ETV Bharat / city

बिहार में फिर से मंडराने लगा है बाढ़ का खतरा, जल संसाधन मंत्री का दावा- 'है पूरी तैयारी' - ईटीवी भारत न्यूज

बिहार सरकार का दावा है कि इस साल बाढ़ (Floods in Bihar) से निपटने की पूरी तैयारी कर ली गयी है. 15 जून को मानसून के प्रवेश करने से पहले बाढ़ निरोधात्मक और कटाव से बचाव के सभी कार्य कर लिया जाएंगे. विभागीय मंत्री का कहना है कि बाढ़ नहीं आने का दावा तो नहीं कर सकते लेकिन इसके असर को जरूर कम किया जा सकता है. पढ़ें पूरी खबर.

Flood threat in Bihar
Flood threat in Bihar
author img

By

Published : May 11, 2022, 8:24 AM IST

पटना: बिहार में मानसून 15 जून से (Monsoon in Bihar from June 15) प्रवेश कर जाएगा और यहां के करीब डेढ़ दर्जन जिलों में फिर से बाढ़ का खतरा (Flood threat in Bihar) अभी से मंडराने लगा है. ऐसे तो बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री संजय झा (Minister Sanjay Jha) का दावा है कि विभाग की इस बार पूरी तैयारी है. बाढ़ नहीं आने का दावा तो नहीं कर सकते हैं लेकिन इसका असर कम से कम हो, विभाग उसकी तैयारी कर रहा है. आधुनिक टेक्नोलॉजी का भी प्रयोग कर रहा है. 15 जून से पहले बाढ़ निरोधात्मक और कटाव से बचाव के सभी कार्य कर लिया जाएंगे.

ये भी पढ़ें: सांसद रामकृपाल यादव ने बाढ़ से पहले कई गांवों का किया दौरा, कहा- बांध पर नजर रखें अधिकारी

वर्ष योजनाखर्च
2010362 योजना213 करोड़
2015442 योजना437 करोड़
2017317 योजना1232 करोड़
2018 429 योजना1560 करोड़
2019208 योजना977 करोड़
2020386 योजना1061 करोड़
2021269 योजना1241 करोड़
2022258 योजना1458 करोड़ ( प्रावधान)

हर साल हजारों करोड़ का नुकसान: बिहार में हर साल बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित होते हैं और इससे हजारों करोड़ का नुकसान होता है. बाढ़ के नाम पर जल संसाधन, आपदा, पथ निर्माण, स्वास्थ्य और ग्रामीण कार्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग बड़ी राशि खर्च करते हैं. जल संसाधन विभाग बाढ़ पूर्व तैयारियों पर हर साल करोड़ों खर्च करता रहा है. यह राशि लगातार बढ़ती जा रही है. इस साल भी 258 बाढ़ सुरक्षात्मक और कटाव निरोधक का कार्य जल संसाधन विभाग की ओर से किए जा रहे हैं. इस पर 1485 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो रही है. इसमें नेपाल के क्षेत्र में भी 30 से अधिक योजना है. पिछले साल के मुकाबले योजना तो कम है लेकिन राशि अधिक है. पिछले साल 269 योजनाओं पर काम हुआ था. 1241 करोड़ की राशि खर्च हुई थी. 2010 से बाढ़ से बचाव के लिए बिहार सरकार ने बड़ी संख्या में योजनाओं पर काम किया है. हर साल उस पर बड़ी राशि खर्च हुई है.

जल संसाधन मंत्री संजय झा का कहना है पहले लंबे समय तक बारिश होती थी लेकिन अब कुछ ही समय में बहुत अधिक बारिश हो जा रही है. उसके कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है. बिहार में कितनी बारिश होती है, उससे अधिक जरूरी है कि नेपाल में कितनी बारिश हो रही है. बिहार में बाढ़ का वह बड़ा कारण है. ऐसे जल संसाधन विभाग की तरफ से सभी तरह के प्रयास इस बार किए गए हैं.

देखें वीडियो

'बाढ़ नहीं आएगी, इसका दावा तो नहीं कर सकते हैं लेकिन बाढ़ का प्रभाव कम से कम हो इसकी कोशिश में लगे हैं. आधुनिक टेक्नोलॉजी का भी हम लोग प्रयोग कर रहे हैं. नेपाल में डैम बने इसके लिए समझौता है. बाढ़ से निजात के लिए वही कारगर उपाय हैं लेकिन उस पर काम नहीं हुआ. ऐसी भारत सरकार ने एक कमेटी जरूर बनाई है.'- संजय झा, जल संसाधन मंत्री, बिहार

अब तक नहीं बनी ठोस नीति: बाढ़ पर काम करने वाले विशेषज्ञ रंजीव का कहना है कि सरकार ने अब तक कोई ठोस नीति तैयार नहीं की है. केवल प्रीवेंशन का काम करती है. इस पर बड़ी राशि खर्च होती है और हर साल बेकार चला जाता है. बिहार में 1954 में केवल 160 किलोमीटर तटबंध था. तब 25 लाख हेक्टेयर जमीन बाढ़ से प्रभावित थे. अब 3700 किलोमीटर से अधिक तटबंध हैं लेकिन बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र बढ़कर 68.09 लाख हेक्टेयर हो गये हैं.

