानी करेंगे दूर- शक्ति सिंह गोहिल @shaktisinhgohil @BiharCongress1https://t.co/2NphUAijYs

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तेजस्वी-चिराग ने बिगाड़ा नीतीश की सियासी रणनीति?

अब तक विकास की मुद्दे पर चुनाव लड़ने वाले नीतीश कुमार इस बार बैकफुट पर हैं. ऊपर से चिराग और तेजस्वी का दोहरा हमला उनकी सियासी रणनीति को ही बिगाड़ दिया है. बेरोजगारी के मुद्दे पर नीतीश के पास कोई जवाब नहीं है. सभी तथ्यों का जनने के बाद भी तेजस्वी और चिराग के सियासी 'खेल' में नीतीश कुमार फंस गए हैं. यही कारण है कि नीतीश 15 साल बाद भी 15 साल पीछे की बात कर रहे हैं और लालू यादव के तथाकथित 'जंगलराज' के बारे में नई पीढ़ी को बताने की अपील कर रहे हैं.

पटना: नीतीश कुमार एक ऐसे राजनेता है जो बेहद कम किसी पर पर्सनल अटैक करते हैं. लेकिन इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार तेजस्वी यादव पर निजी हमले कर रहे हैं. उनकी भाषा को सुनकर अब तो लोग ये तक कहने लगे हैं कि नीतीश हताश हो गए हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार तेजस्वी पर व्यक्तिगत हमले कर रहे हैं. बेगूसराय में एक बार फिर उन्होंने तेजस्वी यादव पर व्यक्तिगत हमला किया. अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिना किसी का नाम लिए कहा 'और लोगों को मौका मिला था तो एक स्कूल बनाया था? अगर पढ़ना चाहते हो तो अपने बाप से पूछो, अपने मां से पूछो कहीं स्कूल था? कहीं स्कूल बन रहा था? कहीं कोई कॉलेज बना था? जरा पूछ लो.' नीतीश यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा 'राज करने का मौका मिला तो राज करके ग्रहण करते रहे और अंदर चले गए तो पत्नी को बैठा दिया गद्दी पर. यही सब तो चल रहा था.'

पिछली कई रैलियों में कर चुके हैं लालू परिवार पर वार

नीतीश ने पिछले तीन दिन की अपनी रैलियों में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर खुले तौर पर निशाना साधा है. इसे पहले भी उन्होंने तजेस्वी पर निजी हमला करते हुए पूछा था कि वे दिल्ली में किसके घर में रुकते हैं ये सबको बताना चाहिए. यही नहीं उन्होंने सारण के परसा में तेज प्रताप यादव की पत्नी ऐश्वर्या राय का मुद्दा उठाकर एक और व्यक्तिगत हमला किया.

ऐश्वर्या राय का मुद्दा भी उठाया

यहां लालू यादव जिंदाबाद के नारे लगे तो नीतीश नाराज हो गए. इसके बाद उन्होंने ये भी बताया कि कैसे राबड़ी देवी और उनके परिवार ने ऐश्वर्या के साथ दुर्व्यवहार किया. इसके दिन मुजफ्फरपुर में चुनावी सभा के दौरान नीतीश कुमार ने पति-पत्नी की सरकार कह कर 1997 की घटना का जिक्र किया. दरअसल, उस वक्त लालू यादव को चारा घोटाला मामले में गिरफ्तार किया गया था और राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया गया.

15 साल पीछे की बात क्यों कर रहे नीतीश?

जानकार बताते हैं कि नीतीश कुमार को पता है कि ये उनका आखिरी शॉट है. उन्हें पता है कि अगर इस बार वह चूक गए तो वापसी मुश्किल है. उन्हें पता है कि इस बार का जंग आसान नहीं है. सबसे बड़ा सवाल है कि लगभग 15 साल तक प्रदेश की कमान संभालने वाले नीतीश अतीत की खोदाई क्यों कर रहे हैं? शायद इस सवाल का जवाब नीतीश से बेहतर कोई नहीं बता सकता है.

  • शिवहर में उम्मीदवार श्रीनारायण सिंह की गोली मारकर हत्या
    * जनता दल राष्ट्रवादी प्रत्याशी की हत्या.
    *चुनाव प्रचार के दौरान हत्या

    *1 कार्यकर्ता की मौत, 1 घायल

    *3 आरोपी गिरफ्तार
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नीतीश के पास नहीं है चिराग और तेजस्वी की काट!

दरअसल, बिहार चुनाव में सियासी खेल चल रहा है. एनडीए का हिस्सा रही एलजेपी का अलग होना, इसके बावजूद बीजेपी से चिराग पासवान का एकतरफा प्रेम का इजहार करना, साथ ही तेजस्वी यादव का नीतीश पर सीधा सियासी प्रहार करना और पीएम मोदी की अनदेखी करना. जरूर ये सियासी खेल है, जिसका काट फिलहाल नीतीश के पास नहीं है.

चिराग पैदा कर रहे भ्रम

चिराग का बीजेपी से एकतरफा प्रेम नीतीश कुमार को भ्रम पैदा कर रहा है. हालांकि नीतीश कुमार जानते हैं कि चुनाव जीतने के लिए सहयोगियों का समर्थन और वोटों की जरूरत है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. दरअसल, इस बार जेडीयू को 77 सीटों पर आरजेडी से सीधी टक्कर है.

चिराग ने बढ़ाई नीतीश की मुश्किल

इधर, चिराग ने भी इन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. ऐसे में नीतीश कुमार को बड़ी समस्या उन सीटों पर नजर आ रही जहां एनडीए के उम्मीदवार ही जेडीयू के खिलाफ दावेदारी कर रहे हैं. दरअसल, चिराग पासवान ने इन सीटों पर उन लोगों को उम्मीदवार बनाया है, जिन्हे किसी कारणवश उन्हें बीजेपी या जेडीयू से टिकट नहीं मिला, एलजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बनाकर नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ा दी है.

  • मैंने कभी नहीं कहा शराबबंदी में देंगे छूट, कानून से गरीबों को हो रही परेशानी करेंगे दूर- शक्ति सिंह गोहिल @shaktisinhgohil @BiharCongress1https://t.co/2NphUAijYs

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तेजस्वी-चिराग ने बिगाड़ा नीतीश की सियासी रणनीति?

अब तक विकास की मुद्दे पर चुनाव लड़ने वाले नीतीश कुमार इस बार बैकफुट पर हैं. ऊपर से चिराग और तेजस्वी का दोहरा हमला उनकी सियासी रणनीति को ही बिगाड़ दिया है. बेरोजगारी के मुद्दे पर नीतीश के पास कोई जवाब नहीं है. सभी तथ्यों का जनने के बाद भी तेजस्वी और चिराग के सियासी 'खेल' में नीतीश कुमार फंस गए हैं. यही कारण है कि नीतीश 15 साल बाद भी 15 साल पीछे की बात कर रहे हैं और लालू यादव के तथाकथित 'जंगलराज' के बारे में नई पीढ़ी को बताने की अपील कर रहे हैं.

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