पटना: प्रदेश में इस बार भीषण गर्मी पड़ रही है. इस वजह से लोगों में मानसून को लेकर के काफी उत्सुकता है. इस बार मानसून (Monsoon in Bihar) कैसा होगा, समय पर मानसून आएगा या नहीं, इस प्रकार के सवाल लोगों के मन में हैं. ऐसे में इन सवालों पर मौसम विभाग का कहना है कि इस बार मौसम काफी सही चल रहा है. इस बार मानसून समय पर आने की पूरे आसार (Monsoon expected to arrive on time in Bihar) हैं. बिहार में मानसून 15 जून को आता है. ऐसे में एक-दो दिन आगे पीछे हो सकता है लेकिन इस बार बारिश अच्छी होगी. पिछली बार प्रदेश में 13 जून को मानसून आया था. जून के महीने में यास चक्रवात (Cyclone Yaas) की वजह से सामान्य से काफी अधिक बारिश दर्ज की गई थी.
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मानसून के समय पिछले साल का बारिश का रिकॉर्ड
माह | वास्तविक | सामान्य |
जून | 354.3 एमएम | 167.7 एमएम |
जुलाई | 258.3 एमएम | 349 एमएम |
अगस्त | 328 एमएम | 285.2 एमएम |
सितंबर | 103 एमएम | 215.3 एमएम |
सामान्य से अधिक होगा मानसून: पटना मौसम विज्ञान केंद्र (Patna Meteorological Center) से मिली जानकारी के मुताबिक पिछली बार प्रदेश में मानसून 1044.5 मिलीमीटर दर्ज की गई थी जो सामान्य से 3% अधिक थी. बिहार में जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर के महीने को मानसून का महीना कहा जाता है. इस अवधि में 1017.2 मिली मीटर बारिश को नॉर्मल माना जाता है. मानसून के लिहाज से इतनी बारिश सामान्य है. इससे कम होता है तो कम मानसून और अधिक होता है तो अधिक मानसून दर्ज किया जाता है. मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से जानकारी दी गई कि इस बार देशभर में मानसून सामान्य और सामान्य से अधिक होने के पूरे आसार दिख रहे हैं.
प्रशांत महासागर क्षेत्र में लानीना की स्थिति: इसकी प्रमुख वजह वर्तमान में भूमध्यीय रेखा प्रशांत महासागर क्षेत्र में लानीना की स्थिति (La Nia status in the Pacific Ocean) बनी हुई है. यह स्थिति मानसून तक जारी रहने की प्रबल संभावना है. यह स्थिति मानसून के लिहाज से बेहतर स्थिति मानी जाती है. मौसम विज्ञान केंद्र की मानें तो लानीना वह कंडीशन है, जिसमें प्रशांत महासागर क्षेत्र में समुद्र का पानी वातावरण के दबाव के कारण गर्म हो जाता है और ऐसे में वहां से तैयार होकर हवा बेहतर मानसून की स्थिति तैयार करती है. लानीना का कंडीशन देश में मानसून शुरू होने के बाद से कम होना शुरू होगा और आधे समय के बाद से यदि कम होना शुरू होता है तो बारिश सामान्य से अधिक हो जाएगी.
मौसम विज्ञान केंद्र की मानें तो एक और कंडीशन होता है अलनीनो. इस कंडीशन में प्रशांत महासागर क्षेत्र में सागर का पानी ठंडा रहता है और ऐसे में यह स्थिति मानसून के लिहाज से बेहद खराब मानी जाती है. ऐसी स्थिति में मानसून के समय सामान्य से काफी कम बारिश होती है. मानसून शुरू होने के बाद इस बार प्रशांत महासागर क्षेत्र में लानीना का कंडीशन अलनीनो में बदलना शुरू होगा.
मानसून के दौरान 99% वर्षापात की संभावना: भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से जानकारी प्राप्त हुई है उसके मुताबिक इस बार देशभर में मानसून के दौरान 99% वर्षापात होने की संभावना है. बीते 50 वर्षों के डाटा के आधार पर मानसून अवधि के दौरान सामान्य बारिश का मानक तय किया जाता है. अब जो नया मानक तय किया गया है, वह लगभग 1.2 सेंटीमीटर घट गया है. इसके पूर्व तक 1961 से 2010 के डाटा के आधार पर जो मानसून अवधि के दौरान सामान्य बारिश का मानक 880.6 मिली मीटर था.
अब 1971 से 2020 के डाटा के आधार पर 868.6 मिलीमीटर हो गया है. पिछले वर्ष देशभर में 103% मानसून अवधि के दौरान बारिश हुई थी. इस बार जो फॉरकास्ट है, वह 99% वर्षापात का है. पूर्वानुमान से 5% कम और 5% अधिक तक को सामान्य माना जाता है. मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो इस बार प्रशांत महासागर क्षेत्र में जो कुछ स्थिति बनी हुई है, वह मानसून के लिहाज से बेहतर है. इस बार अच्छी बारिश होने के पूरे आसार हैं.
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