उत्तर बिहार में तटबंध की लंबाई 3305 किलोमीटर दक्षिण बिहार में तटबंध की लंबाई 485 किलोमीटर है. बिहार में हर साल 4000 से अधिक गांव बाढ़ में डूबते हैं. उत्तर बिहार के कई इलाके तो 4 महीनाें तक टापू जैसे बन जाते हैं. ग्रामीण सड़कों से लेकर एनएच तक क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. सरकारी भवन से लेकर बड़े पैमाने पर निजी संपत्ति का भी नुकसान होता है. रेलवे को भी क्षति होती है. बिहार में बाढ़ से हर साल क्षति हो रही है. बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए बिहार सरकार हर साल केंद्र से राशि मांगती है लेकिन उसका एक छोटा हिस्सा ही मिलता है.

वर्षकेंद्र से मांगप्राप्त राशि
200717059 करोड़--
200814800 करोड़1010 करोड़
20164112 करोड़--
20177636 करोड़1700 करोड़
20194300 करोड़953 करोड़
20203328 करोड़1255 करोड़
20213763 करोड़--

पिछले साल 6.64 लाख हेक्टेयर फसल को नुकासान: पिछले साल बाढ़ से लगभग 80 लाख की आबादी प्रभावित हुई थी. 21 जिलों के 294 प्रखंडों में बाढ़ ने तबाही मचायी थी. 6.64 लाख हेक्टेयर फसल की क्षति हुई थी और राज्य सरकार की तरफ से 900 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का बाढ़ प्रभावितों के बीच भुगतान किया गया था. ऐसे तो जल संसाधन विभाग के मंत्री का दावा है कि बाढ़ से निपटने की पूरी तैयारी हो रही है. आधुनिक टेक्नोलॉजी का भी प्रयोग किया जा रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कहा है कि अब हम लोगों का पूरा ध्यान 3 से 4 महीने आपदा पर ही रहेगा. जल्द ही उसकी बैठक भी करेंगे. जल संसाधन विभाग की ओर से बाढ़ की जानकारी, बचाव और सुरक्षा को लेकर आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है. तटबंद पर स्टील शीट पाइलिंग तकनीक का भी उपयोग किया जा रहा है. इसके बावजूद इन सब का कितना असर होता है, यह देखने वाली बात है.

बिहार में बाढ़ प्रमुख कारण:
1. नेपाल में अत्यधिक बारिश के कारण बिहार में नदियों में उफान आता है और इसके कारण बाढ़ आती है.
2. नेपाल में डैम बनाने की चर्चा लंबे समय से हो रही है. समझौता भी हुआ है लेकिन डैम अब तक नहीं बना.
3. प्रमुख नदियों में गाद भी एक बड़ी समस्या है.
4. नदियों को जोड़ने की योजना भी लंबे समय से चर्चा में है लेकिन जमीन पर अभी तक किसी पर काम नहीं हो रहा है.
5. कई नदियों पर तटबंध भी आधा अधूरा है. बागमती नदी का तटबंध पिछले कई सालों से बन रहा है.

बिहार में बाढ़ का सबसे बड़ा कारण नेपाल से आने वाला बारिश का पानी है. कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक सहित कई नदियां नेपाल में अप्रत्याशित बारिश के कारण बाढ़ लाती हैं. नेपाल में डैम बनाने की चर्चा भी लंबे समय से हो रही है. अभी हाल में नेपाल के शिष्टमंडल ने पटना में अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी. डैम बनाने को लेकर भारत और नेपाल के बीच समझौता भी है लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी है. यहां तक कि नेपाल के लोगों ने डैम के लिए सर्वे तक नहीं करने दिया है.

नेपाल से नहीं मिलता सहयोग: बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य में भी नेपाल से सहयोग नहीं मिलता. आरोप है कि पिछले साल नेपाल की ओर से कई तरह की परेशानियां खड़ी की गईं. उसके कारण नेपाल में बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य कई जगह नहीं हुए और जहां हुए भी बहुत मुश्किल से. इसके कारण बिहार के कई हिस्सों में बाढ़ का सामना करना पड़ा. इस साल अभी तक किसी तरह की परेशानी की खबर नहीं आई है. विभाग के अधिकारियों का भी कहना है कि काम सुचारू तरीके से चल रहा है. 15 जून से पहले हम लोग बाढ़ सुरक्षात्मक सभी कार्य पूरा कर लेंगे.

