पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विरोधी दलों के दिग्गज नेताओं के बेटों के चहेते नेता बने हुए हैं. रघुवंश प्रसाद सिंह के पुत्र पहले ही जदयू में शामिल हो चुके हैं. अभी हाल ही में सदानंद सिंह के पुत्र शुभानंद मुकेश (Sadanand Singh Son Subhanand Mukesh) जदयू में शामिल हुए हैं. विधानसभा उपचुनाव से ठीक पहले शकुनी चौधरी के बेटे ने भी नीतीश कुमार के विकास में आस्था व्यक्त करते हुए जदयू ज्वाइन किया था. यही नहीं अभी भी नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी करने वाले नरेंद्र सिंह के बेटे सुमित कुमार सिंह मंत्रिमंडल में (Narendra Singh Son Sumit Kumar Singh) शामिल हैं. वे कहते हैं कि, बिहार के युवा नीतीश कुमार में ही राज्य का भविष्य देख रहे हैं.
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RJD के दिग्गज नेता रहे रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन के बाद उनके पुत्र सत्य प्रकाश जदयू में शामिल हो गए तो वहीं सदानंद सिंह कांग्रेस के दिग्गज नेता थे. सदानंद सिंह के निधन के बाद उनके बेटे शुभानंद मुकेश भी नीतीश कुमार के विकास में विश्वास जताते हुए जदयू में शामिल हो गए हैं. नीतीश कुमार के खिलाफ बयान देने वाले दिग्गज शकुनी चौधरी के बेटे ने भी उपचुनाव से ठीक पहले जदयू का दामन थाम लिया था.
विधानसभा चुनाव में अली अशरफ फातमी के बेटे फराज फातमी ने भी नीतीश कुमार में ही विश्वास जताया था और जदयू में शामिल हुए थे. विरोधी दलों के ऐसे कई दिग्गज नेता हैं जिनके पुत्र के चहेते नीतीश बने हुए हैं. सदानंद सिंह के पुत्र शुभानंद मुकेश का कहना है कि नीतीश कुमार ने राज्य में विकास किया है. उसी विकास को लेकर हमने जदयू में शामिल होने का फैसला लिया है. विकास की जो राजनीत करेंगे उन्हीं के साथ हम जुड़ेंगे.
पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के बेटे सुमित सिंह कहते हैं कि, यहां के युवा नीतीश कुमार में राज्य का भविष्य देख रहे हैं. नीतीश कुमार की बृहद सोच हैं. बिहार के भविष्य के बार में सोचते हैं. सूबे की अच्छाई के बारे में सोचते हैं. जिस वजह से युवा इनसे जुड़ते जा रहे हैं. फिलहाल जो बिहार में राजनीति चल रही है, उसमें नीतीश कुमार से अच्छा कोई नेता मौजूद नहीं है.
इस मुद्दे पर कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि, रघुवंश बाबू के पुत्र सत्य प्रकाश ना तो एमएलए बने ना हीं एमएलसी बने. वही हाल सदानंद सिंह के पुत्र शुभानंद मुकेश का भी होने वाला है. शुभानंद मुकेश कहलगांव विधानसभा सीट पर दावेदारी करते हैं लेकिन वहां से बीजेपी के विधायक हैं. ऐसे में मान लिया जाए कि जदयू-बीजेपी से अलग होने वाली है तभी यह सीट मिलेगी.
वहीं, आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने 'सुशासन बाबू' पर निशाना साधते हुए कहा कि, जो लोग इस्तेमाल हो चुके हैं उन्हें पता है कि नीतीश कुमार क्या चीज हैं. लेकिन तेजस्वी यादव जो भी वादा करते हैं उसे पूरा करते रहे हैं. ऐसे में तेजस्वी यादव के साथ जो लोग जुड़ते हैं वे अलग नहीं होते हैं. लेकिन नीतीश कुमार के साथ जो भी जुड़ते हैं वे कुछ दिनों बाद अलग हो जाते हैं.
राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर अजय झा ने कहा कि, बिहार में राजनीति में एक नई बात देखने को मिली है, जिसमें नीतीश कुमार अभी बिहार में करिश्माई नेता बने हुए हैं. जिस वजह से विपक्षी दलों के बड़े नेताओं के बेटे धीरे-धीरे जदयू में शामिल हो रहे हैं. इसके कई सियासी मायने हैं.
'नीतीश कुमार ने युवाओं के लिए सबसे ज्यादा काम किया है. अभी भी युवाओं को रोजगार भत्ता, स्टूडेंट क्रेडिट समेत कई योजनाओं का लाभ मिल रहा है. ऐसे में युवा पीढ़ी को अभी लगता है कि नीतीश कुमार ही सूबे का विकास कर सकते हैं. यह एक बड़ा कारण हो सकता है उनके साथ जुड़ने का है.' :- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विश्लेषक
दरअसल, अभी भी विपक्षी दलों में ही नीतीश कुमार की लोकप्रियता है. जिस वजह से नीतीश कुमार के खिलाफ विरोधी दल के अधिकांश नेता खुलकर बोलने से ही बचते हैं. नीतीश कुमार पिछले 16 साल से बिहार के सत्ता शीर्ष पर हैं. 15 साल मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इन 15-16 सालों में नीतीश कुमार के विकास में विश्वास करते हुए कई नेता जदयू में शामिल हो चुके हैं. राजनीतिक जानकार यह भी कहते हैं कि नीतीश सत्ता में हैं इसलिए विरोधी दल के दिग्गज नेता पुत्रों को लगता है कि सत्ता में उनकी भागीदारी होगी और इसलिए भी नीतीश के साथ जुड़ना चाहते हैं.
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