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बिहार के 3 IAS डकार गए महादलितों के करोड़ों रुपए, मुकदमा चलाने के लिए केंद्र से मांगी गयी अनुमति

3 आईएएस अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार (FIR Against Bihar IAS) के मामले में केस चलाने के लिए बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से अनुमति मांगी है. निगरानी विभाग ने इस मामले को लेकर पूर्व में इन तीनों आईएएस अधिकारियों समेत 10 आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Mar 15, 2022, 9:18 AM IST

पटना: भ्रष्टाचार को लेकर बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की सरकार जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी पर चल रही है. जिन अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, उन सभी पर कार्रवाई हुई है. लगातार हो भी रही है. भ्रष्टाचार के मामले में कई बड़े अफसरों पर भी कार्रवाई हुई है. बीएसएससी पेपर लीक (BPSC Paper Leak) कांड हो या अवैध बालू उत्खनन (illegal sand mining), सभी में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है.

हाल ही में बालू के अवैध खनन के मामले को लेकर राज्य के दो आईपीएस अफसरों और बिहार पुलिस के साथ ही प्रशासनिक सेवा संवर्ग के कई अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हुई है. एक आईएएस अफसर को हाल के दिनों में विवाद में आने के बाद कैडर तक बदलना पड़ा. इसी कड़ी में अब आगे एक और बड़ा मामला सामने आ गया है. बिहार सरकार भ्रष्टाचार के आरोप में तीन आईएएस अफसरों पर मुकदमा चलाने की तैयारी में जुट गई है.

ये भी पढ़ें: छपरा के JE शंभूनाथ सिंह के ठिकानों पर छापेमारी, सोने चांदी के साथ मिली करोड़ों की जमीन

बिहार महादलित विकास मिशन प्रशिक्षण (Bihar mahadalit fund scam) के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ था. इस घोटाले में तीन आईएएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से अनुमति मांगी है. इसके लिए भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने विशेष न्यायाधीश की अदालत में सोमवार को एक पत्र दाखिल किया. इस मामले में तीन आईएएस अधिकारियों- केपी रमैया, एसएम राजू और रामाशीष पासवान के नाम शामिल हैं. इस मामले में निगरानी द्वारा 30 अक्टूबर 2017 को मामला दर्ज किया गया था.

ये भी पढ़ें: घूसखोर ASI चढ़ा निगरानी विभाग के हत्थे, एक लाख रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार

अनुसंधान के दौरान निगरानी विभाग ने पाया कि बिहार महादलित विकास मिशन के तहत उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए महादलित छात्रों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गई थी लेकिन उसमें बड़े पैमाने पर अनियमितता बरतते हुए आरोपियों ने करोड़ों रुपए का गबन किया गया था. इस मामले को लेकर निगरानी विभाग ने पूर्व में इन तीनों आईएएस अधिकारियों समेत 10 आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया है. आरोप पत्र के अलावा अभियोजन चलाने के लिए स्वीकृति पत्र नहीं लिया गया था.

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पटना: भ्रष्टाचार को लेकर बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की सरकार जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी पर चल रही है. जिन अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, उन सभी पर कार्रवाई हुई है. लगातार हो भी रही है. भ्रष्टाचार के मामले में कई बड़े अफसरों पर भी कार्रवाई हुई है. बीएसएससी पेपर लीक (BPSC Paper Leak) कांड हो या अवैध बालू उत्खनन (illegal sand mining), सभी में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है.

हाल ही में बालू के अवैध खनन के मामले को लेकर राज्य के दो आईपीएस अफसरों और बिहार पुलिस के साथ ही प्रशासनिक सेवा संवर्ग के कई अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हुई है. एक आईएएस अफसर को हाल के दिनों में विवाद में आने के बाद कैडर तक बदलना पड़ा. इसी कड़ी में अब आगे एक और बड़ा मामला सामने आ गया है. बिहार सरकार भ्रष्टाचार के आरोप में तीन आईएएस अफसरों पर मुकदमा चलाने की तैयारी में जुट गई है.

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बिहार महादलित विकास मिशन प्रशिक्षण (Bihar mahadalit fund scam) के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ था. इस घोटाले में तीन आईएएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से अनुमति मांगी है. इसके लिए भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने विशेष न्यायाधीश की अदालत में सोमवार को एक पत्र दाखिल किया. इस मामले में तीन आईएएस अधिकारियों- केपी रमैया, एसएम राजू और रामाशीष पासवान के नाम शामिल हैं. इस मामले में निगरानी द्वारा 30 अक्टूबर 2017 को मामला दर्ज किया गया था.

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अनुसंधान के दौरान निगरानी विभाग ने पाया कि बिहार महादलित विकास मिशन के तहत उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए महादलित छात्रों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गई थी लेकिन उसमें बड़े पैमाने पर अनियमितता बरतते हुए आरोपियों ने करोड़ों रुपए का गबन किया गया था. इस मामले को लेकर निगरानी विभाग ने पूर्व में इन तीनों आईएएस अधिकारियों समेत 10 आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया है. आरोप पत्र के अलावा अभियोजन चलाने के लिए स्वीकृति पत्र नहीं लिया गया था.

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