ये भी पढ़ें: हल्की बारिश में ही सफेद चादर में लिपटा नजर आने लगा सीतामढ़ी, नेपाल के कारण बाढ़ जैसे हालात

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

पटना: बिहार में मानसून 15 जून से (Monsoon in Bihar from June 15) प्रवेश कर जाएगा और यहां के करीब डेढ़ दर्जन जिलों में फिर से बाढ़ का खतरा (Flood threat in Bihar) अभी से मंडराने लगा है. ऐसे तो बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री संजय झा (Minister Sanjay Jha) का दावा है कि विभाग की इस बार पूरी तैयारी है. बाढ़ नहीं आने का दावा तो नहीं कर सकते हैं लेकिन इसका असर कम से कम हो, विभाग उसकी तैयारी कर रहा है. आधुनिक टेक्नोलॉजी का भी प्रयोग कर रहा है. 15 जून से पहले बाढ़ निरोधात्मक और कटाव से बचाव के सभी कार्य कर लिया जाएंगे.

ये भी पढ़ें: सांसद रामकृपाल यादव ने बाढ़ से पहले कई गांवों का किया दौरा, कहा- बांध पर नजर रखें अधिकारी

वर्ष योजनाखर्च
2010362 योजना213 करोड़
2015442 योजना437 करोड़
2017317 योजना1232 करोड़
2018 429 योजना1560 करोड़
2019208 योजना977 करोड़
2020386 योजना1061 करोड़
2021269 योजना1241 करोड़
2022258 योजना1458 करोड़ ( प्रावधान)

हर साल हजारों करोड़ का नुकसान: बिहार में हर साल बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित होते हैं और इससे हजारों करोड़ का नुकसान होता है. बाढ़ के नाम पर जल संसाधन, आपदा, पथ निर्माण, स्वास्थ्य और ग्रामीण कार्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग बड़ी राशि खर्च करते हैं. जल संसाधन विभाग बाढ़ पूर्व तैयारियों पर हर साल करोड़ों खर्च करता रहा है. यह राशि लगातार बढ़ती जा रही है. इस साल भी 258 बाढ़ सुरक्षात्मक और कटाव निरोधक का कार्य जल संसाधन विभाग की ओर से किए जा रहे हैं. इस पर 1485 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो रही है. इसमें नेपाल के क्षेत्र में भी 30 से अधिक योजना है. पिछले साल के मुकाबले योजना तो कम है लेकिन राशि अधिक है. पिछले साल 269 योजनाओं पर काम हुआ था. 1241 करोड़ की राशि खर्च हुई थी. 2010 से बाढ़ से बचाव के लिए बिहार सरकार ने बड़ी संख्या में योजनाओं पर काम किया है. हर साल उस पर बड़ी राशि खर्च हुई है.

जल संसाधन मंत्री संजय झा का कहना है पहले लंबे समय तक बारिश होती थी लेकिन अब कुछ ही समय में बहुत अधिक बारिश हो जा रही है. उसके कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है. बिहार में कितनी बारिश होती है, उससे अधिक जरूरी है कि नेपाल में कितनी बारिश हो रही है. बिहार में बाढ़ का वह बड़ा कारण है. ऐसे जल संसाधन विभाग की तरफ से सभी तरह के प्रयास इस बार किए गए हैं.

देखें वीडियो

'बाढ़ नहीं आएगी, इसका दावा तो नहीं कर सकते हैं लेकिन बाढ़ का प्रभाव कम से कम हो इसकी कोशिश में लगे हैं. आधुनिक टेक्नोलॉजी का भी हम लोग प्रयोग कर रहे हैं. नेपाल में डैम बने इसके लिए समझौता है. बाढ़ से निजात के लिए वही कारगर उपाय हैं लेकिन उस पर काम नहीं हुआ. ऐसी भारत सरकार ने एक कमेटी जरूर बनाई है.'- संजय झा, जल संसाधन मंत्री, बिहार

अब तक नहीं बनी ठोस नीति: बाढ़ पर काम करने वाले विशेषज्ञ रंजीव का कहना है कि सरकार ने अब तक कोई ठोस नीति तैयार नहीं की है. केवल प्रीवेंशन का काम करती है. इस पर बड़ी राशि खर्च होती है और हर साल बेकार चला जाता है. बिहार में 1954 में केवल 160 किलोमीटर तटबंध था. तब 25 लाख हेक्टेयर जमीन बाढ़ से प्रभावित थे. अब 3700 किलोमीटर से अधिक तटबंध हैं लेकिन बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र बढ़कर 68.09 लाख हेक्टेयर हो गये हैं.

उत्तर बिहार में तटबंध की लंबाई 3305 किलोमीटर दक्षिण बिहार में तटबंध की लंबाई 485 किलोमीटर है. बिहार में हर साल 4000 से अधिक गांव बाढ़ में डूबते हैं. उत्तर बिहार के कई इलाके तो 4 महीनाें तक टापू जैसे बन जाते हैं. ग्रामीण सड़कों से लेकर एनएच तक क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. सरकारी भवन से लेकर बड़े पैमाने पर निजी संपत्ति का भी नुकसान होता है. रेलवे को भी क्षति होती है. बिहार में बाढ़ से हर साल क्षति हो रही है. बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए बिहार सरकार हर साल केंद्र से राशि मांगती है लेकिन उसका एक छोटा हिस्सा ही मिलता है.

वर्षकेंद्र से मांगप्राप्त राशि
200717059 करोड़--
200814800 करोड़1010 करोड़
20164112 करोड़--
20177636 करोड़1700 करोड़
20194300 करोड़953 करोड़
20203328 करोड़1255 करोड़
20213763 करोड़--

पिछले साल 6.64 लाख हेक्टेयर फसल को नुकासान: पिछले साल बाढ़ से लगभग 80 लाख की आबादी प्रभावित हुई थी. 21 जिलों के 294 प्रखंडों में बाढ़ ने तबाही मचायी थी. 6.64 लाख हेक्टेयर फसल की क्षति हुई थी और राज्य सरकार की तरफ से 900 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का बाढ़ प्रभावितों के बीच भुगतान किया गया था. ऐसे तो जल संसाधन विभाग के मंत्री का दावा है कि बाढ़ से निपटने की पूरी तैयारी हो रही है. आधुनिक टेक्नोलॉजी का भी प्रयोग किया जा रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कहा है कि अब हम लोगों का पूरा ध्यान 3 से 4 महीने आपदा पर ही रहेगा. जल्द ही उसकी बैठक भी करेंगे. जल संसाधन विभाग की ओर से बाढ़ की जानकारी, बचाव और सुरक्षा को लेकर आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है. तटबंद पर स्टील शीट पाइलिंग तकनीक का भी उपयोग किया जा रहा है. इसके बावजूद इन सब का कितना असर होता है, यह देखने वाली बात है.

बिहार में बाढ़ प्रमुख कारण:
1. नेपाल में अत्यधिक बारिश के कारण बिहार में नदियों में उफान आता है और इसके कारण बाढ़ आती है.
2. नेपाल में डैम बनाने की चर्चा लंबे समय से हो रही है. समझौता भी हुआ है लेकिन डैम अब तक नहीं बना.
3. प्रमुख नदियों में गाद भी एक बड़ी समस्या है.
4. नदियों को जोड़ने की योजना भी लंबे समय से चर्चा में है लेकिन जमीन पर अभी तक किसी पर काम नहीं हो रहा है.
5. कई नदियों पर तटबंध भी आधा अधूरा है. बागमती नदी का तटबंध पिछले कई सालों से बन रहा है.

बिहार में बाढ़ का सबसे बड़ा कारण नेपाल से आने वाला बारिश का पानी है. कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक सहित कई नदियां नेपाल में अप्रत्याशित बारिश के कारण बाढ़ लाती हैं. नेपाल में डैम बनाने की चर्चा भी लंबे समय से हो रही है. अभी हाल में नेपाल के शिष्टमंडल ने पटना में अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी. डैम बनाने को लेकर भारत और नेपाल के बीच समझौता भी है लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी है. यहां तक कि नेपाल के लोगों ने डैम के लिए सर्वे तक नहीं करने दिया है.

नेपाल से नहीं मिलता सहयोग: बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य में भी नेपाल से सहयोग नहीं मिलता. आरोप है कि पिछले साल नेपाल की ओर से कई तरह की परेशानियां खड़ी की गईं. उसके कारण नेपाल में बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य कई जगह नहीं हुए और जहां हुए भी बहुत मुश्किल से. इसके कारण बिहार के कई हिस्सों में बाढ़ का सामना करना पड़ा. इस साल अभी तक किसी तरह की परेशानी की खबर नहीं आई है. विभाग के अधिकारियों का भी कहना है कि काम सुचारू तरीके से चल रहा है. 15 जून से पहले हम लोग बाढ़ सुरक्षात्मक सभी कार्य पूरा कर लेंगे.

ये भी पढ़ें: हल्की बारिश में ही सफेद चादर में लिपटा नजर आने लगा सीतामढ़ी, नेपाल के कारण बाढ़ जैसे हालात

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.